इमरान की बढ़ी मुश्किलें, पाक आर्मी ठिकानों पर हमलों में चश्मदीदों ने ठहराया मास्टरमाइंड, हो सकती है फांसी!

नई दिल्‍ली (New Delhi) । पाकिस्तानी अदालतों (Pakistani courts) द्वारा ताबड़तोड़ दोषी ठहराए जा रहे और सजा पा रहे पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान (Imran Khan) को फांसी भी हो सकती है। पिछले साल 9 मई को सैन्य ठिकानों पर हुए हमलों में प्रत्यक्षदर्शियों ने 71 वर्षीय इमरान खान को मास्टरमाइंड (mastermind) करार दिया है। इससे उनकी मुश्किलें और बढ़ गई हैं। पाकिस्तानी सैन्य प्रतिष्ठान के करीबी शीर्ष सूत्रों के हवाले से एक रिपोर्ट में कहा गया है कि इनमें से किसी भी चश्मदीद को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से किसी रियायत की पेशकश का वादा नहीं किया गया है।

पाकिस्तान में आम चुनावों से ठीक पहले एक तरफ जहां कुल चार मामलों में इमरान खान को अब तक कुल 34 साल की जेल हो चुकी है, वहीं देश के खिलाफ षडयंत्र रचने और सैन्य प्रतिष्ठानों पर हमले के मास्टरमाइंड के रूप में स्थापित किया जा रहा है। निश्चित तौर पर इसका असर चुनावों पर पड़ सकता है। पिछले साल 9 मई को पीटीआई कार्यकर्ताओं ने जिन्ना हाउस (लाहौर कोर कमांडर हाउस), मियांवाली एयरबेस और फैसलाबाद में ISI बिल्डिंग समेत एक दर्जन सैन्य प्रतिष्ठानों पर तोड़फोड़ की थी। इतना ही नहीं रावलपिंडी में सेना के मुख्यालय पर भी हमले हुए थे।

हालांकि, खान दावा करते रहे हैं कि सेना के ठिकानों पर हमला लंदन एग्रीमेंट का हिस्सा था। इमरान खान पूर्व पीएम नवाज शरीफ को सेना की ओर से एक बार फिर सत्ता में लाने के प्रयास को लंदन एग्रीमेंट कहते रहे हैं। उनका आरोप है कि पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज प्रमुख नवाज शरीफ को शक्तिशाली पाकिस्तानी सेना का समर्थन प्राप्त है।

बता दें कि सैन्य ठिकानों पर हमला मामले में 100 लोगों पर पहले ही मुकदमे चल चुके हैं। इस केस में आरोपियों को सजा सुनाए जाने की दर 90 फीसदी है। फिलहाल सुप्रीम कोर्ट ने सैन्य अदालतों को फैसला सुनाने पर पाबंदी लगा रखी है। अगर इमरान खान पर इस मामले में सैन्य अदालत कार्रवाई करती है तो इस बात की आशंका ज्यादा है कि उन्हें फांसी की सजा सुनाई जाए क्योंकि पाकिस्तान में ऐसा इतिहास रहा है कि जो भी शख्स पाकिस्तानी सेना को चुनौती देता है, वह ज्यादा दिन नहीं बच पाता है। पाकिस्तान आर्मी एक्ट की धारा 59 में दोषी पाए गए शख्स को सजा-ए-मौत सुनाई जा सकती है। इस धारा का इस्तेमाल असैन्य अपराधों के लिए किया जाता है।

आर्मी एक्ट के क्लॉज डी का सब सेक्शन 1 इस कानून को और भी खतरनाक बनाता है। इसके मुताबिक अगर कोई पाकिस्तान के खिलाफ जंग छेड़ता है, हथियार उठाता है या फिर सुरक्षा बलों पर हमला करता है तो उसके खिलाफ इस सब सेक्शन के तहत मुकदमा चलाया जाएगा।

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