चीन के बाद भारत में सबसे ज्यादा डायबिटीज मरीज, अंधेपन से बचना है तो समय रहते बदल लें ये आदतें

नई दिल्ली (New Delhi)। भारत (India) में डायबिटीज तेजी से बढ़ने वाली बीमारियों में एक है. इसके भयावह होने का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि भारत चीन (India China) के बाद डायबिटीज मरीजों का दूसरा सबसे बड़ा घर है, यानी इस बीमारी के मामले में भारत सिर्फ चीन से पीछे है. यह एक ऐसा रोग है जो अपने साथ कई और रोग लाता है. परहेज ना करने पर इससे मरीज को कई और गंभीर परेशानियां (serious problems) होने लगती हैं.

एक रिसर्च के मुताबिक, भारत में डायबिटीज (diabetes in india) के कारण 40 साल से ज्यादा उम्र के लगभग 30 लाख लोगों पर अंधे होने का खतरा मंडरा रहा है. यह स्टडी भारत में डायबिटीज की स्थिति पर की गई थी जिसमें केरल के एर्नाकुलम के कुछ रिसर्चर्स भी शामिल हैं.

क्या है डायबिटिक रेटिनोपैथी?
डायबिटिक रेटिनोपैथी (diabetic retinopathy) एक ऐसी बीमारी है जिसमें डायबिटीज पीड़ित व्यक्ति की रेटिना को नुकसान पहुंचता है. आंख के अंदर जो पर्दा होता है, उसे ही रेटिना कहते हैं. डायबिटिक रेटिनोपैथी में रेटिना की महीन खून की नसें डैमेज होने लगती हैं. अगर इसका समय पर इलाज न कराया जाए तो व्यक्ति अंधा भी हो सकता है.

क्या कहती है रिसर्च
शोधकर्ताओं ने दिसंबर 2018 से मार्च 2020 के बीच भारत के 10 राज्यों और एक केंद्र शासित प्रदेश में 40 साल और उससे ज्यादा उम्र के लोगों पर रिसर्च की थी जिनमें डायबिटीज होने की कोई जानकारी नहीं थी. इस दौरान शोधकर्ताओं ने एक कॉम्प्लेक्स क्लस्टर सैंपलिंग डिजाइन का इस्तेमाल करते हुए लोगों की स्क्रीनिंग की. इसमें लगभग 42,146 प्रतिभागियों की जांच हुई जिनमें 19 प्रतिशत लोग डायबिटीज से पीड़ित पाए गए. बाकी 78 प्रतिशत में ग्रेडेबल रेटिनल छवियां थीं. अध्ययन से पता चला कि डायबिटिक रेटिनोपैथी के लिए शहरी और ग्रामीण निवास के बीच कोई महत्वपूर्ण अंतर नहीं था.

बिना लक्षण के बढ़ती है डायबिटिक रेटिनोपैथी
रिपोर्ट में दावा किया गया है कि डायबिटीज से पीड़ित 13 प्रतिशत भारतीयों को डायबिटिक रेटिनोपैथी का खतरा है. यह एक माइक्रोवस्कुलर कॉम्प्लिकेशन है जो बिना लक्षणों के धीरे-धीरे बढ़ती जाती है जिससे आगे चलकर मरीज को विजन थ्रेटनिंग डायबिटिक रेटिनोपैथी (VTDR) हो सकता है. रिपोर्ट में कहा गया कि डायबिटिक रेटिनोपैथी का इलाज ना होने पर चार फीसदी आबादी को इररिवर्सिबल विजुअल लॉस (अपरिवर्तनीय अंधेपन) VTDR हो सकता है.

भारत में इस समस्या के समाधान के लिए डायबिटिक रेटिनोपैथी और VTDR की स्थिति को समझना जरूरी है ताकि डायबिटीज से पीड़ित लोगों के बीच राष्ट्रीय स्तर पर रेटिनल स्क्रीनिंग की जा सके.

इन भारतीयों की जा सकती है आंखों की रोशनी
एक्‍सपर्ट के अनुसार, ”अगर किसी को डायबिटीज है तो उस व्यक्ति रेटिनोपैथी यानी आंख की खराब होने की संभावना 15 से 20 फीसदी तक हो सकती है. रेटिना में खून की नसें होती हैं. डायबिटीज होने पर ये नसें ब्लॉक होने लगती हैं और इस वजह से नसों से खून रिसने लगता है. कई बार खून आंखों में भी नजर आता है.”

उन्होंने कहा, ”अगर इस स्थिति में लापरवाही बरती जाए और समय पर निदान ना हो पाए तो व्यक्ति अंधा हो जाता है. इस स्थिति में सिर्फ रेटिना डैमेज नहीं होती है बल्कि इसमें मरीज को सफेद मोतियाबिंद और काला मोतियाबिंद भी हो सकता है. साथ ही कई तरह के आंख के इंफेक्शन का खतरा भी बढ़ जाता है.”

”दरअसल, हाई ब्लड शुगर समय के साथ आपकी आंखों की वैसेल्स को नुकसान पहुंचाता है. इससे डायबिटिक रेटिनोपैथी के साथ ही मोतियाबिंद और ग्लूकोमा भी हो सकता है.”

अंधेपन से बचना है तो आदतें बदलें
डायबिटीज के रोगी इस बीमारी से कैसे बचें, इस सवाल पर उन्होंने कहा, ”आपको जैसे ही पता चले कि आपको डायबिटीज हुई है, तुरंत आंखों के डॉक्टर के पास जाएं. आंख के डॉक्टर आपका मशीन से टेस्ट कर रेटिनोपैथी का पता लगा सकते हैं. शुरुआत में डायबिटीज कंट्रोल हो सकती है जिससे आपको रेटिनोपैथी होने का खतरा कम हो जाएगा. जिस तरह हमारे हाथ में पांच उंगलियां होती हैं, उसी तरह डायबिटीज भी अपने साथ चार और बीमारियां-ब्लड प्रेशर, कोलेस्ट्रॉल, हीमोग्लोबिन, किडनी डिसीस जैसी बीमारियां लाती हैं, इसलिए इसे काबू में रखना भी जरूरी है. अगर रेटिनोपैथी एडवांस स्टेज में पहुंच जाती है तो उसमें मरीज को कम दिखने लगता है, उसकी आंखों पर काले धब्बे पड़ने लगते है. इसलिए अगर आप डायबिटीज के मरीज हैं तो तुरंत जाकर टेस्ट कराएं और अपना इलाज शुरू कर दें.”

देश में लगभग 7.7 करोड़ लोग डायबिटीज से पीड़ित हैं और इसमें 1.21 करोड़ लोग 65 साल से कम के हैं और माना जा रहा है कि 2045 तक ये आंकड़ा 2.7 करोड़ के पार हो जाएगा. कहा जा सकता है कि भारत में हर 11 लोगों में से एक शख्स को डायबिटीज है.

इस पर निखिल पाल कहते हैं, ”देश में जिस तरह डायबिटीज की बीमारी फैल रही, उसे देखकर लगता है कि भारत जल्द ही डायबिटिक कैपिटल बन सकता है. हमारा लाइफस्टाइल, खानपान की गलत आदतें, मोटापा, कोलेस्ट्रॉल जैसे फैक्टर्स इस बीमारी को वायरस की तरह फैला रहे हैं. डायबिटीज अपने साथ हार्ट डिसीस, स्ट्रोक और कैंसर जैसी जानलेवा बीमारियां भी लाती है. इसलिए जागरुक रहें और अपनी लाइफस्टाइल बदलें.”

नोट- उपरोक्‍त दी गई जानकारी व सुझाव सिर्फ सामान्‍य सूचना के आधार पर पेश की गई है हम इन पर किसी भी प्रकार का दावा नहीं करते हैं.

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