देहदान में भी नम्बर वन बनने की तैयारी में इंदौर

रविवार को 2 तो अब तक 460 से ज्यादा देहदान किए
साफ-सफाई में नम्बर वन बनने के बाद अब
इंदौर।  वह दिन दूर नही ,जब साफ सफाई (cleanliness) के मामले में नम्बर वन (number one) इंदौर एक दिन देहदान (body donation) औऱ अंगदान (organ donation) के मामले में भी सारे देश मे नम्बर वन होगा । रविवार को एक ही दिन औऱ एक समय में महात्मा गांधी मेडिकल कॉलेज (Mahatma Gandhi Medical College) इंदौर में 2 परिवारों ने दो देहदान किये । कभी देहदान के अभाव के चलते मेडिकल कॉलेजों (medical colleges) को शव (dead body) ही नहीं मिलते थे। इस वजह से डाक्टर बनने वाले मेडिकल स्टूडेंट्स को शारीरिक सम्बन्धित रोग व बीमारियो ंके इलाज सहित शोध , रिसर्च अनुसंधान में कई दिक्कतों का सामना करना पड़ता था । मगर अब इंदौर हर साल देश के शहरों में खुलने वाले नए मेडिकल कॉलेज में दान की गई देह देता आ रहा है।

शनिवार की बीती रात ग्रेटर तिरुपति कॉलोनी (Greater Tirupati Colony) निवासी एवं राबर्ट नर्सिंग होम (Robert Nursing Home) के वरिष्ठ व समर्पित ट्रस्टी एवं सेवानिवृत्त आई ए एस अधिकारी वी एन दीक्षित की जीवन संगिनी आशा दीक्षित का देहावसान हो गया था। देहावसान के बाद परिजनों की सहमति व मुस्कान संस्था के सहयोग से रविवार को स्वर्गीय श्रीमती आशा के देहदान से पूर्व उनकी आंखों व त्वचा का दान सम्पन्न हुआ । इसी तरह शनिवार की शाम खजांची परिवार के पितृ पुरुष संपतलाल खजांची का निधन हो गया। इसके बाद रविवार को इनके परिजनों की सहमति से स्वर्गीय संपतलाल का देहदान किया गया। इसके पहले उनकी आंख एवं त्वचा भी दान की गई। गौरतलब है कि पूर्व में भी खजांची परिवार की वधू शिरोमणि खजांची के ब्रेन डेथ के बाद ग्रीन कॉरिडोर बना। उनके अंगदान किये गए। अंग जरूरतमंद मरीजों तक पहुंचाए गए थे, जिनसे मरीज को नया जीवनदान मिल पाया था। दोनों मृतकों के नेत्रदान एमके इंटरनेशनल आई बैंक एवं त्वचा दान चोइथराम स्किन बैंक द्वारा प्राप्त किए गए।

नेत्रदान , देहदान स्किनदान (Skindan) अंगदान में 2004 से अहम भूमिका निभाने वाली संस्था के संदीपन आर्य के अनुसार पिछले 10 सालों में मरणोपरांत लगभग 12 हजार लोगों के उनके परिजनों ने नेत्रदान किये। वहीं कई मृत लोगों के परिजनों की सहायता से स्किन डोनेट की। आर्य ने बताया कि दान किये गए 100 नेत्रों में से 40 मृत लोगों के रेटीना काम मे आ पाते हंै। मृत इंसान की डोनेट की गई स्किन कई जरूरतमंद मरीजों के काम आती है। मृत व्यक्तियों के कमर के निचले हिस्से से निकाल कर डोनेट की गई स्किन कई जरूरतमंद मन्दों को लगाई जा सकती है। यदि किसी भी मृतक के परीजन स्किन डोनेट करना चाहते है तो वह स्किन डोनेट करने के बाद उसके परीजन की मृत देह को वापस लेकर उसका अपनी मर्जी अनुसार अंतिम संस्कार कर सकते है। आर्य ने आगे बताया कि अभी तक पिछले 10 सालों में 460 से ज्यादा देहदान हो चुके हैं। 42 बार ग्रीन कॉरिडोर ( Green Corridor) बना कर 200 जरूरतमन्दों को अंगदान किये जा चुके हंै। इस तरह अब इंदौर कई सालों से कश्मीर से लगा कर कन्याकुमारी तक के मेडिकल कॉलेज के स्टूडेंट्स को स्टडी के लिए दान की गई मृत देह मुहैया करा रहा हैं। यह सिलसिला यूं ही चलता रहा तो जनसंख्या (population) व आबादी के घनत्व के हिसाब से देश के अन्य शहर व महानगरों की अपेक्षा इंदौर देहदान व अंगदान के मामले में भी नम्बर वन बनने में ज्यादा वक्त नहीं लगेगा।

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