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    राजस्व प्रकरण निपटाने में इंदौर फिसड्डी…

  • February 12, 2024

    खंडवा-बुरहानपुर ने मारी बाजी… पहले और दूसरे नम्बर पर बनाई जगह… इंदौर टॉप टेन में भी नहीं बना पाया जगह… 37वें नम्बर पर अटका पड़ा

    इंदौर। मुख्यमंत्री डा. मोहन यादव द्वारा राजस्व के प्रकरणों को निपटाने के लिए चलाए गए अभियान में इंदौर जिला टॉप टेन में भी जगह नहीं बना पाया है। खंडवा-बुरहानपुर ने पहले और दूसरे नम्बर पर आकर 50 प्रतिशत से अधिक काम खत्म कर लिया है, वहीं इंदौर जिला 37.32 प्रतिशत ही मामलों का निराकरण कर सका है। बी-1 वाचन, ईकेवाईसी, तरमीम व आरसीएमएस पोर्टल पर पेंडेंसी निपटाने में भी कुछ और उपलब्धि हासिल नहीं कर सका।


    जस्व के लम्बित प्रकरणों, नामांकन, बंटाकन, सीमांकन के साथ लोकसेवा केंद्र के माध्यम से दी जाने वाली सेवाओं की व्यवस्था को चाकचौबंद करने के लिए मुख्यमंत्री ने पूरे प्रदेश में मुहिम छेड़ी, लेकिन इंदौर जिला कोई खास जादू नहीं चला पाया। हालांकि क्षेत्र बड़ा होने के कारण पेंडेंसी भी बढ़ी थी, लेकिन अमला कोई खास जादू नहीं चला पाया और खंडवा, बुरहानपुर, पांर्ढूना, छिंदवाड़ा और सीहोर से पिछड़ते हुए दसवें नम्बर पर भी काबिज नहीं हो पाया। मध्यप्रदेश के जिलों की डिस्ट्रिक्ट रैंक में इंदौर 37वें नंबर पर है। 37.32 प्रतिशत ही काम को अंजाम दिया गया है। बी-1 वाचन में 20 प्रतिशत तो ईकेवाईसी में सिर्फ लगभग डेढ़ प्रतिशत का ही काम हुआ है। वहीं तरमीम प्रक्रिया में 0.34 प्रतिशत सफलता हासिल हो पाई है। यदि आंकड़ों पर नजर दौड़ाई जाए तो टॉप टेन में खंडवा, बुरहानपुर, पार्ढूना, छिंदवाड़ा, सीहोर, विदिशा, बैतूल, उज्जैन, नरसिंहपुर और शहडोल जैसे जिले 51.69 प्रतिशत से 46.39 प्रतिशत तक की सफलता हासिल कर परचम लहरा रहे हैं। ज्ञात हो कि कलेक्टर ने अधिकारियों से लेकर पटवारियों तक को अपने-अपने क्षेत्र में रात्रि विश्राम कर काम करने के निर्देश दिए थे, लेकिन इंदौर यह भी नहीं कर सका।

    बी-1 वाचन के लिए भी नहीं पहुंचे गांव में
    कलेक्टर व एसडीएम ने रणनीति तैयार कर अपने-अपने क्षेत्र में पटवारियों को हल्कों में रुककर बी-1 वाचन और ग्रामीणों के प्रकरणों के निपटान के निर्देश तो दिए, लेकिन अपने ही अन्य कामों में व्यस्त पटवारी अधिकारियों के आदेश को भी ठेंगा दिखाते नजर आ रहे हैं। आंकड़ों के अनुसार नए प्रकरणों के निपटान में 2.88 प्रतिशत ही काम हुआ है। वहीं ऐसे मामले जो पिछले छह महीने से ज्यादा समय से पेंडिंग हैं, उनके निपटान में 12.88 प्रतिशत ही सफलता हासिल हुई है। बी-1 वाचन में भी इंदौर जिला 37वें नम्बर पर ही है। हालांकि इंदौर के आसपास के जिले धार में भी यही हालात हैं। जबलपुर, भोपाल जैसे बड़े जिले भी 44-45वीं रैंक पर जगह बना पाए हैं। वहीं सागर, टीकमगढ़ जैसे बड़े जिले 53-54वीं रैंक पर आकर पिछड़़ गए हैं।

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