इंदौर का केमिकलयुक्त पानी शिप्रा में मिलना जारी

  • जो पाला बनाया जा रहा था वह अब तक नहीं बना-कान्ह डायवर्शन योजना की जाँच भी नहीं

उज्जैन। आगामी 14 जनवरी को मकर संक्रांति स्नान पर्व आ रहा है। इस दिन शिप्रा स्नान का विशेष महत्व होता है और हजारों लोग शिप्रा स्नान के लिए आते हैं। अभी कान्ह नदी के दूषित पानी को रोकने के लिए पूर्व में बनाया गया मिट्टी का बाँध टूट गया था। इसे फिर से बनाने का काम 7 दिन पहले शुरु हुआ था। यह अभी भी पूरा नहीं हुआ है।

पिछली बार शनिचरी अमावस्या स्नान पर्व पर त्रिवेणी क्षेत्र में कान्ह नदी के दूषित पानी को रोकने के लिए शिप्रा नदी पर मिट्टी का बाँध बनाया गया था। परंतु यह चलते स्नान में बह गया था और रोका गया कान्ह नदी का सारा दूषित पानी शिप्रा में मिल गया था। स्नान के लिए तब भी शिप्रा में नर्मदा का पानी छोड़ा गया था। तभी से यह बाँध टूटा हुआ था। बीच में साधु संतों ने इसे लेकर आंदोलन भी छेड़ दिया था। अब 14 जनवरी को स्नान पर्व आ रहा है। इसके लिए जिला प्रशासन फिर से नर्मदा का पानी लाने और स्नान पर्व की तैयारी कर रहा है। इसके लिए जलसंसाधन विभाग को एक हफ्ते पहले कान्ह और शिप्रा के बीच मिट्टी का बाँध फिर से बनाने के निर्देश दिए थे। यह काम तभी से चल रहा है फिर भी अभी तक पूरा नहीं हो पाया है। इसमें अभी 3-4 दिन का समय और लग सकता है। अधिकारियों का कहना है कि मिट्टी का बाँध बन जाने के बाद ही शिप्रा में नर्मदा का पानी प्रवाहित कराया जाएगा। ताकि मकर संक्रांति पर श्रद्धालुओं को साफ पानी से स्नान कराया जा सके।

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