इंदौरी खाते हैं हर साल आम की करीब 18 किस्में

इंदौर। आम के शौकीन आम आदमी के लिए उनके पसंदीदा आम की मिठास अगले 15 दिन में उनके मुंह में घुलेगी। शहर के बाजारों में फिलहाल बादाम, सिंदूरी और हापुस नजर आने लगा है, जो आम आदमी की पहुंच से अभी थोड़ा दूर है। जल्दी आवक के बावजूद आम के दाम फिलहाल ज्यादा ही बने हुए हैं। फल थोक बाजार के व्यापारियों के अनुसार शहर में सबसे पहले केरल से आने वाले आमों से आम की आवक शुरू होती है।

हापुस भी इस साल जल्दी शहर में आ गया है, लेकिन दाम पिछले साल जैसे ही हैं। कोरोना काल के बाद आम के दाम में जो बढ़ोतरी हुई थी, वो अब भी जारी है। वहीं इस साल आम की फसल कमजोर होने से दाम भी कोई खास कम नहीं होने वाले हैं। फिलहाल शहर के हर बाजार में ठेलों पर बादाम के साथ ही सिंदूरी नजर आ रहा है। वहीं महाराष्ट्र के रत्नागिरि से आने वाला हापुस, जो अल्फांसो के नाम से पहचाना जाता है, भी बिक रहा है और क्वालिटी के हिसाब से हर जगह इसके दाम भी अलग-अलग हैं।

यूपी के आम आने के बाद कम होंगे दाम
यूं तो इंदौर में अलग-अलग जगह से आम आते हैं, लेकिन दक्षिण से सबसे ज्यादा आम की आवक होती है और दाम में कमी तब होती है, जब आखिर में यूपी से आम आना शुरू होता है। इस साल आम की फसल पर मौसम का प्रभाव पड़ा है, जिससे कि आवक औसत रहेगी। फिलहाल शहर के बाजारों में बादाम 80 से 100 और 100 से 120 रुपए किलो क्वालिटी के अनुसार मिल रहा है तो सिंदूरी के दाम 60 से 100 रुपए किलो तक है। फ्रू ट मंडी के नरेश फुंदवानी के अनुसार अब आम की आवक बढ़ेगी, जिससे दाम भी कम होंगे।

30 तरह की किस्मों की आवक
फुंदवानी के अनुसार शहर में अलग-अलग समय पर विभिन्न राज्यों से अलग-अलग किस्मों के आम की आवक होती है। ये करीब 30 किस्में हैं, लेकिन इंदौर के लोग 18 किस्म का स्वाद ही ले पाते हैं। इनमें प्रमुख गुजरात का केसर, रत्नागिरि का हापुस, गुजरात का राजापुरी, यूपी का लंगड़ा, आंध्रा का नीलम, गुजरात का दाड़म, यूपी का दशहरी, आंध्रा का सिंदूरी है। बची 12 किस्में या तो आ नहीं पातीं या कई लोगों तक पहुंच नहीं पातीं।

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