जल्द पड़ेगी महंगाई की मार: फिर बढ़ सकते हैं बिस्कुट, इलेक्ट्रॉनिक और रोजमर्रा जरूरतों के दाम, जानिए वजह


नई दिल्ली। लगातार बढ़ रही महंगाई एक बार फिर उपभोक्ताओं को झटका देने वाली है। लागत और मार्जिन के दबाव से जूझ रहीं बिस्कुट, सौंदर्य उत्पाद और घरेलू उपकरण बनाने वाली कंपनियां जनवरी-मार्च तिमाही में कीमतों में बढ़ोतरी कर सकती हैं।

उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक्स एवं उपकरण निर्माता संघ के अध्यक्ष एरिक ब्रागांजा ने कहा कि कीमतों में वृद्धि कुछ समय पहले से होनी चाहिए थी। त्योहारी सीजन के कारण उद्योग ने बढ़ोतरी टाल दी थी। हालांकि, कमोडिटी (जिंस) की महंगाई बढ़ने के कारण इस तिमाही बिस्कुट, इलेक्ट्रॉनिक और रोजमर्रा जरूरतों की अन्य वस्तुओं के दाम करीब पांच फीसदी बढ़ सकते हैं। कीमतों में वृद्धि अलग-अलग हो सकती है क्योंकि कुछ कंपनियां पहले ही दाम बढ़ा चुकी हैं। कुछ कंपनियां वृद्धि करने वाली हैं।

ओरिएंट इलेक्ट्रिक ने बढ़ाए सात फीसदी तक दाम
पंखे, कूलर और किचन अप्लायंसेज बनाने वाली कंपनी ओरिएंट इलेक्ट्रिक लिमिटेड ने कहा कि 18 महीनों में कमोडिटी की कीमतों में अनिश्चितता रही है। कंपनी के कारोबार प्रमुख (होम अप्लायंसेज) सलिल कपूर ने कहा कि प्लास्टिक, स्टील और तांबा जैसी कमोडिटी की कीमतों में तेजी के कारण हम इस तिमाही अपने उत्पादों के दाम 4-7 फीसदी तक बढ़ा सकते हैं। उन्होंने कहा कि माल ढुलाई लागत बढ़ गई है, जिसका भार अब उपभोक्ताओं पर डालना जरूरी हो गया है। इसलिए इस तिमाही भी कीमतें बढ़ाएंगे। कंपनियां पहले भी घरेलू उपकरणों की कीमतें 5 से 15 फीसदी तक बढ़ा चुकी हैं।

10 फीसदी महंगे होंगे ब्रिटानिया के बिस्कुट
ब्रिटानिया इंडस्ट्रीज के प्रबंध निदेशक वरुण बेरी ने बताया कि इस तिमाही 10 फीसदी तक दाम बढ़ाने की तैयारी है। उन्होंने कहा कि गेहूं, चीनी और पाम तेल की कीमतों में तेजी जारी है। कंपनी ने 2021-22 की पहली तिमाही में अपने उत्पादों की कीमतों में एक फीसदी, दूसरी तिमाही में चार फीसदी और तीसरी तिमाही में आठ फीसदी बढ़ोतरी की थी।

डाबर ने बढ़ाई कीमतें
डाबर इंडिया की सीईओ मोहित मल्होत्रा का कहना है कि महंगाई की भरपाई के लिए कंपनी कई उत्पादों के दाम बढ़ा चुकी है। हेल्थकेयर उत्पादों के दाम 10 फीसदी बढ़ाए गए हैं। इन उत्पादों में हनीटस, पुदीन हरा और च्यवनप्राश आदि शामिल हैं। लोरियल की स्थानीय इकाई ने कहा कि कमोडिटी की कीमतों में तेजी लगातार जारी है। इसका भार उपभोक्ताओं पर डालना जरूरी हो गया था।

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