भारत-चीन व्यापार में गड़बड़ी का खुलासा, व्यापारियों की ‘चालाकी’ से 15 अरब डॉलर की लगी चपत

नई दिल्ली: भारत और चीन के बीच होने वाले व्यापार में गड़बड़ी नजर आ रही है. सीमा पर भले ही दोनों देशों के बीच तनाव चल रहा है, मगर दोनों देशों के बीच आर्थिक रिश्ते वैसे ही बने हुए हैं. वहीं, भारत और चीन के बीच होने वाले व्यापार के आधिकारिक आंकड़ों में गड़बड़ी दर्ज की गई है. दरअसल, भारत और चीन ने अपने-अपने आयात-निर्यात के आंकड़ें जारी किए हैं. इसे देखने से पता चलता है कि व्यापारी कम पैसे को दर्ज करवा रहे हैं.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, चीन को एक्सपोर्ट किए जाने वाले सामान को लेकर बनने वाले इनवॉयस में कम पैसे दर्ज किए जा रहे हैं. 2023 के शुरुआती 10 महीने में चीन से भारत को निर्यात और भारत से चीन से आयात के बीच अंतर में 20 फीसदी का इजाफा देखने को मिला है. इस साल ये अंतर बढ़कर 15.47 अरब अमेरिकी डॉलर तक पहुंच गया, जबकि पिछले साल की समान अवधि में यह 12.75 अरब अमेरिकी डॉलर था.

क्या है अंडर-इनवॉयसिंग?
ऐसा करने के लिए अंडर-इनवॉयसिंग की जा रही है. आसान भाषा में कहें तो अंडर-इनवॉयसिंग वो तरीका है, जिसमें आयात के घोषित मूल्य को जानबूझकर कम करके आंका जाता है. ऐसा इसलिए किया जाता है, ताकि विदेशों से आयात की जाने वाली वस्तुओं पर टैक्स के बोझ को कम किया जा सके. भारतीय और चीनी व्यापारियों के जरिए की जा रही अंडर-इनवॉयसिंग की वजह से भारतीय अर्थव्यवस्था को नुकसान हो रहा है.

अंडर-इनवॉयसिंग मामलों के बारे में जानती है सरकार
वाणिज्य मंत्रालय ने इस बात को स्वीकार किया है कि भारतीय इंपोटर्स के जरिए अंडर-इनवॉसिंग की जा रही है. मंत्रालय ने बताया कि उसने इस बात को वित्त मंत्रालय के तहत राजस्व विभाग के समक्ष उठाया था. जनवरी-नवंबर 2022 की अवधि में, राजस्व खुफिया निदेशालय और कस्टम ने कम मूल्यांकन के 896 मामलों की पहचान की. इन मामलों की जांच चल रही है.

मंत्रालय ने इस बात पर जोर दिया कि अंडर-इनवॉयिंग को रोकने के लिए उपाय किए जा रहे हैं. इसमें डीआरआई और कस्टम के जरिए लगातार निगरानी, अलर्ट और सर्कुलर जारी करना शामलि हैं. ऐसे मामलों का पता चलने पर उचित कानूनी कार्रवाई भी की जा रही है. वाणिज्य मंत्रालय ने व्यापार डेटा में अंतर के अलग-अलग वजहों के बारे में भी बताया है.

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