सिख नेताओं को लुभा रही ISI, पाकिस्तान के पक्ष में बोलने के लिए दे रही लालच

नई दिल्ली। देश में अल्पसंख्यकों के साथ हो रहे अन्याय के संदर्भ में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी प्रतिष्ठा बचाने के लिए पाकिस्तान (Pakistan) की इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (आईएसआई) (Inter-Services Intelligence- ISI)) सिख लोगों को देश के पक्ष में बोलने के लिए पैसे का लालच दे रही है।

आईएसआई भारतीय सिख नेताओं (Indian Sikh leaders) को पाकिस्तान के पक्ष में बोलने के लिए मोटी रकम देकर उन्हें लुभाने की भी योजना बना रही है. एजेंसी ने अब तक केवल कुछ नेताओं को विश्वास में लिया है, जिनमें मुख्य रूप से पाकिस्तान सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के सदस्य शामिल हैं. पैसों के लालच में ये सिख नेता पाकिस्तान के पक्ष में बयान देने लगे हैं।

पेश हैं कुछ लोग और उन्होंने पाकिस्तान के पक्ष में क्या कहा-

सिम्पल सिंह (राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के सदस्य): ‘हम पाकिस्तान में अल्पसंख्यक होने के नाते खुद को भाग्यशाली मानते हैं कि हम ऐसे देश में रह रहे हैं जहां अल्पसंख्यक समुदायों के लोगों को अधिक आतिथ्य मिलता है और दुनिया के किसी भी देश की तुलना में सुरक्षित हैं.’ पाकिस्तान के संस्थापक कायदे आजम मुहम्मद अली जिन्ना ने 11 अगस्त 1947 को अपने ऐतिहासिक भाषण में देश के अल्पसंख्यकों को यह कहकर आश्वस्त किया था कि ‘आप अपने धार्मिक स्थलों पर जाने के लिए स्वतंत्र हैं और मस्जिदों में जाने के लिए भी स्वतंत्र हैं’. करतारपुर कॉरिडोर इस देश में अल्पसंख्यकों को मिलने वाले सम्मान का एक शानदार उदाहरण है. अल्पसंख्यक होने के नाते, हमारे पास कई पहलुओं पर विशेष अधिकार हैं और समाज में विशेष सम्मान का आनंद लेते हैं।

गोपाल सिंह (पाकिस्तान सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के सदस्य): ‘अल्पसंख्यक समुदायों के लोग दुनिया भर में रहते हैं, लेकिन पाकिस्तान में रहने वाले सबसे खुश हैं और अपनी शर्तों पर अपना जीवन जीते हैं. मुस्लिम भाईचारे के कारण, हम पाकिस्तान में अधिक स्वतंत्र महसूस करते हैं. भारत के विपरीत, हिंदू, सिख और ईसाई सभी स्वतंत्र हैं. कायदे आजम को धन्यवाद. पाकिस्तान की सरकार, सेना और विभिन्न संगठन हमें अधिकार और सम्मान देते हैं और इसलिए मैं कहता हूं कि मैं पाकिस्तान से प्यार करता हूं।’

सतनाम (सदस्य, पाकिस्तान सिख गुरुद्वारा प्रबंधक समिति): ‘सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक देव का जन्म 1469 में पाकिस्तान में लाहौर के पास एक गांव ननकाना साहिब में हुआ था, जहां वर्तमान में करतारपुर कॉरिडोर स्थित है. इसमें कोई संदेह नहीं है कि पाकिस्तान अल्पसंख्यकों के लिए सबसे सुरक्षित देश है।’

कल्याण सिंह (संकाय सदस्य, जी.सी. विश्वविद्यालय, लाहौर): ‘हम अल्पसंख्यकों की आवाज बनने के लिए रेडियो पाकिस्तान को धन्यवाद देते हैं. पाकिस्तान में, अल्पसंख्यकों को अपने धर्म का पालन करने और अपने पवित्र दिनों को मनाने की पूरी स्वतंत्रता है, जो भारत में नहीं देखा जाता है. पाकिस्तान अल्पसंख्यकों को अवसर और प्रतिनिधित्व प्रदान करता है। करतारपुर कॉरिडोर सिख समुदाय के लिए सबसे बड़ा उपहार है, जिसे दुनिया के हर सिख को अनंत काल तक याद रखा जाएगा।’

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