‘बच्चे स्कूल में क्या पढ़ें, ये तय करना सरकार का काम’, शिक्षा से जुड़ी याचिका पर CJI की टिप्पणी

नई दिल्ली: सु्प्रीम कोर्ट ने एक याचिका की सुनवाई में कहा है कि बच्चों को स्कूलों में क्या पढ़ाया जाना चाहिए और क्या नहीं, इस बात का निर्देश हम नहीं दे सकते. कोर्ट ने कहा है कि इस विषय पर सरकार को विचार करने की जरूरत होनी चाहिए. कोर्ट ने बच्चों को स्वास्थ्य संबंधी शिक्षा देने की मांग करने वाली एक याचिका पर सुनवाई के दौरान ये बातें कही है. कोर्ट ने कहा कि बेहतर होगा याचिकाकर्ता अपनी मांग का ज्ञापन सरकार को दें.

याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में यह मांग की थी कि हाल के समय में हार्ट अटैक से मौत के बढ़ते मामलों को देखते हुए स्कूलों में बच्चों को हृदय रोग संबंधी शिक्षा दी जानी चाहिए साथ ही आपातकालीन स्थिति में CPR के जरिए मरीज की सहायता कैसे की जाए, इसकी भी मांग की गई थी. लेकिन कोर्ट ने इस पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया और सीजेआई ने कहा कि बच्चे क्या पढ़ें, यह हम तय नहीं कर सकते.

स्कूलों में बढ़ी हार्ट अटैक की घटना
हाल के समय में कई ऐसी खबरें सामने आई हैं जहां बच्चे हार्ट अटैक के शिकार हुए हैं. इसी साल पिछले सितंबर माह में लखनऊ के सिटी मांटेसरी स्कूल में नौवीं कक्षा के एक छात्र की अचानक मौत हो गई थी. उस छात्र की मौत को भी हार्ट अटैक से मौत माना गया था. इसी तरह अक्टूबर के महीने में राजस्थान के बीकानेर में एक मासूम की देखते ही देखते तबीयत खराब हुई और उसकी मौत हो गई.

क्या होता है सीपीआर का इलाज?
सीपीआर का फुल फॉर्म है- कार्डियो पल्मोनरी रिससिटेशन. यह इलाज की एक पद्धति है जो कि दिल के दौरे या दिल की अन्य बीमारियों से जुड़ी गंभीर आपातकालीन स्थितियों में जीवनरक्षक उपचार के तौर पर मान्य है. इस प्रक्रिया के जरिये कार्डिएक अरेस्ट की स्थिति में मौके पर तत्काल उपचार किया जाता है. इस प्रक्रिया से फेफड़ों में ऑक्सीजन प्रदान किया जाता है.

सीपीआर से ब्लड सर्कुलेशन में मदद मिलती है इस विधि का अच्छी तरह से उपयोग करने पर मरीज की जान खतरे से बाहर आ जाती है. सीपीआर दिल की धड़कन रुकने से छह मिनट के भीतर ही करना होता है, लिहाजा बकायदा इसकी ट्रेनिंग की जरूरत होती है. इसमें विशेष सावधानी की दरकार होती है. यह सावधानी प्रशिक्षण से सीखी जा सकती है.

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