Kerala: EPFO की लापरवाही से गई बुजुर्ग की जान! जानिए क्या है नियम?

नई दिल्ली (New Delhi)। देश (country’) के नौकरीपेशा लोगों (employees) के लिए EPFO (कर्मचारी भविष्य निधि संगठन-Employees Provident Fund Organization) बचत करने का एक शानदार प्लेटफॉर्म है। ईपीएफओ कर्मचारियों को रिटायरमेंट के बाद आर्थिक सुरक्षा (Financial security after retirement) प्रदान करता है. मगर कोच्चि (Kochi) के एक व्यक्ति को जीवन भर की जमा पूंजी निकालने के लिए रिटायरमेंट के बाद नौ साल तक इंतजार करना पड़ा।

आखिरकार हार कर 69 साल के केपी शिवरामन ने कोच्चि स्थित ईपीएफओ ऑफिस में आत्महत्या कर ली. मृतक के बेटे का आरोप है कि ईपीएफओ अधिकारियों की लापरवाही के कारण उनके पिता ने आत्महत्या की। मृतक के बेटे प्रदीश ने कहा, ‘ईपीएफओ अधिकारियों ने मेरे पिता को नौ साल तक इंतजार कराया. हर बार डॉक्यूमेंट्स पूरे न होने की बात कहते हुए सेविंग का पैसा देने से इनकार करते रहे।

प्रदीश के मुताबिक आखिर में परेशान होकर मेरे पिता ने आत्महत्या कर ली. इसके बाद उन्होंने बिना कोई कागजात लिए तुरंत फंड रिलीज कर दिया. यहां तक कि हमसे मृत्यु प्रमाण पत्र भी नहीं मांगा. उन्होंने मेरे पिता के जीवनभर की बचत का पैसा वापस देने के लिए उनके मरने का इंतजार किया।

सवालों के घेरे में EPFO
पीड़ित परिवार के अनुसार, शिवरामन की मृत्यु के बाद पत्नी को कानूनी हकदार बताने वाला एक कागज ईपीएफओ को दिया गया था. इसके अलावा कोई और डॉक्यूमेंट जमा नहीं कराया। फिर भी ईपीएफओ ने अचानक भुगतान कर दिया. ईपीएफओ का यह रवैया सवाल खड़े करता है. अगर पहले डॉक्यूमेंट पूरे नहीं थे तो मृत्यु हो जाने के बाद तुरंत भुगतान कैसे कर दिया? और अगर जरूरी डॉक्यूमेंट पहले ही थे, तो फिर शिवरामन को 9 साल तक इंतजार क्यों कराया गया?

अब मृतक के परिजनों ने ईपीएफओ के अधिकारियों के खिलाफ कानूनी लड़ाई लड़ने का फैसला किया है. परिवार का कहना है कि उनके पास ‘सिस्टम से लड़ने के लिए’ पर्याप्त वित्तीय संसाधन नहीं है. फिर भी वे न्याय के लिए लड़ेंगे. उनका लड़ने का मकसद न सिर्फ केपी शिवरामन को न्याय दिलाना है, बल्कि यह भी सुनिश्चित करना है कि ऐसा किसी और के पिता के साथ न हो।

इस स्पेशल में कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) से जुड़ी हर संभव जानकारी आपको बताने की कोशिश है. आप जानेंगे ईपीएफओ कैसे काम करता है, कर्मचारियों को इससे कैसे होता है फायदा, कितना पैसा जमा करना होता है जरूरी, निकासी का क्या है प्रावधान, रिटायरमेंट के बाद कैसे मिलती है जमा पूंजी और मृतक सदस्य की मौत के बाद परिवार को कैसे मिलता है फंड।

क्या है EPFO का इतिहास
EPF की स्थापना साल 1952 में हुई थी. इसे कारखानों और निजी संस्थानों में काम करने वाले कर्मचारियों के लिए शुरू किया गया था. अब यह सभी क्षेत्रों में काम करने वाले कर्मचारियों के लिए उपलब्ध है।

यह केंद्र सरकार के श्रम रोजगार मंत्रालय के अंतर्गत आता है. EPF को कर्मचारी भविष्य निधि और विविध प्रावधान अधिनियम 1952 के तहक नियंत्रित किया जाता है. यह कानून पूरे भारत में लागू है जम्मू और कश्मीर को छोड़कर।

कैसे काम करता है EPFO
ईपीएफओ एक सरकारी संस्था है जो सरकारी और निजी कर्मचारियों के लिए सेविंग और पेंशन योजना चलाती है. हर महीने आपकी नौकरीपेशा लोगों की तनख्वाह से कुछ रुपये PF (भविष्य निधि) में जमा होते हैं।

उतनी ही रकम कंपनी भी जमा करती है. ये पैसा ईपीएफ खाते में जमा हो जाता है. हर साल इस पर एक निश्चित ब्याज भी मिलता है. जब आप रिटायर होते हैं, तो आपको सारा पैसा ब्याज सहित मिल जाता है. हालांकि कुछ केस में बीच में भी पैसा निकाल सकते हैं।

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