जान लीजिए कहीं आपकी गाड़ी में नकली एयरबैग्स तो नहीं

दिल्ली की झुग्गी बन रहे नामी कंपनी के एयरबैग्स
नई दिल्लीः नकली एयरबैग (Fake airbags) मामले को पुलिस (Police) ने गंभीरता से लेते हुए नामी ब्रैंड (brand) की गाड़ियां बनाने वाली 16 ऑटोमोबाइल (automobile) कंपनियों (companies) को मेल भेजा है। सभी बरामद एयरबैग की क्वॉलिटी की जांच करवाई जाएगी। डीसीपी (DCP) (सेंट्रल) एम. हर्षवर्धन ने बताया कि एयरबैग मामले की तफ्तीश कई एंगल से चल रही है। आम जनता के जीवन के साथ खिलवाड़ करने के मद्देनजर मजबूत केस बनाने पर काम चल रहा है। ऑटोमोबाइल कंपनियों से मेल का जवाब आने पर कॉपी राइट एक्ट भी लगाया जा सकता है, क्योंकि ये इन कंपनियों से ऑथराइज्ड नहीं थे।

कहां हो रहे थे तैयार
माता सुंदरी रोड स्थित गुरुद्वारा के करीब झुग्गी नंबर-24 और झुग्गी नंबर-248 में बन रहे थे नामी कंपनियों के गाड़ियों के नकली एयरबैग। सेंट्रल जिला पुलिस ने 16 अप्रैल को छापेमारी कर नामी ऑटोमोबाइल कंपनियों के 16 ब्रैंडेड गाड़ियों के 921 नकली एयरबैग और रॉ मटीरियल रिकवर किया। इनकी कीमत एक करोड़ 84 लाख 20 हजार रुपये आंकी गई है। एयरबैग के 287 मोटर और 109 रॉ मटीरियल की चीजें बरामद कीं।

कहां से लाते थे रॉ-मटीरियल
आरोपी तुर्कमान गेट निवासी फैजान (26), फुरकान (35) और माता सुंदरी रोड के मोहम्मद फराज (35) ने पुलिस को बताया कि मायापुरी के अलावा कबाड़ हो चुकी गाड़ियों के जरिए रॉ-मटीरियल इकट्ठा करते थे। खुद भी वेल्डिंग के जरिए तैयार करते थे। आरोपी पहले खुद भी पुरानी गाड़ियों के स्क्रैप का काम करते थे। यहीं से इन्हें नकली एयरबैग बनाने का आइडिया आया। यू-ट्यूब से तरीका सीखा, जिसके बाद बनाने लगे।

तीन साल से कर रहे थे काम
आरोपी तीन साल से इस काम को अवैध तरीके से कर रहे थे। एक्सिडेंटल गाड़ियों के एयरबैग के मोटर और लोगो खरीदते थे। इनके अब तक 2000 से ज्यादा नकली एयरबैग मार्केट में बेचने की आशंका है। पुलिस अफसरों ने बताया कि उन्होंने पता लगाया कि मार्केट में एक नामी कंपनी की गाड़ी के एयरबैग की कीमत डेढ़ लाख रुपये थी, लेकिन उसी कंपनी का लोगो लगा नकली एयरबैग 30 से 50 हजार रुपये में बेच रहे थे।

गैराज-वर्कशॉप में थी डिमांड
पुलिस को आरोपियों ने बताया कि दिल्ली-एनसीआर में चलने वाले प्राइवेट गैराज और वर्कशॉप में उनके बनाए नकली एयरबैग की डिमांड है। दरअसल सस्ता होने की वजह से इनके माल की डिमांड काफी होने लगी थी। ये खुद भी लंबे समय से गाड़ियों के स्क्रैप कारोबार से जुड़े थे, इसलिए ऑटोमोबाइल मार्केट में इनकी अच्छी-खासी पहचान है। दूसरे राज्यों से भी इनके पास डिमांड आने लगी थी, जिन्हें ये कूरियर के जरिए भेजते थे। आरोपियों ने पुलिस पूछताछ में कबूल किया कि उनके पास कोई तकनीकी जानकारी नहीं है। वो सिर्फ पुरानी गाड़ियों से एयरबैग संबंधित सामान मंगवा कर और नया मटीरियल मार्केट से खरीद कर इन्हें तैयार कर रहे थे।

जानलेवा साबित हो सकते हैं नकली एयरबैग
कार सवारों की सेफ्टी के लिए सीट बेल्ट के बाद एयरबैग्स का अहम रोल होता है। कुछ माइक्रो सेकंड के टाइम फ्रेम में इनका पूरा सिस्टम एक साथ काम करता है तभी एक्सिडेंट की स्थिति में लोगों की जान बच पाती है। अगर इसमें लगा कोई भी सेंसर खराब क्वॉलिटी का हो तो एयरबैग खुलेगा ही नहीं और अगर एयरबैग के मैटर की क्वालिटी ही खराब हो तो भी फायदे की जगह नुकसान होने का ज्यादा चांस है। ये बात तो सभी जानते हैं कि एयरबैग एक्सिडेंट की स्थिति में एक बलून की तरह खुलकर सवारी और ड्राइवर की जान बचाने का काम करता है। लेकिन ये बात भी सही है कि एयरबैग का सिस्टम अगर खराब हो जाए और तो ये जान भी ले सकता है। सोचिए आप तेज रफ्तार में हाइवे पर जा रहे हैं और अचानक एयरबैग का सेंसर मैलफंक्शन हो जाए तो एयरबैग्स के खुलने के आपका एक्सिडेंट भी हो सकता है। इसके अलावा अगर एक्सिडेंट की स्थिति में एयरबैग न खुले तो भी जान को खतरा हो सकता है ऐसे में इनकी क्वालिटी कंट्रोल पर कंपनियां खास ध्यान देती हैं। कई बार इनमें कोई फॉल्ट पकड़ में आता है तो हजारों की संख्या में गाड़ियों को रिकॉल करके उनकी फ्री ऑफ कॉस्ट मरम्मत भी की जाती है।

 

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