सड़क किनारे पड़े हुए बीमार बुजुर्गों की सेवा करता है लक्ष्मी नारायण आनंदम क्लब

कौन कहता है के हर शख़्स फ़रिश्ता हो जाए,
आदमी थोड़ा तो इंसान के जैसा हो जाए।

ये सात दोस्तों का ऐसा ग्रूप है जिन्हें हम आज के मतलबी और मफाद परस्त दौर के फरिश्ते कह सकते हैं। कऱीब दस बरस पेले मोहन सोनी के दिमाग मे आया के सड़क किनारे पड़े रहने और दर-दर की ठोकरे खाने वाले बुजुर्गों की देखभाल की जाए। काम मुश्किल था और अकेले के बस का भी नहीं था। फिर इस काम मे खुद का पैसा और वक्त भी खर्च होता है। लेकिन इन्होंने शुरुआत में अकेले ही इस काम को अंजाम देना शुरु किया। आज मोहन सोनी के साथ 6 लोग और जुड़ गए हैं। इनमें डॉ. ज़ीशान हनीफ, वरुण सिंह सेंगर, औसाफ़ खान, फहद खान, कार्तिक मीणा और अभिषेक मीणा तन मन धन से शामिल हैं। इन्होंने लक्ष्मी नारायण आनंदम क्लब को रजिस्टर्ड करवाया और खि़दमत-ए-खल्क में जुट गए। मोहन सोनी बताते हैं कि घर के बीमार और लाचार या अपंग बुज़ुर्गों को लोग दूसरे शहरों से लाकर भोपाल छोड़ जाते हैं। इनमे से ज़्यादातर बज़ुर्गों को अपने घर और शहर का नाम पता तक याद नहीं होता। वे लावारिसों की तरह सड़कों पर भटकते हैं या सड़क किनारे पड़े रहते हैं। हमारा क्लब ऐसे ही बीमार और लाचार बुजुर्गों को खोजता है। हम उनके बड़े चुके सर और दाढ़ी के बाल कटवाते हैं। उन्हें नए कपड़े पहनाते हैं। ऐसे बुजुर्गों को इलाज के लिए हमीदिया अस्पताल में दाखिल करवाते हैं और वहां उनके खाने का इंतज़ाम करते हैं।

सोशल मीडिया पे खोए हुए बुजुर्गों की डिटेल डाल के उन्हें उनके घर पहुंचाने का काम लक्ष्मी नारायण आनंदम क्लब करता है। कुछ बुजुर्ग ऐसे होते हैं कि वे अपने शहर और घर वालों का अता पता तक नहीं बता पाते। ऐसे लोगों को ओल्ड एज होम भेजते हैं। संस्था ने नेपाल, बेगूसराय, विल्लपुरम और रायपुर तक के भटके हुए बुजुर्गों को उनके घर तक पहुंचाया है। ये लोग बुजुर्गों के घर वालों की काउंसलिंग कर बुजुर्गों को अपने साथ रखने की हिदायत भी देते हैं। अभी आनन्दम क्लब 5 बुजुर्गों का इलाज करवा रहा है और उनके परिजनो को ढूंढने की कोशिश की जा रही है। सड़क पे भटकने वाली अर्धविक्षिप्त औरतों की डिलीवरी तक क्लब ने करवाई है। एक पागल।महिला के अवैध बच्चे को उसकी मौसी के पास पहुंचाया गया है। इस काम मे क्लब को महिला पुलिस का सहयोग भी मिलता है। मोहन सोनी चाहते हैं कि हमीदिया अस्पताल में पंद्रह-बीस बेड का एक वार्ड ऐसे ही भटके हुए बीमार बुजुर्गों के लिए बनवा दिया जाए। संस्था खुद बुज़ुर्गों की तीमारदारी कर लेगी। गुजिश्ता दिनों आनंदम क्लब ने गेंदा बाई नामक बुजुर्ग को उनके परिजन को सौंपा। वहीं भगवती वंशकार को उनके पोते के पास पहुंचाया। आनंदम क्लब अभी तक 500 से अधिक बुजुर्गों का पुनर्वास कर चुका है। खास बात ये है कि इस काम के लिए क्लब को कोई सरकारी मदद भी नहीं मिलती। सूरमा आपके जज़्बे को सलाम करता है। यदि किसी को आनंदम क्लब की मदद दरकार हो तो वो मोहन सोनी से उनके मोबाइल नंबर 7869536279 पे राब्ता कर सकता है।

Leave a Comment