गत वर्ष 1.71 लाख लोगों ने जान दी… मेडिटेशन से कमी संभव; 50 प्रतिशत सुसाइड पारिवारिक कारणों व बीमारी की वजह से

इंदौर। देश में अलग-अलग कारणों से हो रहे सुसाइड के केस लगातार बढ़ रहे हैं, जो चिंताजनक है। गत वर्ष लगभग 1.71 लाख लोगों ने जान दी, जो वर्ष 2021 में हुई डेढ़ लाख सुसाइड से काफी अधिक है। इनमें से सर्वाधिक 50 प्रतिशत से अधिक सुसाइड पारिवारिक कारणों अथवा बीमारी की वजह से हो रहे हैं। इसे लेकर हाउ टू ओवरकम फ्रॉम सुसाइड इन इंडिया विषय पर शहर के एक विधि विशेषज्ञ ने लीगल रिसर्च कर केंद्र सरकार को सुझाव भेजे हैं, जिसमें इसे रोकने के लिए मेडिटेशन अर्थात ध्यान को अनिवार्य किए जाने आवश्यकता बताई गई है।

राष्ट्रीय क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो द्वारा जारी आंकड़ों के हर साल सुसाइड की दर बढ़ती जा रही है, जो एक खतरनाक संकेत है। यदि आत्महत्या पर नियंत्रण करना है तो ध्यान अर्थात मेडिटेशन को अनिवार्य किए जाने की और प्रयास करने होंगे, क्योंकि वर्तमान में आत्महत्या नियंत्रण के लिए किए जा रहे अन्य प्रयास सफल नहीं हो रहे हैं। विधि विशेषज्ञ पंकज वाधवानी के मुताबिक मेडिटेशन से आत्महत्या को रोकने में चमत्कारिक परिणाम सामने आने की पूरी संभावना है। उन्होंने बताया कि आत्महत्या की दर सबसे ज्यादा महाराष्ट्र उसके उपरांत तमिलनाडु और मध्यप्रदेश तीसरे नंबर पर है।

आत्महत्या के कारणों की विवेचना करने पर यह ज्ञात होता है कि लगभग 33.6 प्रतिशत आत्महत्या पारिवारिक समस्याओं को लेकर एवं दूसरा सबसे बड़ा कारण बीमारी 18 प्रतिशत है। इस प्रकार 50 फीसदी से अधिक मामले पारिवारिक समस्या और बीमारी से मिलकर बने हैं। तीसरा बड़ा कारण शराब अथवा अन्य नशे का सेवन 6 फीसदी, विवाह संबंधित समस्याएं 5 फीसदी, 4.4 प्रेम संबंधी समस्याएं, दिवालिया होना 3.4, बेरोजगारी 3, परीक्षा में असफल होना 1.4, प्रोफेशनल अथवा कैरियर समस्या 1.2, गरीबी 1.2, मृत्यु का भय 0.9, संपत्ति का विवाद 0.9, अवैध संबंध 0.5, सामाजिक अपमान 0.4, नपुंसकता 0.2 एवं 20 प्रचिशत ऐसे मामले, जिसमें कारण ज्ञात नहीं हैं। इन्हें रोकने के लिए परिवार समस्या निवारण केंद्रों की स्थापना वार्ड स्तर पर अथवा और अधिक निचले कॉलोनी अथवा मोहल्ला स्तर पर किए जाने की आवश्यकता महसूस की गई है।

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