लायसेंस नहीं होने पर मैकेनिक नगर की 23 दुकानों और भंवरकुआं के 5 होस्टलों पर जड़े ताले

  • हाथीपाला पर एक ट्रांसपोर्ट कंपनी तीन सालों से बिना लायसेंस के कर रही थी काम

इंदौर। नगर निगम (municipal Corporation) की टीमों द्वारा कल शहर के कई स्थानों पर बिना लायसेंस के व्यापार-व्यवसाय (Licensed business-business) करने वालों के खिलाफ कार्रवाई (action against)  की गई और मैकेनिक नगर में ही 23 दुकानें ऐसी मिलीं, जहां लायसेंस नहीं होने पर दुकानें सील की गर्इं। इसी प्रकार भंवरकुआं में पांच होस्टलों के लायसेंस नहीं थे, जिन पर ताले जड़े गए।

नगर निगम (municipal Corporation)  द्वारा राजस्व वसूली को लेकर अलग-अलग वार्ड में लगातार अभियान चलाया जा रहा है और कई क्षेत्रों में जल कर, कचरा शुल्क और सम्पत्ति कर व दुकानों का लायसेंस (license) शुल्क जमा नहीं करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है। हर रोज अलग-अलग टीमें झोन के राजस्व अधिकारियों के साथ वार्डों में कार्रवाई के लिए पहुंच रही हंै। दिसम्बर के चलते अलग-अलग झोनों को वसूली के टारगेट दिए गए हैं। राजस्व विभाग (revenue Department)  की अपर आयुक्त भव्या मित्तल और अधिकारी लोकेंद्रसिंह सोलंकी के निर्देश पर कल निगम टीम के रियाज अंसारी, जितेंद्र करोसिया और नासिर खान ने मैकेनिक नगर में अभियान चलाया। वहां अधिकांश दुकानें बिना लायसेंस के मिली, जिस पर 23 दुकानों को सील कर दिया गया। कई लोगों से लायसेंस के बारे में जानकारी ली गई तो उन्हें निगम लायसेंस के बारे में जानकारी ही नहीं थी। इसी प्रकार भंवरकुआं में भी पांच होस्टलों पर लायसेंस नहीं होने के कारण तालाबंदी की गई। अधिकारियों के मुताबिक हाथीपाला से जयपुर गोल्डन ट्रांसपोर्ट पर कामकाज बिना लायसेंस के तीन सालों से संचालित किया जा रहा था और वहां भी निगम की टीमों द्वारा तालाबंदी की गई। जिन संस्थानों पर ताालबंदी की गई, उनमें साक्षी टायर, मोहित टायर, फाइन आटो इंजीनियरिंग, आर फाइव होस्टल, जायसवाल स्क्रैप, साक्षी रोड लाइन आदि पर कार्रवाई की गई।

पहले कचरा प्रबंधन के 5 लाख मिल रहे थे, अब 15 लाख पर पहुंचा आंकड़ा
कचरा प्रबंधन शुल्क (waste management fee) की वसूली के लिए भी निगम की टीमों द्वारा अलग-अलग वार्डों में अभियान चलाकर राशि वसूली की कार्रवाई की जा रही है। व्यापारिक क्षेत्रों के साथ-साथ विभिन्न रहवासी क्षेत्रों में भी यह अभियान निरंतर जारी है, जिसके चलते कचरा प्रबंधन शुल्क की राशि जहां तीन, चार महीने पहले तक मात्र पांच लाख रुपये हो रही थी, वही आंकड़ा अब 15 लाख प्रतिदिन पर पहुंच गया है।

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