नई दिल्ली (New Delhi) । पाकिस्तान (Pakistan) के पूर्व विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी (Shah Mehmood Qureshi) ने एक बार फिर से भारत (India) के खिलाफ जहर उगला है। कुरैशी ने भारत आए पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी (Bilawal Bhutto Zardari) को ‘विवादित मुद्दे’ उठाने की सलाह दी है। कुरैशी ने कहा कि बिलावल भुट्टो जरदारी के पास दोनों देशों के बीच के प्रासंगिक मुद्दों को उठाने का वास्तविक अवसर है। कुरैशी का इशारा कश्मीर की तरफ था।
अल्पसंख्यकों के मुद्दे उठाने की सलाह दी
एक इंटरव्यू में पूर्व पाक विदेश मंत्री ने कहा कि भारत और पाकिस्तान के बीच व्यापार का आर्थिक महत्व काफी ज्यादा है, लेकिन इसे अलग नजरिए से नहीं देखा जा सकता है। इस दौरान उन्होंने दोनों देशों के बीच सैन्य टकराव से बचने की भी बात कही। उन्होंने कहा, “पारस्परिक रूप से एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप का आरोप लगाना या ताकत के दम पर समधाना ढूंढना पारस्परिक रूप से आत्मघाती हैं। मेरे विचार से, हमारे पास हमारे मुद्दों का कोई सैन्य समाधान नहीं है, लेकिन उन्हें राजनीतिक रूप से हल करना होगा।” उन्होंने उम्मीद जताते हुए कहा कि बिलावल मानवाधिकारों के मुद्दों को उठाने से कतराएंगे नहीं। उन्होंने भारत में अल्पसंख्यकों के मुद्दों को उठाने की सलाह दी। कुरैशी ने कहा, “मुझे उम्मीद है कि वह पानी के मुद्दे को उठाने से नहीं हिचकिचाएंगे, जो दोनों देशों के बीच लगातार चुनौतीपूर्ण होता जा रहा है।”
पुलवामा हमला पर भी बेतुका बयान
पिछले साल इमरान खान को सत्ते से बेदखल किए जाने के बाद से कुरैशी शरीफ सरकार के खिलाफ हमलावर रहे हैं। लेकिन बिलावल के भारत आने पर उन्होंने भारत के खिलाफ ही जहर उगला। उन्होंने पुलवामा आतंकी हमले को लेकर उलटा भारत पर ही आरोप लगा दिया। उन्होंने कहा, “पाकिस्तान को कोसना भारत में काफी लोकप्रिय है। यह भारत का दृष्टिकोण है। पुलवामा हमला राजनीतिक कारणों से स्वनिर्मित और सुनियोजित घटना थी। मुझे लगता है कि भारत को इस खांचे से बाहर आना होगा कि हम तब तक नहीं बैठेंगे जब तक पाकिस्तान आतंकवाद नहीं छोड़ देता।” कुरैशी ने दावा किया कि पाकिस्तान ने आतंकवाद से लड़ाई लड़ी है, पाकिस्तान उग्रवाद और आतंकवाद को हराने की प्रक्रिया में है। जैसा कि मैंने कहा, हमने भुगता है।
भारत आए हैं बिलावल भुट्टो जरदारी
पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के एक सम्मेलन में भाग लेने के लिए बृहस्पतिवार को गोवा पहुंचे। यह 2011 के बाद से पड़ोसी देश पाकिस्तान से भारत की यह पहली ऐसी उच्च स्तरीय यात्रा है। बिलावल भुट्टो जरदारी ऐसे समय में एससीओ विदेश मंत्रियों की परिषद (सीएफएम) की बैठक में हिस्सा लेने के लिये भारत आए हैं जब सीमा पार आतंकवाद को पाकिस्तान के निरंतर समर्थन सहित कई मुद्दों को लेकर दोनों देशों (भारत और पाकिस्तान) के बीच तनाव जारी है।
जानकार सूत्रों ने बताया कि विदेश मंत्री एस जयशंकर और भुट्टो जरदारी के बीच द्विपक्षीय बैठक की फिलहाल कोई योजना नहीं है, क्योंकि अभी तक पाकिस्तानी पक्ष से इसके लिए कोई अनुरोध नहीं आया है। बिलावल ने संवाददाताओं से कहा, ” मैं एससीओ विदेश मंत्रियों की बैठक में पाकिस्तानी प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करने के लिए गोवा पहुंचकर बहुत खुश हूं। मुझे उम्मीद है कि एससीओ सीएफएम की बैठक सफल होगी।”
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