कैलाश विजयवर्गीय को एक नंबर से मैदान में उतारने के बाद बदले राजनीतिक समीकरण पर विधायक संजय शुक्ला ने कही ये बात

इंदौर, राजेश ज्वेल। भाजपा ने कल जो अपनी दूसरी 39 सीटों की घोषणा की, उसमें सबसे चौंकाने वाला नाम कद्दावर नेता और महासचिव कैलाश विजयवर्गीय का रहा। हालांकि भाजपा ने 7 सांसदों को भी टिकट दिए हैं, मगर सर्वाधिक चर्चा विजयवर्गीय की रही, क्योंकि उन्हें विधानसभा 1 से मैदान में उतारा गया है, जहां कांग्रेस के ेविजयी प्रत्याशी संजय शुक्ला हैं। कल रात को यह कयास भी लगाए जाते रहे कि अब शुक्ला संभव है कि अपनी सीट बदल लें। मगर आज सुबह अग्निबाण से चर्चा करते हुए संजय शुक्ला ने स्पष्ट कहा कि उलटा वे अब पूरी ताकत से चुनाव लड़ेंगे। सीट बदलने और मैदान छोडऩे का सवाल ही नहीं उठता है। वैसे भी जनता ही जीत और हार तय करेगी। देश में कई दिग्गज चुनाव हार चुके हैं और मैं विजयवर्गीय को भी हराने में सक्षम हूं।

विधानसभा-1 का टिकट पिछले कई दिनों से चर्चा में रहा और अप्रत्याशित तरीके से भाजपा आलाकमान ने जो कल सूची जारी की, उसमें अन्य चौंकाने वाले नामों के साथ एक नाम विजयवर्गीय का भी रहा, जिसके चलते अब विधानसभा-1 को भाजपा की झोली में जाना तय मान लिया गया, क्योंकि विजयवर्गीय जहां कद्दावर नेता हैं, वहीं वे कोई चुनाव नहीं हारे और हर बार पार्टी ने उन्हें चुनौतीपूर्ण सीटों से ही मैदान में उतारा और हर बार वे कामयाब भी रहे। यही कारण है कि उनकी उम्मीदवारी के बाद से ही विधानसभा-1 चर्चा में आ गई और कैलाश विजयवर्गीय की जीत की एक तरह से घोषणा भी समर्थकों द्वारा सोशल मीडिया पर जोर-शोर से की जाने लगी और भावी मुख्यमंत्री के रूप में भी उन्हें बताया जाने लगा। दूसरी तरफ अपनी विधानसभा में संजय शुक्ला लगातार 5 साल ना सिर्फ सक्रिय रहे, बल्कि उन्होंने कैलाश विजयवर्गीय और रमेश मेंदोला की तर्ज पर ही भोजन-भंडारे की राजनीति की और क्षेत्र की जनता को लगातार अयोध्या सहित अन्य धार्मिक स्थलों की यात्राएं भी करवाईं।

शुक्ला का कहना है कि वे पूरी दमदारी से चुनाव लड़ेंगे। मैं क्षेत्र की जनता के हर सुख-दुख में लगातार शामिल रहा हूं और मुझे पूरा भरोसा है कि उनका आशीर्वाद मेरे साथ ही रहेगा। मेरे क्षेत्र की जनता को यह भली-भांति पता है कि मैं सेवा की राजनीति कर रहा हूं और जहां तक कैलाशजी का सवाल है, तो नि:संदेह वे राष्ट्रीय स्तर के और बड़े नेता हैं, लेकिन उसके साथ ही यह मेरा प्रभाव और मेरी ताकत है, जिसके चलते भाजपा को इतने बड़े स्तर का नेता मेरे मुकाबले में उतारना पड़ा। इंदिराजी से लेकर अटल-आडवाणी सहित राजनीति के कई दिग्गज चुनाव हार चुके हैं। ऐसे में यह कहना कि कैलाशजी अजेय हैं और चुनाव नहीं हार सकते, यह बेमानी है। जनता परिणाम बताएगी और उसका जो भी फैसला होगा, वह सिर-माथे रहेगा। मगर यह अवश्य है कि मैं ना तो सीट बदलूंगा और ना मैदान छोड़ूंगा, बल्कि पूरी ताकत से मुकाबला कर चुनाव भी जीतकर दिखाऊंगा। मेरी विधानसभा को मैंने परिवार की तरह माना है और हर एक से मेरा सीधा संबंध है। सभी के दरवाजे पर लगातार 5 साल में जाता रहा हूं।

कैलाश बोले – आकाश का अहित न हो, इसलिए चुनाव नहीं लडऩा चाहता था
मीडिया से चर्चा करते हुए कैलाश विजयवर्गीय ने जहां अपने टिकट पर आश्चर्य जताया और कहा कि पार्टी का आदेश हमेशा मेरे लिए सर्वोपरि रहा है। हालांकि पिछले दिनों चुनाव ना लडऩे की घोषणा उनके द्वारा की गई थी और इसके पीछे एक कारण यह भी था कि मेरे कारण कहीं बेटे आकाश का राजनीतिक अहित ना हो जाए। उन्होंने अपने प्रतिद्वंदी संजय शुक्ला के संबंध में कहा कि शुक्ला परिवार से उनके सदैव आत्मीय रिश्ते रहे हैं और इस चुनाव में भी रिश्तों की उन मर्यादाओं का ध्यान रखा जाएगा। देर रात अपने घर पर भी मीडिया से चर्चा करते हुए विजयवर्गीय ने कहा कि मध्यप्रदेश में भाजपा की सरकार पहले भी दो तिहाई बहुमत से बन रही थी। अब उससे भी अधिक सीटें मिलेंगी। मुख्यमंत्री कौन बनेगा, इस सवाल का जवाब उन्होंने टाल दिया।

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