मुस्लिम देशों में भी मोदी मैजिक: UAE के बाद बहरीन में भी बनेगा हिंदू मंदिर

नई दिल्ली (New Delhi)। साल 2014 में नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) के केंद्र की सत्ता की बागडोर संभालने के बाद भारत (India) की मुस्लिम खास कर अरब देशों (Arab countries.) से दूरी की आशंका जताई गई थी पर वे और करीब आ गए। तब पीएम मोदी (PM Narendra Modi) के विरोधियों और राजनीतिक पंडितों का मत था कि उनकी सरकार की हिंदूवादी छवि (Hindu image.) खासकर मुस्लिम सियासत की धुरी सऊदी अरब (Saudi Arabia axis of Muslim politics) से रिश्ते में ठंडापन ला सकती है लेकिन मोदी सरकार के दस साल के कार्यकाल में इन आशंकाओं और भविष्यवाणियों के उलट भारत के अरब और मुस्लिम देशों से रिश्ते पहले से भी प्रगाढ़ हुए हैं। रिश्ते इतने प्रगाढ़ हुए हैं कि अरब देशों से मोदी सरकार को कूटनीतिक मोर्चे पर भी साथ मिला है। चाहे पाकिस्तान को अलग-थलग करने की बात हो या कश्मीर का मामला। अरब देशों ने पाकिस्तान का साथ देने के बदले कश्मीर में निवेश में दिलचस्पी दिखाई है।

अनुच्छेद 370 को खत्म करने और दो केंद्र शासित प्रदेश में बांटने के मामले में भी पाकिस्तान को अरब देशों का समर्थन हासिल नहीं हुआ। यहां तक की इजरायल-हमास जंग में खुल कर इजरायल का पक्ष लेने के बावजूद भारत के अरब देशों से रिश्ते प्रभावित नहीं हुए।

कतर में भी कूटनीतिक कामयाबी
बेहतर द्विपक्षीय संबंधों और बेहतर कूटनीति के दम पर भारत को नौ सेना के आठ पूर्व सैन्य अधिकारियों को भी रिहा कराने में सफलता मिली, जिन्हें संदिग्ध जासूसी के आरोप में फांसी की सजा सुनाई गई थी। बीते दो दशक से अरब देश खासकर सऊदी अरब और यूएई दुनिया में महज तेल-गैस विक्रेता के इतर नई शक्ति बनने, व्यापार के दूसरे क्षेत्रों में हाथ आजमाने की कोशिश करता रहा है। पीएम ने इस दिशा में पहल की तो परिणाम यह हुआ कि अरब देशों से भारत के व्यापार में कई गुना की बढ़ोत्तरी हुई।

रिश्ते बेहतर करने को चुनौती के रूप में लिया
पीएम बनने के बाद ही मोदी ने अरब देशों से रिश्ते बेहतर करने के मामले को चुनौती के रूप में लिया। दस साल के कार्यकाल में कई बार अरब देशों का दौरा किया।अकेले यूएई की पांच बार यात्रा कर चुके हैं। इससे रिश्ते प्रगाढ़ हुए।

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