मप्रः उपभोक्ताओं को दे रहे महंगी बिजली, कंपनी के कुप्रबंधन से 1500 करोड़ से ज्यादा का नुकसान

भोपाल। मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) में एकतरफ उपभोक्ता (consumer) को महंगी बिजली (costly electricity) दी जा रही है लेकिन एमपी पॉवर जनरेटिंग कंपनी (MP Power Generating Company) के कुप्रबंधन की वजह से 1500 करोड़ से ज्यादा नुकसान हो चुका है। बिजली उत्पादन की जिम्मेदार पॉवर जनरेटिंग कंपनी द्वारा 2021-22 में प्रदेश के पांच सरकारी बिजलीघरों में पूर्ण क्षमता से बिजली उत्पादन नहीं किया गया। इस कारण पॉवर जनरेटिंग कंपनी को 1500 करोड़ रुपए से ज्यादा का नुकसान हुआ है। यह खुलासा पावर जनरेटिंग कंपनी के रिटायर्ड एडिशनल चीफ इंजीनियर ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को लिखे एक पत्र में किया है।

मध्यप्रदेश पावर जनरेटिंग कंपनी के अधिकारियों के लापरवाहपूर्ण रवैये के खिलाफ सीएम को रिटायर्ड एडिशनल चीफ इंजीनियर राजेंद्र अग्रवाल ने पत्र लिखा है। उन्होंने कई चौंकाने वाले आंकड़े देते हुए सीएम को बताया है कि मध्य प्रदेश विद्युत नियामक आयोग द्वारा मप्र पॉवर जनरेटिंग कंपनी के प्रत्येक ताप व जल बिजलीघर का अलग-अलग बिजली उत्पादन और नियत प्रभार निर्धारित किया जाता है। यह बिजलीघर की पूंजीगत लागत व अन्य खर्च के आधार पर तय किया जाता है। तय निर्धारित उपलब्धता प्राप्त करने पर संपूर्ण नियत प्रभार का भुगतान मप्र पावर मैनेजमेंट कंपनी द्वारा किया जाता है। वित्त वर्ष 2021-22 के लिए आयोग द्वारा नियत प्रभार की कुल राशि 4935 करोड़ निर्धारित की गई थी।

दो बिजलीघर ही निर्धारित क्षमता को पा सके
सीएम को भेजी गई शिकायत में पॉवर जनरेटिंग कंपनी के रिटायर्ड अधिकारी राजेंद्र अग्रवाल ने बताया है कि पॉवर जनरेटिंग कंपनी के अधिकारियों के कुप्रबंधन, लापरवाही के कारण 710 मेगावाट के दो बिजलीघर ही निर्धारित क्षमता को पा सके लेकिन 4670 मेगावाट क्षमता के अन्य बिजलीघर इसे नहीं पा सके। इन बिजलीघरों से कम बिजली उत्पादन से पॉवर जनरेटिंग कंपनी को 1500 करोड़ से ज्यादा का नुकसान तो उठाना ही पड़ा साथ ही उसे एनटीपीसी और निजी बिजलीघरों से महंगी बिजली भी खरीदना पड़ी।

सतपुड़ा ताप विद्युत गृह 11 महीने बंद
बताया जाता है कि मप्र पॉवर जनरेटिंग कंपनी के कुप्रबंधन की वजह से सतपुड़ा ताप विद्युत गृह मार्च 2021 से फरवरी 2022 तक बंद रहा और इसकी राज्य शासन से अनुमति भी नहीं ली गई। इसके अला‌वा सिंगाजी ताप विद्युत गृह चरण दो में वाणिज्यिक उत्पादन नवंबर 2018 से मार्च 2019 से प्रारंभ होने के बाद भी अब तक उसे पूरी क्षमता से शुरू नहीं किया गया है।

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