9वीं बार बिहार में नीतीश कुमार की बनी सरकार, दो डिप्टी CM समेत 8 मंत्रियों ने ली शपथ, पढ़े इनकी पूरी प्रोफाइल

नई दिल्‍ली (New Delhi) । नीतीश कुमार (Nitish Kumar) रविवार को नौंवी बार बिहार के सीएम (CM of Bihar) बन गए. सोमवार शाम उन्होंने बिहार के राजभवन में शपथ (Oath) ली. उनके साथ आठ अन्य मंत्रियों ने भी शपथ ली. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इससे पहले दिन में बिहार के सीएम पद से इस्तीफा दे दिया था. इस इस्तीफे के साथ ही बिहार में 17 महीने पुरानी महागठबंधन सरकार का अंत हो गया है.

नीतीश कुमार ने ली सीएम पद की शपथ, जेपी नड्डा रहे शामिल
राज्यपाल को इस्तीफा देने के बाद नीतीश कुमार ने मीडिया से बात की और अपने इस्तीफे की वजह भी बताई. इसके बाद एनडीए विधायक दल की बैठक में उन्हें नेता चुना गया. इसके बाद शाम सीएम नीतीश कुमार ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली. बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा शपथ ग्रहण में शामिल रहे.

पीएम मोदी ने दी नए मंत्रिमंडल को बधाई
पीएम मोदी ने बिहार के नए मंत्रिमंडल को दी बधाई दी है. उन्होंने X पर लिखा कि, ‘बिहार में बनी एनडीए सरकार राज्य के विकास और यहां के लोगों की आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए कोई कोर-कसर नहीं छोड़ेगी. @NitishKumar जी को मुख्यमंत्री और सम्राट चौधरी जी एवं विजय सिन्हा जी को उप मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने पर मेरी बहुत-बहुत बधाई. मुझे विश्वास है कि यह टीम पूरे समर्पण भाव से राज्य के मेरे परिवारजनों की सेवा करेगी.’

एनडीए के बिहार प्रमुख भी बनाए गए नीतीश कुमार
शपथ ग्रहण से पहले, नीतीश कुमार को बिहार में एनडीए का प्रमुख भी नियुक्त किया गया है. अपना इस्तीफा सौंपने के बाद पत्रकारों से बात करते हुए नीतीश कुमार ने कहा था कि महागठबंधन में स्थिति ठीक नहीं थी, इसलिए मैंने यह कदम उठाया. बता दें कि बिहार के महागठबंधन में लालू प्रसाद यादव की राष्ट्रीय जनता दल और कांग्रेस के साथ तीन वाम दल (सीपीआईएम, सीपीआई और सीपीआई माले) शामिल हैं. नीतीश कुमार ने कहा, ‘मैं लंबे समय से किसी भी बारे में टिप्पणी नहीं कर रहा हूं क्योंकि महागठबंधन में चीजें सही नहीं थीं. मुझे अपनी पार्टी के कार्यकर्ताओं सहित सभी से राय और सुझाव मिल रहे थे. मैंने उन सभी की बात सुनी और आज इस्तीफा दे दिया’. नीतीश कुमार अब फिर से सीएम पद की शपथ ले चुके हैं.

बिहार की राजनीति और जातीय समीकरण
बिहार की राजनीति में कास्ट की बहुत अहमियत है. अब जब ये तय हो गया है कि नीतीश कुमार पाला बदलकर बीजेपी के साथ सरकार बनाने जा रहे हैं, तो नई सरकार में भी जाति आधारित समीकरण को साधने की पूरी रूपरेखा तैयार कर ली गई है. नीतीश के सिर पर भले ही नौवीं बार सीएम का ताज सज रहा है, लेकिन नई सरकार में मंत्री पद के लिए जो नाम चुने गए हैं, वह जाति के समीकरण को ध्यान रखते हुए चुने गए हैं.

नीतीश कुमार नौवीं बार बने सीएम
नीतीश कुमार आज एक बार फिर बिहार के सीएम बन गए हैं. इसके साथ ही बिहार में दो डिप्टी सीएम भी बनाए हैं. इसके साथ ही जातीय आंकड़ा भी देख लीजिए. बीजेपी ने कुर्मी के 2 मंत्री, भूमिहार जाति के 2, राजपूत से एक, यादव जाति से भी एक मंत्री बनाया जा रहा है. इसके अलावा पिछड़ा, अतिपिछड़ा और महादलित से भी एक-एक मंत्री बनाए जा रहे हैं. नीतीश कुमार खुद कुर्मी समाज से हैं. सम्राट चौधरी कोइरी समाज से हैं और उन्हें डिप्टी सीएम की कुर्सी सौंपी जा रही है. विजय कुमार चौधरी भी मंत्री की कुर्सी पर बिठाए जाएंगे जो कि भूमिहार जाति से हैं. विजेद्र यादव भी हैं और प्रेम कुमार कहार जाति से हैं, जो कि मंत्री बन रहे हैं. श्रवण कुमार, कुर्मी समाज से हैं. सुमित सिंह राजपूत हैं और संतोष सुमन मंत्रिमंडल में रहकर महादलित समाज से आते हैं. विजय सिन्हा भूमिहार हैं जिन्होंने आज मंत्री पद की शपथ ली.

8 अन्य ने ली मंत्री पद की शपथ
सीएम नीतीश कुमार के साथ 8 अन्य ने भी मंत्री पद की शपथ ली है. जहां नीतीश कुमार सीएम हैं तो वहीं, विजय सिन्हा और सम्राट चौधरी डिप्टी सीएम बनाए गए हैं.
नीतीश कुमार (मुख्य मंत्री)
विजय सिन्हा (डिप्टी सीएम)
सम्राट चौधरी (डिप्टी सीएम)
विजय कुमार चौधरी
डॉ. प्रेम कुमार
ब्रिजेंद्र प्रसाद यादव
सुमित कुमार सिंह
संतोष कुमार
श्रवण कुमार

कभी JDU में रहे, कभी RJD में, जानिए कौन हैं सम्राट चौधरी
54 वर्ष के सम्राट चौधरी बिहार की राजनीति में दिग्गज नाम बन चुके हैं. कुशवाहा समुदाय से हैं और कोइरी (कुशवाहा) जाति से होने के कारण, वह बिहार के लोगों के बीच बहुमत जुटाने का प्रयास कर रहे हैं. सम्राट चौधरी ने 27 मार्च 2023 को बिहार के नए अध्यक्ष का पदभार संभाला, और उन्हें भाजपा ने उनके जरिए लव (कुर्मी) और कुश (कुशवाहा) वोटों को बड़ी संख्या में आकर्षित करने की कोशिश की थी. सम्राट चौधरी का राजनीतिक करियर 1999 से शुरू हुआ था.

NDA सरकार में रहे पंचायती राज मंत्री
चौधरी का राजनीतिक सफर बहुत बदलावों वाला रहा है, क्योंकि उन्होंने पहले लालू प्रसाद की राजद और नीतीश कुमार की जदयू से जुड़कर राजनीति में कदम रखा था, और बाद में भाजपा में शामिल हो गए. उन्होंने नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली पिछली एनडीए सरकार के दौरान पंचायती राज मंत्री के रूप में भी कार्य किया था.

समता पार्टी के संस्थापक सदस्य थे सम्राट चौधरी के पिता
चौधरी के पिता, स्वर्गीय शकुनी चौधरी, भी एक अनुभवी राजनीतिज्ञ थे और लालू प्रसाद यादव के करीबी सहयोगी रहे हैं. इसके अलावा, उनकी मां पार्वती देवी ने भी तारपुर विधानसभा सीट का प्रतिनिधित्व किया है, जिससे चौधरी परिवार ने बिहार की राजनीति में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. शकुनी चौधरी खगड़िया से कई बार विधायक और एक बार सांसद रहने के अलावा समता पार्टी के संस्थापक सदस्य भी रह चुके हैं, जिससे मूल रूप से नीतीश कुमार जुड़े थे. उनकी मां पार्वती देवी भी तारपुर विधानसभा सीट का प्रतिनिधित्व कर चुकी हैं.

विजय सिन्हा भी बने डिप्टी सीएम, छात्र राजनीति से शुरू हुआ करियर
विजय सिन्हा ने भी नई सरकार में शपथ ली है. उन्हें भी डिप्टी सीएम का पद सौंपा जाएगा. 55 वर्षीय विजय सिन्हा, बचपन से ही RSS से जुड़े हुए हैं. उन्होंने अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद में 1983 में छात्र राजनीति में सक्रिय भूमिका निभाई, और 1985 में राजकीय पॉलिटेक्निक मुजफ्फरपुर में छात्र संघ के अध्यक्ष बने गए. इसके बाद, सिन्हा को 1990 में राजेन्द्र नगर मंडल पटना महानगर भाजपा में उपाध्यक्ष के पद की जिम्मेवारी मिली. सिन्हा ने अपने प्रबंधन कौशल का प्रदर्शन करते हुए 2000 में प्रदेश संगठन प्रभारी और भारतीय जनता युवा मोर्चा बिहार के प्रदेश सचिव के पदों पर कार्य किया. उनके पिता स्वर्गीय शारनेदा रमण सिंह पटना के बेढ़ना के हाई स्कूल के प्रभारी प्रधानाध्यापक रहे हैं, मां का नाम स्वर्गीय सुरमा देवी है.

विजय कुमार चौधरी ने ली मंत्री पद की शपथ, जानिए पूरी प्रोफाइल
66 वर्ष के विजय कुमार चौधरी समस्तीपुर जिले के सरायरंजन विधानसभा क्षेत्र से विधायक हैं और 1982 से बिहार विधानसभा सदस्य हैं. बिहार सरकार में वित्त विभाग, वाणिज्यिक कर और विधायिका संबंधी कार्य मंत्री रहे हैं. विजय कुमार चौधरी जनता दल यूनाइटेड के अध्यक्ष भी रह चुके हैं और बिहार विधानसभा के अध्यक्ष भी रह चुके हैं. चौधरी को नीतीश कुमार का करीबी माना जाता है.

2020 में सरायरंजन से दर्ज की जीत
1982 में पिता के निधन के बाद विजय कुमार चौधरी ने बैंक की नौकरी से इस्तीफा दे दिया और कांग्रेस के टिकट पर दलसिंहसराय उप-चुनाव में जीतकर पहली बार विधायक बने. चौधरी 1985 और 1990 में कांग्रेस के टिकट पर लगातार तीन बार विधायक बने. इसके बाद 2000 से 2005 तक वह बिहार कांग्रेस के महासचिव रहे. हालांकि, 2005 में वे नीतीश कुमार के साथ जुड़ गए और कांग्रेस के हाथ का साथ छोड़ दिया. 2005 में वो सरायरंजन से जदयू के टिकट पर चुनाव लड़े और चौथी बार विधायक बने. इसी साल नीतीश ने उन्हें जल संसाधन मंत्री बना दिया. वो 2015 और 2020 में हुए विधानसभा चुनावों में भी सरायरंजन से जीते.

नई सरकार के मंत्रिमंडल में शामिल हुए डॉ. प्रेम कुमार
68 वर्ष के डॉ. प्रेम कुमार, गया टाउन विधानसभा क्षेत्र से विधायक हैं. 1990 से गया टाउन विधानसभा क्षेत्र से लगातार 8 बार चुने गए और बिहार सरकार में पूर्व मंत्री कृषि, पशु एवं मत्स्य संसाधन मंत्री भी रहे. अक्टूबर, 2015 में विधानसभा चुनाव के बाद गठित बिहार विधानसभा में डॉ. प्रेम को विपक्ष का नेता चुना गया. सार्वजनिक स्वास्थ्य इंजीनियरिंग विभाग, सड़क निर्माण विभाग और शहरी विकास विभाग के पूर्व मंत्री भी हैं. 4 दिसंबर 2015 से 28 जुलाई 2017 तक बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष रहे.

बिजेंद्र प्रसाद यादव ने ली मंत्री पद की शपथ, जानिए प्रोफाइल
बिजेंद्र प्रसाद यादव ने 77 वर्ष की उम्र में मंत्री पद की शपथ ली है. वह सुपौल से विधायक हैं. बिहार विधानसभा में आठवीं बार जीत कर विधायक बने बिजेन्द्र प्रसाद यादव जदयू के वरिष्ठ नेता हैं. पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष रहे हैं. बिजेंद्र प्रसाद यादव ने निर्विवाद रूप से पिछले 30 साल से सुपौल विधानसभा सीट पर अपनी बादशाहत बरकरार रखी है. 1990 में पहली बार मंत्री बने और अब तक बिहार सरकार के दर्जन भर विभागों में मंत्री पद का कामकाज देख चुके हैं. राजनीति में वर्ष 1967 में आए. 1990 में पहली बार विधायक बने.1998 से 2000 तक बिहार विधान सभा में ध्यानाकर्षण समिति के सभापति रहे.

सुमित कुमार सिंह भी नई सरकार में शामिल
नई सरकार में सुमित कुमार सिंह भी शामिल हुए है. वह 39 वर्ष के हैं और जमुई के चकाई से निर्दलीय विधायक हैं. सुमित कुमार सिंह बिहार के कद्दावर नेता और पूर्व कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह के बेटे हैं. नीतीश कैबिनेट में मंत्री थे. सुमित सिंह एनडीए सरकार में भी मंत्री थे. सुमित कुमार सिंह के दादा स्वतंत्रता सेनानी, कुशल राजनीतिज्ञ स्व. श्रीकृष्ण सिंह भी चकाई से दो बार विधायक रहे हैं.

2015 में जेडीयू ने नहीं दिया था टिकट
2015 के विधानसभा चुनाव में जेडीयू ने उन्हें टिकट नहीं दिया जिसके बाद निर्दलीय चुनाव लड़े और पराजित हो गये. जेएनयू के छात्र रहे सुमित कुमार सिंह छात्र जीवन से ही राजनीति में सक्रिय हो गये थे. उन्होंने पहली बार 2010 में चकाई विधानसभा से ही चुनाव जीता था. वर्ष 2020 के चुनाव में भी निर्दलीय चुनाव मैदान में उतरेऔर चकाई से जीत हासिल की. 2020 में वह बिहार में निर्दलीय विधायक बनने वाले एकलौते विधायक थे.

जीतन राम मांझी के बेटे संतोष कुमार सुमन बने मंत्री
संतोष कुमार सुमन ने भी सीएम नीतीश कुमार के साथ मंत्री पद की शपथ ली है. संतोष सुमन ने जून 2023 में बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी के बेटे संतोष सुमन ने अपनी पार्टी HAM-S को जेडीयू के साथ विलय के प्रस्ताव के बीच “विलुप्त होने” से बचाने के लिए राज्य मंत्रिमंडल छोड़ दिया था. वह पूर्व मंत्री अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति कल्याण विभाग बिहार सरकार रहे हैं.

श्रवण कुमार ने ली मंत्री पद की शपथ
श्रवण कुमार नालंदा से विधायक हैं और सात बार विधायक रहे हैं. बिहार सरकार में ग्रामीण विकास मंत्री रहे हैं. उन्होंने पहले जद (यू) के चीफ व्हिप के रूप में कार्य किया था. जदयू की झारखंड राज्य इकाई के प्रभारी भी रहे हैं. पिछले साल उन्होंने कहा था कि बिहार और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों के लोग चाहते हैं कि नीतीश कुमार I.N.D.I.A ब्लॉक के प्रधान मंत्री पद के उम्मीदवार बनें. सीएम नीतीश कुमार के भरोसेमंद सिपहसालार माने जाने वाले श्रवण कुमार जेपी आंदोलन के बाद से ही राजनीति में सक्रिय हैं. जनता दल में विभाजन के बाद वह नीतीश के साथ चले गये और समता पार्टी में शामिल हो गये.

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