जैविक कृषि बना लाभ का धंधा

  • परंपरागत खेती के बदले नई तकनीकी का प्रयोग

जबलपुर। कृषि क्षेत्र में वर्तमान परिस्थितियों में बहुत सुधार हुआ है भारतीय किसान परंपरागत खेती के स्थान पर अब नवीन तकनीकी का प्रयोग कृषि को नई ऊंचाईयों पर पहुंचा रहे हैं। ऐसे ही एक उदाहरण है जिले के पाटन विकासखंड के दौना खजरी निवासी अभिषेक चंदेल जो 40 एकड़ में पूर्णत: जैविक कृषि कर समय अनुसार गेहूं मसूर चना व गन्ना की खेती करते हैं साथ ही साथ पशुपालन कर समग्र खेती की ओर आगे बढ़ रहे हैं। उन्होंने बताया कि शासन द्वारा उन्हें नाडेफ योजना अंतर्गत वर्मी कम्पोस्ट के लिये सहायता प्रदान की गई थी।

साथ ही कोरोना काल के पहले पशुपालन के लिये आचार्य विद्या सागर योजना अंतर्गत उन्हें 6 लाख के प्रोजेक्ट में 2 लाख की सब्सिडी मिली थी। अभी उनके पास 12 गाय हैं। इससे उन्हें दुग्ध उत्पादन के साथ अन्य लाभ भी मिल जाता है। श्री चंदेल बताते हैं कि गन्ने की फसल से उन्हें पहले साल में प्रति एकड़ 40 से 45 क्विंटल गुड़ मिल जाता है वहीं दूसरे साल 25 से 30 क्विंटल प्रति एकड़ गुड़ का उत्पादन कर लेते हैं। गुड़ के साथ वे केंडी का उत्पादन करते हैं जो 50 रुपये प्रति किलो के हिसाब से मार्केट में बिकता है। श्री चंदेल एक प्रगतिशील किसान है जो अपने खेती पर पूरा ध्यान केन्द्रित कर उसे लाभ का धंधा बना रहे हैं।

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