ईरान को तबाह करने के लिए पाकिस्तान दे रहा सेना के हथियार! इस आतंकी संगठन की कर रहा मदद

डेस्क। पाकिस्तान में ईरान के राष्ट्रपति की यात्रा तो हो गई, लेकिन जिस दस अरब डॉलर के व्यापारिक संबंधों की उम्मीद इस्लामाबाद ने तेहरान से लगाई थी उस पर पानी फिर गया। दरअसल ईरान की खुफिया एजेंसियों के दस्तावेजों से खुलासा हुआ है कि जब इस्राइल ने दमिश्क के भीतर उनके दूतावास पर हमला किया, तो पाकिस्तान समर्थित आतंकी संगठन-जैश-अल- अदल ने ईरान के कुछ इलाकों में हमले कर उनके सैन्य कर्मियों की हत्या कर दी। चौंकाने वाली रिपोर्ट यह है कि इस हमले में जिन हथियारों का इस्तेमाल हुआ था, वह पाकिस्तान की सेना इस्तेमाल करती है। यही नहीं रिपोर्ट में इस बात का भी खुलासा हुआ है कि ईरान के खिलाफ पाकिस्तान की सेना के हथियार आतंकी संगठनों को लगातार मुहैया कराए जा रहे हैं। जानकारी के मुताबिक ईरानी खुफिया एजेंसियों के ऐसे खुलासे से पाकिस्तान और ईरान के बीच 10 अरब डालर तक के व्यापारिक संधि की उम्मीद पर पानी फिर गया है।

ईरान के राष्ट्रपति सैयद इब्राहिम रईसी तीन दिवसीय पाकिस्तान के दौरे पर थे, जो बुधवार को खत्म हो गया। इस दौरे में पाकिस्तान ने ईरान के साथ अपने व्यापारिक समझौता को बढ़ाने के लिए मुक्त व्यापार और ओपन बॉर्डर की वकालत करते हुए ईरान को रिझाने का नाटक किया। पाकिस्तान के इस नाटक की पोल तब खुली, जब ईरान की खुफिया एजेंसियों की एक महत्वपूर्ण रिपोर्ट इस यात्रा के दौरान इस्लामाबाद से साझा की गई। दरअसल खुफिया एजेंसियों की रिपोर्ट इस बात की तस्दीक करती है कि पाकिस्तान जिस खुले बॉर्डर से व्यापार की बात कर रहा है, वहां से व्यापार की बजाय आतंकवाद ईरान में भेजा जा रहा है। ईरान की खुफिया एजेंसियों और प्रमुख सुरक्षा अधिकारियों ने इस्लामाबाद से जैश-अल-अदल को हथियारों की सप्लाई करने और आतंकवाद समेत हमले करने में मदद करने की पुख्ता रिपोर्ट दी है। सूत्रों के मुताबिक ईरान में हमला करने वाले आतंकी संगठन जैश अल अदल को पाकिस्तान की सेना के अत्याधुनिक हथियार मुहैया कराए जाते हैं। पाकिस्तान को यह कड़ा संदेश तेहरान ने उनकी ही जमीन पर आकर दिया है।

दरअसल ईरान ने पाकिस्तान को इसकी हकीकत तब बताई, जब उसके ऊपर इस्राइल ने बड़ा हमला किया। इस्राइल ने दमिश्क में जब ईरान के दूतावास पर हमला किया, तो पाकिस्तान समर्थित आतंकी संगठनों ने ईरान के सिस्तान प्रांत में हमला कर दिया। ईरान की खुफिया एजेंसियों को मिले पुख्ता सुबूतों के मुताबिक यह हमला जैश-अल-अदल की ओर से किया गया था और इस हमले में इस्तेमाल किए गए हथियार पाकिस्तान की ओर से मुहैया कराए गए थे। जिन हथियारों से पाकिस्तान समर्थित जैश-अल-अदल ने सिस्तान में हमला किया, वह पाकिस्तान में ही बनाए जाते हैं। ईरान की खुफिया एजेंसियों ने पाकिस्तानी हथियारों से लैस उन आतंकवादियों की तस्वीरें भी हासिल की हैं, जिसमें ‘हेकलर एंड कोच जी 3’ जो पाकिस्तान में बनाए जाते हैं और पाकिस्तान सेना इन हथियारों का इस्तेमाल करती है। पाकिस्तान सेना के ये हथियार आतंकियों से बरामद किए गए हैं।

केंद्रीय खुफिया एजेंसी से जुड़े सूत्र बताते हैं कि पाकिस्तान को जब इस्लामाबाद में ईरान की खुफिया एजेंसी और अधिकारियों ने सबूतों के साथ पूरी जानकारी दी, तो पाकिस्तान के होश उड़ गए। दरअसल पाकिस्तान ने ईरान के राष्ट्रपति सैयद इब्राहिम रईसी के साथ जिस व्यापारिक समझौते का दस्तावेज तैयार किया हुआ था, वह कमजोर हो गया। भारतीय विदेश सेवा के पूर्व वरिष्ठ अधिकारी एके सिन्हा कहते हैं कि पाकिस्तान ने ईरान के साथ खुली व्यापार नीति की पूरी तैयारी की थी। इस तैयारी में पाकिस्तान और ईरान के बीच 10 अरब डॉलर तक के व्यापार को बढ़ाने का पूरा मसौदा तैयार था। पाकिस्तान ने ईरान के खुले बॉर्डर से जिस व्यापार को बढ़ाने की वकालत की थी, खुफिया एजेंसियों ने उसी पर सबसे ज्यादा सवालिया निशान उठा दिए। ईरान की खुफिया एजेंसियों की रिपोर्ट में इस बात का स्पष्ट रूप से जिक्र किया गया था कि पाकिस्तान अगर ईरान में आतंक फैलाने वाले संगठन पर नकेल नहीं कसता है, तो बड़ी कार्रवाई होगी।

सूत्रों के मुताबिक जिस व्यापार की उम्मीद पाकिस्तान ने ईरान से लगाई थी, फिलहाल वह सिरे चढ़ते हुए नहीं दिख रही है। क्योंकि ईरान की खुफिया एजेंसियों ने पाकिस्तान से इस मामले में न सिर्फ कड़ी कार्रवाई करने की बात कही है, बल्कि उसका रिजल्ट भी दिखना चाहिए, इस बात के लिए आगाह किया है। पाकिस्तान के लिए ईरान का बात मानना नामुमकिन जैसा है, क्योंकि जिन आतंकी संगठनों को पाकिस्तान हथियार मुहैया कराने के साथ-साथ अन्य सुविधाएं देकर ईरान में हमले करवाता है, उसके पीछे कई और विदेशी ताकते भी लगी हैं। एक वरिष्ठ अधिकारी कहते हैं कि जिन देशों को ईरान में अस्थिरता चाहिए, वह पाकिस्तान को वित्तीय मदद देते हैं। ताकि ईरान में लगातार हमले और हत्याएं होती रहें। ऐसे में अगर पाकिस्तान ईरान की बात मानकर इस आतंकी संगठन पर कड़ी कार्रवाई करता है, तो संभव है कि ईरान की ओर से कुछ व्यापारिक समझौते हो जाएं। लेकिन इन आतंकी संगठनों को आगे बढ़ाने की एवज में जो विदेशी मदद पाकिस्तान को मिलती है, उस पर रोक लग सकती है। इसलिए पाकिस्तान और ईरान के बीच 10 अरब डॉलर के व्यापारिक संबंध पर ब्रेक लगता तय माना जा रहा है।

पाकिस्तान के वरिष्ठ पत्रकार गुलाम अब्बास जैदी ने कहा कि ईरान के राष्ट्रपति रईसी की यात्रा से पाकिस्तान को उम्मीदें तो बहुत हैं। लेकिन यह बात भी सच है कि ईरान में लगातार हमले कर रहा आतंकी संगठन जैश-अल-अदल इन दोनों देशों के रिश्तों को खराब कर रहा है। वह कहते हैं कि अभी चार महीने पहले ही ईरान ने पाकिस्तान के भीतर इस आतंकी संगठन के ठिकानों पर मिसाइलें दागीं थीं, इसके बदले में पाकिस्तान ने भी जवाब दिया था। हालांकि बाद में दोनों देशों ने मैत्री पूर्वक रिश्तों को बढ़ाने पर जोर दिया। गुलाम अब्बास रहते हैं कि पाकिस्तान को इस वक्त व्यापारिक साझेदारों की सबसे ज्यादा दरकार है। इसमें भारत एक महत्वपूर्ण व्यापारिक साझेदार हो सकता है। लेकिन हाल फिलहाल इस तरीके की कोई संभावना दिखती हुई नजर नहीं आ रही है। इसलिए पाकिस्तान ने ईरान के साथ 10 अरब डॉलर तक व्यापार बढ़ाने की जरूरत बताई है। ताकि अर्थव्यवस्था में सुधार हो। लेकिन गुलाम अब्बास जैदी का मानना है कि व्यापार और आतंकवाद एक रास्ते से नहीं हो सकते।

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