इस्लामाबाद (Islamabad)। पाकिस्तान (Pakistan) की जेल में भारतीय कैदी सरबजीत सिंह (Indian prisoner Sarabjit Singh) की हत्या के आरोपी अमीर सरफराज तांबा (Amir Sarfaraz Tamba) की हत्या के एक दिन बाद पंजाब पुलिस (Punjab Police officer) के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बड़ा दावा किया है। वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) ऑपरेशंस लाहौर (Superintendent of Police (SSP) Operations Lahore) सैयद अली रजा (Syed Ali Raza) का कहना है कि तांबा अभी भी जीवित है लेकिन वह गंभीर रूप से घायल है। हालांकि, रजा ने यह नहीं बताया कि उन्हें इलाज के लिए कहा भेजा गया है। वहीं, जब भारतीय न्यूज एजेंसी ने लाहौर पुलिस के प्रवक्ता फरहान शाह से बात की तो उन्होंने मामले को संवेदनशील बताते हुए कुछ भी कहने से मना कर दिया।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान के आंतरिक मंत्री मोहसिन नकवी ने सोमवार को तांबा की हत्या में भारत का हाथ होने से इनकार नहीं किया है। उन्होंने कहा कि अतीत में पाकिस्तान में हुई कई हत्याओं में भारत सीधे तौर पर शामिल रहा है। पुलिस मामले की जांच की जांच कर रही है। मामले में भारत की संलिप्तता के बारे में कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी। हालांकि, उन्हें हत्या में भारत के शामिल होने का संदेह जरूर है।
कैसे दिया वारदात को अंजाम?
सूत्रों के मुताबिक, एक दिन पहले रविवार को सरबजीत की हत्या के आरोपी और लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) के संस्थापक हाफिज सईद के करीबी सहयोगी अमीर सरफराज तांबा पर इस्लामपुरा इलाके में मोटरसाइकिल सवार हमलावरों ने हमला किया था। उसे गंभीर हालत में अस्पताल ले जाया गया, जहां उसने दम तोड़ दिया। तांबा के परिवार के हवाले से रिपोर्ट में कहा गया कि दो लोग मोटरसाइकिल पर उनके घर आए और ऊपरी मंजिल पर खड़े तांबा को गोली मार दी।
रिपोर्ट में कहा गया कि तांबा के शरीर पर चार गोलियों लगीं। दो गोलिया तांबा की छाती और दो पैरों में लगीं। हमला करने वाले एक बंदूकधारी ने हेलमेट पहन रखा था तो दूसरे ने चेहरे पर नकाब डाल रखा था। दोनों गोली चलाने के बाद घटनास्थल से भाग गए। सूत्रों की मानें तो तांबा कारावास के दौरान जेल के अंदर मोबाइल फोन सहित सभी सुविधाओं का आनंद लेता था।
तांबा के बारे में जानिए
सरफराज जावेद का बेटा तांबा का जन्म 1979 में लाहौर में हुआ था। वह लश्कर संस्थापक का करीबी सहयोगी था। कहा जाता है कि हाफिज ने सरबजीत सिंह की हत्या के लिए तांबा को सम्मानित भी किया था। ‘लाहौर का असली डॉन’ के नाम से कुख्यात तांबा ‘ट्रकेनवाला गिरोह’ का हिस्सा था। वह संपत्ति व्यापार और मादक पदार्थों की तस्करी का काम करता था। वह हाल ही में गिरोह के एक सदस्य अमीर बालाज टीपू के साथ झड़प में शामिल था। टीपू लाहौर में एक शादी के रिसेप्शन के दौरान मारा गया था।
सरबजीत सिंह कौन थे?
सरबजीत सिंह भारत-पाकिस्तान सीमा पर बसे तरनतारन जिले के भिखीविंड गांव के रहने वाले थे। वे किसान थे। उनके परिवार में पत्नी सुखप्रीत कौर के अलावा दो बेटियां स्वप्नदीप और पूनम कौर थीं। सरबजीत की बहन दलबीर कौर ने 1991 से 2013 में उनकी मृत्यु तक उनकी रिहाई के लिए लगातार पैरवी की थी। 30 अगस्त 1990 को वह अनजाने में पाकिस्तानी सीमा में पहुंच गए थे, जहां से उन्हें पाकिस्तानी सेना ने गिरफ्तार कर लिया था।
सरबजीत सिंह को 1990 में पाकिस्तान में कई बम विस्फोटों में कथित तौर पर शामिल होने का दोषी करार दिया गया था। इसके लिए उन्हें मौत की सजा सुनाई गई थी। हालांकि, भारत में सरबजीत सिंह के परिवार का कहना है कि वह गलत पहचान का शिकार हुए और अनजाने में सीमा पार कर पाकिस्तान पहुंच गए थे।
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