PM मोदी ने सिंदरी को दिया नया जीवन, खुशी में बदली मायूसी; जानिए क्या है HURL प्रोजेक्ट

रांची: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के झारखंड दौरे को लेकर सबसे अधिक चर्चा अगर किसी बात की हो रही है तो वह है हर्ल कारखाना जिसको 20 वर्ष बाद पीएम मोदी नया जीवन दे रहे हैं. 20 वर्षों की लंबी प्रतीक्षा के बाद सिंदरी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हिंदुस्तान उर्वरक एवं रसायन लिमिटेड (hindustaan Urvarak Rasaayan Limited) यानी हर्ल (HURL) का उद्घाटन करने के साथ ही धनबाद जिला का सिंदरी एक बार फिर से औद्योगिक नगरी के रूप में सुर्खियों में आ जाएगा.

केंद्र सरकार ने इस उद्योग से वर्ष 2021 से ही उत्पादन शुरू करने का लक्ष्य दिया गया था, लेकिन कोरोना संकट के कारण देरी हुई. इसके बाद 17 नवंबर 2021, मार्च 2022 और फिर अप्रैल 2022 में शुरू करने की डेट तय हुई, लेकिन इसमें भी देरी हुई. लेकिन, अब यह पूरी तरह तैयार है और प्रतिदिन 4,100 मीट्रिक टन उर्वरक उत्पादन क्षमता के साथ तैयार है. इस वर्ष 10 लाख मीट्रिक टन यूरिया का उत्पादन किया गया है. बताया जा रहा है कि आने वाले वर्ष में निर्धारित लक्ष्य सालाना 12 लाख मीट्रिक टन है.

20 साल बंद हो गया था कारखाना
गौरतलब है कि स्वतंत्रता के बाद फर्टिलाइजर कारपोरेशन ऑफ इंडिया ने खाद कारखाना सिंदरी में खोला था. घाटे के कारण वर्ष 1991 में यह कारखाना औद्योगिक और वित्तीय पुनर्निर्माण यानी बीआइएफआर में चला गया. पांच सितंबर 2002 को तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार ने सिंदरी समेत गोरखपुर, तालचर और रामागुंडम के खाद कारखाने को बंद करने का निर्णय लिया और 31 दिसंबर, 2002 को यह कारखाना बंद कर दिया गया.

पीएम मोदी ने 4 साल पहले किया था शिलान्यास
इसके बाद वर्ष 2018 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ध्यान इस ओर गया और सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम नेशनल थर्मल पावर कारपोरेशन लिमिटेड, कोल इंडिया लिमिटेड, इंडियन आयल कारपोरेशन लिमिटेड, फर्टीलाइजर कारपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड और हिंदुस्तान फर्टीलाइजर कारपोरेशन लिमिटेड को मिलाकर हर्ल (HURL) का निर्माण किया गया. इसके बाद 5 मई 2018 को पीएम नरेंद्र मोदी ने बलियापुर हवाई पट्टी से इसका शिलान्यास किया था.

पीएम नरेंद्र मोदी हाथों ही उद्घाटन भी
पीएम मोदी की इस सोच के कारण मायूस सिंदरी में खुशी छा गई और अब यह साकार होने वाला है. निर्माण में विदेशी व देशी कंपनियों का सहयोग इसके निर्माण में देशी-विदेशी तकनीक व कंपनियों का सहयोग रहा है. फ्रांस की तकनीक पर यह आधारित है. निर्माण में एलएंडटी के अलावा अहमदाबाद, बेंगलुरु समेत कई अन्य जगहों का भी कंपनियों का सहयोग है. खास बात यह है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस कारखाना का शिलान्यास किया और अब उन्हीं के हाथों इसका उद्घाटन भी तय हुआ.

हर्ल की लागत और उत्पादन क्षमता
मिली जानकारी के अनुसार, 8939.25 करोड़ रुपये की लागत से लगभग चार साल में निर्मित हर्ल प्रोजेक्ट से इस साल 10 लाख मीट्रिक टन यूरिया का उत्पादन किया गया. आने वाले वर्ष में हम यूरिया का निर्धारित लक्ष्य सालाना 12 लाख मीट्रिक टन प्राप्त करना है. वर्तमान में हर्ल प्रोजेक्ट सिंदरी मे 4.9 जीसीएएल ऊर्जा की खपत हो रही है, जबकि अन्य गैस आधारित उर्वरक संयंत्र में ऊर्जा की खपत 5.4 जीसीएएल है. एक साल में 32.5 लाख मीट्रिक टन नीम कोटेड यूरिया का उत्पादन हुआ है.

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