PM मोदी ने ईरान के राष्ट्रपति को किया फोन, इजरायल-हमास युद्ध पर की बातचीत

नई दिल्‍ली (New Delhi) । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) और ईरान (iran) के राष्ट्रपति सैयद इब्राहिम रईसी (President Syed Ibrahim Raisi) के बीच सोमवार को टेलीफोन पर बातचीत हुई। इस दौरान दोनों ने पश्चिम एशिया क्षेत्र में मुश्किल हालात और इजरायल-हमास संघर्ष पर खुलकर चर्चा की। प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) की ओर से बयान जारी करके यह जानकारी दी गई। बयान के मुताबिक, पीएम मोदी ने आतंकवादी घटनाओं, हिंसा और आम नागरिकों की मौत पर गहरी चिंता जताई। रईसी के साथ टेलीफोन पर हुई बातचीत में मोदी ने इजरायल-फिलिस्तीन मुद्दे पर भारत के पुराने और सुसंगत रुख को दोहराया।

पीएम मोदी ने एक्स पर पोस्ट करके कहा, ‘पश्चिम एशिया की कठिन स्थिति और इजरायल-हमास संघर्ष पर ईरान के राष्ट्रपति रईसी के साथ दृष्टिकोणों का आदान-प्रदान किया। आतंकवादी घटनाएं, हिंसा और नागरिकों की मौत गंभीर चिंता का विषय है।’ उन्होंने कहा कि तनाव बढ़ने से रोकना, निरंतर मानवीय सहायता सुनिश्चित करना और शांति व स्थिरता की शीघ्र बहाली बेहद अहम है। साथ ही चाबहार बंदरगाह सहित हमारे द्विपक्षीय सहयोग में प्रगति का स्वागत किया।

तनाव कम करने पर दोनों नेताओं का जोर
बयान में कहा गया कि राष्ट्रपति रईसी ने पश्चिम एशिया की मौजूदा स्थिति को लेकर अपने विचार शेयर किए। इसमें कहा गया कि दोनों नेताओं ने तनाव को कम करने, निरंतर मानवीय सहायता सुनिश्चित करने और शांति व स्थिरता की शीघ्र बहाली सुनिश्चित करने की आवश्यकता पर बल दिया। दोनों नेताओं ने बहुआयामी द्विपक्षीय सहयोग में प्रगति की भी समीक्षा की। पीएम मोदी और राष्ट्रपति रईसी ने क्षेत्रीय कनेक्टिविटी में सुधार के लिए ईरान में चाबहार बंदरगाह को प्राथमिकता देने का स्वागत किया।

ग्लोबल लीडर्स संग पीएम मोदी की लगातार बातचीत
पीएमओ की ओर से जारी बयान में कहा गया कि दोनों पक्ष क्षेत्रीय शांति, सुरक्षा और स्थिरता में साझा हित को देखते हुए संपर्क में बने रहने पर सहमत हुए। रईसी के साथ मोदी की बातचीत इजरायल-हमास संघर्ष में वृद्धि के मद्देनजर क्षेत्र के शीर्ष नेताओं के साथ चल रही उनकी बातचीत का हिस्सा है। पिछले हफ्ते पीएम मोदी ने ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक और संयुक्त अरब अमीरात (UAE) के राष्ट्रपति मोहम्मद बिन जायद अल नाह्यान से भी अलग-अलग बात की थी, जिसके दौरान आतंकवाद और नागरिकों की मौत पर चिंताएं साझा की गईं थीं।

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