बेचारा पाकिस्तान… जिंदा नाम… मुर्दा अवाम


उसके दर्द की दवा क्या है… जो दवा को भी दर्द का सामान बना डाले… सौंपी थी जिसे हंसती-खेलती भारत की धरती… उसे मौत और मुफलिसी का पाकिस्तान बना डाला… उस पर ना रोष ना आक्रोश आता है… लेकिन दया और करुणा से दिल भर जाता है, क्योंकि उस छोर पर वो लोग ही बसते हैं, जिनके अपनों ने कभी इस देश की आजादी की जंग में फिरंगियोंं से लोहा लिया था… लाठी, गोलियां से लेकर तोपों के सामने सीना चौड़ा किया था… जिन्होंने कभी कल्पना नहीं की थी, इस देश के टुकड़ेे की, क्योंकि उन्होंने भी तो देश की अखंडता के लिए लोहा लिया था… लेकिन चंद हुकूमत के भूखों ने मजहब की सीढिय़ां चढक़र भारत की धरती को पाकिस्तान बना डाला… बनाया जो बनाया, लेकिन अपने ही लोगों की जिदंगी को मिटा डाला… जिसके पास ताकत होती है, वह हिमाकत कर जाता है… कहने को वो उस देश के फौजी कहलाते हैं, लेकिन अपनी ही अवाम के चुने लोकतंत्र को छलनी कर सत्ता में आ जाते हैं… जिन फिरंगियों को उनके अपनों नेे देश से निकालकर धरती को आजाद कराया… उन्हीं फिरंगियों के गुलाम बनकर पूरे देश को गिरवी रख डालते हैं… जिस पाकिस्तान को फौजी हथियाते हैं… उसी देश के नेता भी दुबककर फिरंगियों की शरण में चले जाते हैं… जिस देश की सेना ही सत्ता को लूटती है और नेतृत्व इतना डरा-सहमा हो वहां की अवाम की जिंदगी जिल्लत और किल्लत में ही गुजरती है… जनता भूखी सोती है… बच्चे हथियार उठाते हैं… रोटी के लिए अपने अपनों को मारते हैं… पहले तो नेताओं से लेकर फौज तक आतंकवादी पालती थी, लेकिन अब उनका अपना देश आतंक से कांप रहा है… आटे के लिए इधर-उधर भाग रहा है और देश का मुखिया कटोरा लेकर विदेशों में भीख मांग रहा है… देश के खजाने में खुरचन बची है और उसे अमेरिका से लेकर चीन तक टुंगा रहा है… वाकई में पाकिस्तान की हालत देखकर तरस आ रहा है… भारत का मुसलमान फक्र से जीवन बिता रहा है, वहीं पाकिस्तान का मजहबी अवाम कौड़ी-कौड़ी के लिए मोहताज हुए जा रहा है… जो भारत में रहकर पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे लगाते हैं, उन्हें अपनी बुद्धि पर तरस आना चाहिए… जहां जीवन मुर्दा नजर आता है वह देश जिंदा कैसे हो सकता है… जिन्हें भारत पसंद नहीं हो उन्हें पाकिस्तान चले जाना चाहिए… देश तो देश मजहब से इतनी वफा तो निभाना चाहिए….

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