ई-वे बिल में इनवायस सीमा दोगुना करने की तैयारी

  • एक अप्रैल से बदलाव की तैयारी, वाणिज्यिक कर विभाग जुटा रायशुमारी में

भोपाल। जीएसटी कर प्रणाली के अंतर्गत माल परिवहन पर लागू होने वाले ई-वे बिल के नियमों में बड़ा बदलाव होने जा रहा है। अभी 41 श्रेणियों की वस्तुओं के प्रदेश में एक जिले से दूसरे जिले के परिवहन पर ई-वे बिल अनिवार्य है। अब इस सूची में कर योग्य सभी तरह की वस्तुएं शामिल करने पर विचार शुरू हो गया है। इसी के साथ ई-वे बिल के लिए इनवायस की सीमा को भी 50 हजार से बढ़ाकर दोगुना किया जा सकता है। 1 अप्रैल से नए प्रविधान लागू भी कर दिए जाएंगे। ई-वे बिल की व्यवस्था में होने वाले संशोधनों से पहले वाणिज्यिक कर विभाग ने पूरे प्रदेश में रायशुमारी शुरू कर दी है। प्रदेश के सभी जिलों के प्रमुख व्यापारी संगठनों और कर विशेषज्ञों से विभाग इस विषय पर सुझाव एकत्र कर रहा है। इन सुझावों के आधार पर मार्च में नई अधिसूचना जारी की जाएगी।

नए वित्त वर्ष से लागू होंगे संशोधन
संशोधनों को नए वित्त वर्ष से लागू कर दिया जाएगा। दरअसल 2 दिसंबर को ई-वे बिल को लेकर जब नया नोटिफिकेशन जारी हुआ था तो उसे लेकर कारोबारी जगत का असंतोष सामने आया था। इसमें किराना श्रेणी में 15 से ज्यादा वस्तुओं के साथ सुपारी, मिनरल वाटर, चाकलेट, पेंट, हार्डवेयर, सूखे मेवे, पैकिंग मटेरियल, क्राकरी, कास्मेटिक, धातुओं, रबर के आइटम के साथ स्क्रैप, कपड़े व प्लास्टिक को भी ई-वे बिल के दायरे में शामिल कर लिया गया था। जानकारी के अनुसार जीएसटी में हर वस्तु का अलग एचएसएन कोड होता है। सिर्फ श्रेणी लिखने से नहीं, अपितु उसमें कौन से कोड को रखा गया है, इससे ही स्पष्ट होता है कि ई-वे बिल अनिवार्य है या नहीं। ऐसे में कारोबारियों में खासा संशय भी बना हुआ था।

मौजूदा सीमा अव्यावहारिक
उधर व्यापारियों का कहना है कि हमने वाणिज्यिक कर मंत्री जगदीश देवड़ा और आयुक्त लोकेश जाटव से मिलकर परेशानी बताई थी। हींग या सूखे मेवे जैसी महंगी सामग्री में एक बोरी की कीमत 50 हजार सेे ऊपर हो जाती है। ऐसे में ई-वे बिल का परिपालन अव्यावहारिक है। मप्र किराना व्यापारी फेडरेशन ने सीमा को 3 लाख रुपये करने की मांग भी रखी है। सिर्फ मप्र और राजस्थान ही ऐसे राज्य हैं जिसमें एक ही प्रदेश में माल परिवहन पर ई-वे बिल लगता है।

इनका कहना है
ई-वे बिल व्यवस्था के भागीदार सभी पक्षों से विभाग सुझाव ले रहा है। इसके आधार पर तर्कसंगत परिवर्तन कर नए नियम नए वित्तीय वर्ष से लागू किए जाएंगे। राजस्व बढ़ाने के साथ करदाता और व्यापारियों की सुविधा के लिए भी शासन सचेत है।
लोकेश जाटव, आयुक्त मप्र वाणिज्यिक कर

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