दो दिवसीय मणिपुर दौरे पर जाएंगे राहुल गांधी, दो महीने की हिंसा में 120 लोगों ने गंवाई जान

नई दिल्‍ली (New Delhi) । पूर्वोत्तर राज्य मणिपुर (Manipur) दो महीने से हिंसा (violence) की आग में जल रहा है. ऐसे में कांग्रेस (Congress) के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी (Leader Rahul Gandhi) 29 से 30 जून को मणिपुर दौरे पर होंगे.

कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल ने ट्वीट कर बताया कि राहुल गांधी 29 से 30 जून को मणिपुर दौरे पर होंगे. वह इस दौरान इम्फाल और चूराचांदपुर में राहत शिविरों का दौरा करेंगे और सिविल सोसाइटी के प्रतिनिधियों से मिलेंगे. मणिपुर लगभग दो महीने से जल रहा है और वहां शांति की जरूरत है ताकि समाज संघर्ष से शांति की ओर लौट सके. यह एक मानवीय त्रासदी है और यह हमारी जिम्मेदारी है कि हम नफरत नहीं बल्कि प्यार बढ़ाएं.

इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार आधीरात को अमेरिका और मिस्र के पांच दिवसीय दौरे से स्वदेश लौटने के बाद मणिपुर के हालात का जायजा लिया था.

विपक्ष उठा रहा है सवाल
मणिपुर में तीन मई को हिंसा भड़कने के बाद से ही विपक्ष लगातार प्रदेश की स्थिति को लेकर सवाल उठा रहा है. विपक्षी पार्टियां केंद्र सरकार और बीजेपी को निशाना बना रही हैं. इन पार्टियों ने विदेश दौरे से पहले पीएम मोदी से भी मिलने के वक्त मांगा था. इसके बाद सभी पार्टियों ने मिलकर मणिपुर पर ज्ञापन जारी किया था. इस सबके बीच गृह मंत्री अमित शाह ने विपक्षी दलों की बैठक बुलाई थी. बैठक में गृहमंत्री ने विपक्षी दलों की बात सुनी और मणिपुर के हालात जल्द सामान्य होने के भरोसा दिलाया था.

कब से जल रहा है मणिपुर?
– तीन मई को ऑल ट्राइबल स्टूडेंट्स यूनियन मणिपुर (ATSUM) ने ‘आदिवासी एकता मार्च’ निकाला. ये रैली चुरचांदपुर के तोरबंग इलाके में निकाली गई.

– इसी रैली के दौरान आदिवासियों और गैर-आदिवासियों के बीच हिंसक झड़प हो गई. भीड़ को तितर-बितर करने के लिए पुलिस ने आंसू गैस के गोले दागे.

– तीन मई की शाम तक हालात इतने बिगड़ गए कि राज्य सरकार ने केंद्र से मदद मांगी. बाद में सेना और पैरामिलिट्री फोर्स की कंपनियों को वहां तैनात किया गया.

– ये रैली मैतेई समुदाय की अनुसूचित जनजाति का दर्जा दिए जाने की मांग के खिलाफ निकाली गई थी. मैतेई समुदाय लंबे समय से अनुसूचित जनजाति यानी एसटी का दर्जा देने की मांग हो रही है.

– पिछले महीने मणिपुर हाईकोर्ट के एक्टिंग चीफ जस्टिस एमवी मुरलीधरन ने एक आदेश दिया था. इसमें राज्य सरकार को मैतेई समुदाय को जनजाति का दर्जा दिए जाने की मांग पर विचार करने को कहा था. इसके लिए हाईकोर्ट ने सरकार को चार हफ्ते का समय दिया है.

– मणिपुर हाईकोर्ट के इस आदेश के बाद नगा और कुकी जनजाति समुदाय भड़क गए. उन्होंने 3 मई को आदिवासी एकता मार्च निकाला.

मैतेई क्यों मांग रहे जनजाति का दर्जा?
– मणिपुर में मैतेई समुदाय की आबादी 53 फीसदी से ज्यादा है. ये गैर-जनजाति समुदाय है, जिनमें ज्यादातर हिंदू हैं. वहीं, कुकी और नगा की आबादी 40 फीसदी के आसापास है.

– राज्य में इतनी बड़ी आबादी होने के बावजूद मैतेई समुदाय सिर्फ घाटी में ही बस सकते हैं. मणिपुर का 90 फीसदी से ज्यादा इलाकी पहाड़ी है. सिर्फ 10 फीसदी ही घाटी है. पहाड़ी इलाकों पर नगा और कुकी समुदाय का तो घाटी में मैतेई का दबदबा है.

– मणिपुर में एक कानून है. इसके तहत, घाटी में बसे मैतेई समुदाय के लोग पहाड़ी इलाकों में न बस सकते हैं और न जमीन खरीद सकते हैं. लेकिन पहाड़ी इलाकों में बसे जनजाति समुदाय के कुकी और नगा घाटी में बस भी सकते हैं और जमीन भी खरीद सकते हैं.

– पूरा मसला इस बात पर है कि 53 फीसदी से ज्यादा आबादी सिर्फ 10 फीसदी इलाके में रह सकती है, लेकिन 40 फीसदी आबादी का दबदबा 90 फीसदी से ज्यादा इलाके पर है.

Leave a Comment