भगौड़ों की तलाश में जगह-जगह छापे, हस्ताक्षरों का दूसरा सेट आज जांच के लिए भिजवाएंगे

क्रिस्टल और ईश्वर फर्मों को कितने करोड़ का भुगतान हुआ उसकी जानकारी भी मांगी

– ठगोरे ठेकेदारों की रिमांड 10 मई तक मिली
– पुरानी फाइलों को भी खंगालने में जुटी पुलिस
– भगोड़े इंजीनियर पर बढ़ेगी इनामी राशि
– उजागर फर्मों की कुंडली भी निगम से मांगी

इंदौर।निगम (Corporation) के बहुचर्चित फर्जी बिल घोटाले (fake bill scam) में शासन (Government) की जांच कमेटी के तो कल तक अते-पते नहीं थे। दूसरी तरफ निगम की लेखा शाखा दो और उजागर हुई फर्मों क्रिस्टल और ईश्वर (Crystals and God) की कुंडली भी तैयार करने में जुटी है, क्योंकि पुलिस ने भी इन फर्मों की जानकारी मांगी है। दूसरी तरफ ठगोरे ठेकेदारों की पुलिस रिमांड भी कल कोर्ट से 10 मई तक और मिल गई, जो इन फर्मों की पुरानी फाइलों को भी पुलिस द्वारा खंगाला जा रहा है। नगर निगम के भगोड़े इंजीनियर अभय राठौर की तलाश में कई ठिकानों पर छापे भी मारे गए और आज उस पर घोषित ईनाम की राशि भी पुलिस बढ़ाकर 25 हजार तक कर सकती है।

पुलिस ने कल निगम के ही एक और कर्मचारी, जो कि लेखा शाखा में आवक-जावक का काम देखता है, उसे भी आरोपी बनाकर गिरफ्तार कर लिया। डीसीपी झोन-3 पंकज पांडे के मुताबिक इस कर्मचारी मुरलीधर से भी पूछताछ की जा रही है। साथ ही हस्ताक्षरों का दूसरा सेट भी जांच के लिए भेजा जा रहा है। पूर्व में भेजे गए पहले सेट की अभी रिपोर्ट प्राप्त नहीं हुई है। पांडे के मुताबिक निगम के इंजीनियर अभय राठौर, जो कि फिलहाल फरार है और उन पर 10 हजार रुपए का ईनाम भी घोषित कर रखा है। उसकी सिरगर्मी से तलाश जारी है और घोषित की गई ईनाम की राशि भी बढ़ाई जा रही है। उसके साथ ही पुलिस गिरफ्त में आए तीन आरोपी ठेकेदार मोहम्मद जाकिर, राहुल वडेरा और निगमकर्मी राजकुमार सालवी की रिमांड अवधि खत्म होने के बाद उन्हें कल कोर्ट में पेश किया गया और पुलिस के आवेदन पर कोर्ट ने तीन दिन का और रिमांड 10 मई तक बढ़ा दिया है। इस दौरान पुलिस इन तीनों आरोपियों से इस महाघोटाले से जुड़े अन्य राज भी उगलवाएगी। वहीं अन्य आरोपियों को जेल भेज दिया था। जिन दो नई फर्मों, ईश्वर और क्रिस्टल इंटरप्राइजेस के कर्ताधर्ता इमरान खान और मौसम व्यास को जहां आरोपी बनाया है, वहीं उनकी भी अभय राठौर के साथ तलाश की जा रही है और इन पर भी 5-5 हजार रुपए का ईनाम पुलिस घोषित कर चुकी है। इन दोनों फर्मों की जानकारी भी निगम की लेखा शाखा से पुलिस ने मांगी है, ताकि पता लग सके कि इन फर्मों के जरिए कितने करोड़ का घोटाला किया गया। वैसे भी निगम का यह महाघोटाला 125 करोड़ का आंकड़ा पार कर चुका है, जिसमें से 80 करोड़ रुपए से अधिक के भुगतान हो जाने की जानकारी भी निगम ने कबूल की है। एमजी रोड थाना प्रभारी विजयसिंह सिसोदिया के मुताबिक अभय राठौर की सम्पत्तियों की भी जानकारी जुटाई जा रही है। साथ ही उसकी तलाश में स्थानीय ठिकानों पर भी छापे मारे गए हैं। पुलिस का यह भी कहना है कि मुख्य ठेकेदार राहुल वडेरा, जिसके बारे में कई चौंकाने वाली जानकारी हाथ लगी है और अग्रिबाण ने भी उसका खुलासा किया है, उसने निगम इंजीनियर अभय राठौर को ही मुख्य मास्टरमाइंड बताया है। किसी अन्य अधिकारी यानी अपर आयुक्त से लेकर अन्य किसी का भी नाम इन गिरफ्त में आए ठेकेदारों ने पूछताछ में नहीं लिया है। वहीं 2018 के पहले भी इन फर्मों ने इसी तरह के घोटाले ड्रेनेज के साथ अलग-अलग विभागों में किए, उसकी भी जानकारी पुलिस द्वारा जुटाई जा रही है, क्योंकि इन पांचों ठेकेदार फर्मों का रजिस्ट्रेशन निगम में वर्ष 2010-11 से बताया गया है। शुरुआत में कुछ छोटे काम इन फर्मों ने किए और उसके बाद फर्जी बिल घोटाले को सुनियोजित तरीके से अंजाम दिया है। इसमें ऑडिट शाखा की सबसे बड़ी लापरवाही निगम की जांच रिपोर्ट में भी सामने आई है।

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