राजीव गांधी अनिच्छा से राजनीति में आए, उन्हें पढ़ाई भी अच्छी नहीं लगती थी, जानिये क्या थे उनके शौक

नई दिल्ली। आज भारत के सबसे युवा प्रधानमंत्री (Youngest Prime Minister of India) रहे राजीव गांधी (Rajiv Gandhi) का जन्मदिन है। उन्होंने 40 साल की उम्र में ही देश की बागडोर संभाली। राजीव अनिच्छा से राजनीति में आए थे लेकिन राजनीति में अनुभवहीन होने के बावजूद उन्हें बहुत लोकप्रियता मिली. अपने कॉलेज के दिनों में वे अपनी पढ़ाई पूरी नहीं कर सके और भाई की मौत के बाद उन्हें अपने पसंदीदा पायलट की नौकरी छोड़कर, ना चाहते हुए भी राजनीति (Politics) में आना पड़ा. आइए जानते हैं राजीव के जीवन में ऐसा क्या क्या था जो उन्हें बहुत अच्छा लगता था.

पढ़ाई नहीं हो सकी पूरी
राजीव गांधी का जन्म साल 1944, 20 अगस्त को मुंबई में हुआ था. वे स्कूल के दिनों में शर्मीले और अंतर्मुखी हुआ करते थे. पहले दिल्ली और उसके बाद देहरादून में पढ़ाई के बाद वे इंजीनियरिंग की पढ़ने के लिए लंदन की कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी चले गए थे. वे तीन साल तक कैम्ब्रिज में पढ़े लेकिन उनकी पढ़ाई पूरी नहीं हो सकी. 1966 में उन्होंने इंपीरियाल कॉलेज लंदन में मैकेनिकल इंजिनियरिंग का कोर्स शुरू किया लेकिन वे यहां भी डिग्री हासिल नहीं कर सके और भारत लौट आए. बाद में राजीव ने खुद बताया कि उन्हें परीक्षा के लिए रटना बिलकुल अच्छा नहीं लगता था.

राजनीति में आए अनिच्छा से
1966 में इंदिरा गांधी प्रधानमंत्री बनीं और जब राजीव अपनी मां के पास लौटे तो उन्होंने राजनीति में दिलचस्पी नहीं दिखाई,. 1968 में सोनिया गांधी से शादी की और दो साल बाद राहुल गांधी और उसके दो साल बाद प्रियंका गांधी का जन्म हुआ. साल 1980 में राजीव के भाई संजय गांधी की विमान दुर्घटना में मौत हो गई. इसके बाद वे अनमने दिल से मां इंदिरा गांधी के लिए राजनीति में आ गए. राजनीति में आने पर उन्हें अनुभवहीन होने की तमगा दिया गया था।

उड़ने का शौक
भारत आकर राजीव दिल्ली के फ्लाइंग क्लब के सदस्य बन गए थे और पायलट बनने का प्रशिक्षण हासिल किया था. उन्होंने एक बार जिक्र किया था कि उन्हें बचपन से ही पायलट बनने का शौक था. शादी के बाद राहुल गांधी के पैदा होने के समय उन्होंने एयर इंडिया में पायलट की नौकरी कर ली थी. लेकिन राजनीति में आने के बाद उन्हें अपना शौक और नौकरी दोनों छोड़ने पड़े।

फोटोग्राफी का शौक
बहुत कम लोग जानते हैं कि राजीव को फोटोग्राफी का भी शौक था. फोटोग्राफी के बारे में वो गहरी समझ रखते थे. कई मौकों पर फोटोग्राफी को लेकर किताब लिखने का भी निवेदन किया गया, लेकिन तस्वीरों खींचने का शौक उन्होंने हमेशा निजी ही रखा और अपने जीवनकाल में वे किताब पर काम नहीं कर सके. हां उनके निधन के बाद सोनिया गांधी ने उनकी खींची तस्वीरों पर ‘राजीव्स वर्ल्ड- फोटोग्राफ्स बाय राजीव गांधी’ नाम से एक किताब प्रकाशित करवाई जिसमे उनके खींचे बहुत खूबसूरत तस्वीरें हैं. इस किताब में जंगल, नदी, पहाड़, जैसे कई प्राकृतिक नजारों की तस्वीरें हैं तो राजीव ने चार दशकों में खींचे थे।

संगीत में रुचि और गाड़ी चलाने का शौक
राजीव को संगीत में बहुत रुचि थी. उन्हें वेस्टर्न और हिंदुस्तानी क्लासिकल के साथ मॉडर्न म्यूजिक भी बहुत पसंद था. रेडियो सुनने का जैसे उनमें जुनून था. शायद पायलट बनने के समय से ही राजीव को ड्राइविंग सीट बहुत पसंद थी. यही वजह थी प्रधानमंत्री होने के समय भी वे कई बार अपने गाड़ी खुद चलाया करते थे. वे एकमात्र ऐसे प्रधानमंत्री हैं खुद जो गाड़ी चलाते थे।

कम्प्यूटर और तकनीकी में भी रुचि
कहा जाता है कि यह राजीव गांधी की कम्प्यूटर में ही दिलचस्पी थी जिससे उन्होंने भारत के प्रधानमंत्री पद पर रहते हुए ऐसे फैसले लिए जिससे भारत में तकनीकी और संचार क्रांति की नींव रखी गई. भारत सरकार में विज्ञान और प्रौद्योगिकी को भी बढ़ावा दिया और भारत के अपने सुपरकम्प्यूटर को बनाने के लिए हर जरूरी कदम उठाए।

आजादी से पहले ही भारतीय संघ में मिलने लगी थीं रियासतें
राजीव के कार्यकाल में कई साहसिक कदम उठाए गए. चाहे उत्तरपूर्व के राज्यों से समझौतें हों, पंजाब में आकालियों से समझौते या अंतरराष्ट्रीय स्तर पर दक्षेस की स्थापना के साथ चीन के साथ बातचीत की पहल। राजनैतिक रूप से ये फैसले कितने ही विवादित क्यों ना हों, लेकिन तत्कालीन हालात के मुताबिक उन्होंने साहसिक कदम ही माना गया. साल 1991 के 21 मई को एक आंतकी आत्मघाती विस्फोट में राजीव गांधी की हत्या हो गई. यह एक विशुद्ध राजनैतिक रूप से बदला लेने का काम था जो तमिल आतंकी लिट्टे ने अंजाम दिया था।

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