रमन सिंह बने विधानसभा अध्यक्ष, CM विष्णु देव साय के प्रस्ताव का भूपेश बघेल ने भी किया समर्थन

रायपुर: छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव के बाद विधानसभा का पहला सत्र मंगलवार 19 दिसंबर को शुरू हुआ. नवनिर्वाचित सदन का पहला सत्र शुरू होने के साथ ही नए विधानसभा अध्यक्ष के नाम का भी ऐलान हो गया. छत्तीसगढ़ की राजनीति के वरिष्ठ राजनेता व भारतीय जनता पार्टी (BJP) के विधायक पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह को सर्वसम्मति से राज्य की विधानसभा का अध्यक्ष चुना गया.

सत्र के पहले दिन सबसे पहले अस्थायी अध्यक्ष (प्रोटेम स्पीकर) रामविचार नेताम ने भाजपा और कांग्रेस के विधायकों तथा गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के एक विधायक को शपथ दिलाई. प्रदेश के नए मुख्यमंत्री विष्णु देव साय, नेता प्रतिपक्ष चरणदास महंत, उप मुख्यमंत्री अरुण साव और विजय शर्मा, पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह और भूपेश बघेल उन विधायकों में शामिल रहे, जिन्हें प्रोटेम स्पीकर ने शपथ दिलाई.

विधायकों के शपथ ग्रहण के बाद छत्तीसगढ़ की छठवीं विधानसभा के अध्यक्ष का चुनाव हुआ. मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने रमन सिंह को विधानसभा अध्यक्ष के रूप में चुने जाने का प्रस्ताव रखा, जिसका उप मुख्यमंत्री अरुण साव ने समर्थन किया. विपक्ष के नेता चरणदास महंत ने भी रमन सिंह को विधानसभा अध्यक्ष के रूप में चुने जाने का प्रस्ताव रखा, जिसका भूपेश बघेल ने समर्थन किया. रमन सिंह के पक्ष में भाजपा सदस्यों द्वारा तीन और प्रस्ताव पेश किए गए.

सात बार विधायक रहे रमन सिंह ने 2008, 2013, 2018 और 2023 में लगातार चार बार राजनांदगांव सीट से जीत हासिल की है. 1999 में उन्हें एक बार लोकसभा सदस्य के रूप में चुना गया और अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग राज्य मंत्री के रूप में नियुक्त किया गया था. हाल ही में संपन्न विधानसभा चुनाव में सिंह ने कांग्रेस के गिरीश देवांगन को 45,084 मतों के अंतर से हराया था. सिंह को छत्तीसगढ़ को विकास की राह पर ले जाने का श्रेय भी दिया जाता है. उन्होंने अपने 15 साल के लंबे राजनीतिक कार्यकाल (2003 से 2018) के दौरान एक सक्षम प्रशासक होने की प्रतिष्ठा अर्जित की है.

भाजपा ने पिछले माह राज्य में मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित किए बिना विधानसभा चुनाव लड़ा था. चुनाव में जीत के बाद सिंह मुख्यमंत्री पद के दावेदार माने जा रहे थे, लेकिन पार्टी ने वरिष्ठ आदिवासी नेता विष्णुदेव साय के हाथ में राज्य की कमान सौंप दी. वहीं विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा. भाजपा ने राज्य में पांच साल के अंतराल के बाद 90 में से 54 सीट जीतकर सत्ता में वापसी की है, जबकि 2018 में 68 सीट जीतने वाली कांग्रेस 35 सीट पर सिमट गई. गोंडवाना गणतंत्र पार्टी एक सीट जीतने में कामयाब रही है.

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