आरबीआई ने चालू वित्त वर्ष के लिये महंगाई दर अनुमान को बढ़ाया


मुम्बई । भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की मौद्रिक नीति समिति (Monetary Policy Committee) ने चालू वित्त वर्ष (Current Financial Year) की पहली समीक्षा बैठक में वित्त वर्ष 22-23 के लिये महंगाई दर (Inflation Rate) के अनुमान (Forecast) को बढ़ाकर (Raises) 5.7 प्रतिशत (5.7 percent) कर दिया है। इससे पहले चालू वित्त वर्ष के लिये महंगाई दर अनुमान 4.5 प्रतिशत था।

मौद्रिक नीति समिति की बैठक के बाद आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांता दास ने शुक्रवार को कहा कि इस साल सामान्य मानसून के अनुमान, कच्चे तेल की कीमतों के औसतन 100 डॉलर प्रति बैरल पर रहने सहित अन्य कारकों को ध्यान में रखते हुये चालू वित्त वर्ष के लिये महंगाई दर के अनुमान को बढ़ाकर 5.7 प्रतिशत किया जा रहा है। मौद्रिक नीति समिति ने साथ ही चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही के लिये महंगाई दर के 6.3 प्रतिशत, दूसरी तिमाही में 5.8 प्रतिशत, तीसरी तिमाही में 5.4 प्रतिशत और चौथी तिमाही में 5.1 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया है।

शक्तिकांता दास ने कहा कि फरवरी 2022 के बाद भू-राजनीतिक तनाव के बढ़ने से पूर्वानुमान में संशोधन किया गया है और इस तनाव का पर्याप्त असर पूरे साल के दौरान महंगाई दर पर दिखेगा। उन्होंने कहा कि खाद्य पदार्थो के संदर्भ में देखें तो रिकॉर्ड स्तर पर होने वाली रबी की फसल से कुछ हद तक अनाजों और दालों की घरेलू कीमतों पर काबू पाया जा सकेगा। हालांकि, गेहूं की आपूर्ति के बाधित होने से अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर गेहूं की कीमतों में आई अप्रत्याशित तेजी का दबाव घरेलू बाजार पर भी रहेगा।

आरबीआई गवर्नर ने कहा कि प्रमुख उत्पादकों पर लगे निर्यात प्रतिबंधों के कारण खाद्य तेलों की कीमतों पर निकट अवधि में दबाव बना रहेगा। वैश्विक आपूर्ति संकट का दबाव चारे पर रहेगा, जिससे दूध एवं दुग्ध उत्पादों और पोल्ट्री की कीमतें प्रभावित रहेंगी।उन्होंने कच्चे तेल की कीमतों में तेजी का उल्लेख करते हुये कहा कि इसके प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष प्रभावों का असर महंगाई दर पर रहेगा। लॉजिस्टिक बाधा के कारण कृषि, विनिर्माण और सेवा क्षेत्रों की लागत बढ़ने की संभावना है। लागत बढोतरी का असर खुदरा कीमतों पर पड़ता है, इसी वजह से आपूर्ति प्रबंधन पर लगातार निगरानी की जरूरत है।

गौरतलब है कि मौदिक्र नीति समिति की बैठक शुक्रवार को समाप्त हुई है। समिति ने प्रमुख ब्याज दरों का लगातार 11वीं बार यथावत रखने का निर्णय लिया है। समिति ने रेपो दर को चार प्रतिशत पर और रिवर्स रेपो दर को 3.35 प्रतिशत पर पूर्ववत रखने की घोषणा की है। समिति ने 22 मई 2020 के बाद ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं किया है। मौद्रिक नीति समिति की अगली बैठक छह से आठ जून को होगी।

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