अक्षय ऊर्जा दिवस (20 अगस्त) पर विशेष
– योगेश कुमार गोयल
न केवल भारत बल्कि पूरी दुनिया में पारम्परिक ऊर्जा के मुकाबले अक्षय ऊर्जा की मांग निरन्तर बड़ी तेजी से बढ़ रही है। दरअसल वर्तमान में पूरी दुनिया पर्यावरण संबंधी गंभीर चुनौतियों से जूझ रही है और पारम्परिक ऊर्जा स्रोत इस समस्या को और ज्यादा विकराल बनाने में सहभागी बन रहे हैं जबकि अक्षय ऊर्जा इन चुनौतियों से निपटने में कारगर साबित हो सकती है। यही कारण है कि भारत में भी अक्षय ऊर्जा उत्पादन क्षमता को बढ़ाने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं। सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा इत्यादि का उत्पादन बढ़ाने के लिए बड़ी-बड़ी परियोजनाएं स्थापित की जा रही हैं। इसी कड़ी में पिछले ही महीने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा मध्य प्रदेश के रीवा में वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये चार हजार करोड़ की लागत से तैयार की गई अत्याधुनिक मेगा सौर ऊर्जा परियोजना का उद्घाटन किया गया था और उन्होंने उस दौरान सौर ऊर्जा को ‘श्योर, प्योर और सिक्योर’ बताते हुए अक्षय ऊर्जा के महत्व को स्पष्ट रेखांकित भी किया था। देश में अक्षय ऊर्जा को लेकर जागरुकता बढ़ाने के उद्देश्य से ही वर्ष 2004 से प्रतिवर्ष बीस अगस्त को अक्षय ऊर्जा दिवस मनाया जाता है।
करीब 1500 हेक्टेयर जमीन में फैली रीवा सौर ऊर्जा परियोजना की कुल क्षमता 750 मेगावाट है, जिसके लिए यहां 250-250 मेगावाट की तीन यूनिट स्थापित हैं। रीवा प्लांट की शुरुआत के साथ ही भारत दुनिया के शीर्ष पांच सौर ऊर्जा उत्पादक देशों में शामिल हो गया है। देश का यह पहला ऐसा सोलर प्लांट है, जहां एक ही प्वाइंट पर 750 मेगावाट सौर ऊर्जा का उत्पादन किया जा रहा है। एक ही साइट पर लगी तीन यूनिट से पावर जनरेट होकर एक सब-स्टेशन में जाती है और वहां से ग्रिड लाइन के जरिये मध्य प्रदेश तथा दिल्ली मेट्रो को बिजली की सप्लाई दी जा रही है। हालांकि कर्नाटक के पावगाड़ा में दो हजार मेगावाट से अधिक क्षमता के सोलर पार्क सहित देश में रीवा से ज्यादा सौर ऊर्जा का उत्पादन कर रहे कुछ और सोलर पार्क भी देश में ऊर्जा उत्पादन में महत्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं लेकिन रीवा का सोलर प्लांट अबतक का सबसे बड़ा सोलर प्लांट है। दरअसल सोलर प्लांट केवल एक प्लांट होता है, जैसा कि रीवा में स्थापित किया गया है, जहां एक ही प्वाइंट पर एक लाइन से ऊर्जा उत्पादन किया जाता है जबकि एक सोलर पार्क में अलग-अलग कई सोलर प्लांट हो सकते हैं। सोलर पार्क में अलग-अलग डवलपर कम क्षमताओं के प्लांट से ऊर्जा का उत्पादन करते हैं, जैसा कि कर्नाटक के सोलर पार्क में कुल 11 डवलपर अलग-अलग क्षमता के प्लांटों से दो हजार मेगावाट से अधिक ऊर्जा का उत्पादन कर रहे हैं।
अब यह भी जान लें कि अक्षय ऊर्जा और उसके स्रोत आखिर हैं क्या? ‘प्रदूषण मुक्त सांसें’ पुस्तक में बताया गया है कि अक्षय ऊर्जा वह ऊर्जा है, जो असीमित और प्रदूषणरहित है या जिसका नवीकरण होता रहता है। ऊर्जा के ऐसे प्राकृतिक स्रोत, जिनका क्षय नहीं होता, अक्षय ऊर्जा के स्रोत कहे जाते हैं। अक्षय ऊर्जा के महत्वपूर्ण स्रोतों में सूर्य, जल, पवन, ज्वार-भाटा, भूताप इत्यादि प्रमुख हैं। उदाहरण के रूप में सौर ऊर्जा को ही लें। सूर्य सौर ऊर्जा का मुख्य स्रोत है, जिसकी रोशनी स्वतः ही पृथ्वी पर पहुंचती रहती है। यदि हम सूर्य की इस रोशनी को सौर ऊर्जा में परिवर्तित नहीं भी करते हैं, तब भी यह रोशनी तो पृथ्वी पर आती ही रहेगी लेकिन चूंकि सूर्य से प्राप्त होने वाली इस असीमित ऊर्जा के उपयोग से न तो यह ऊर्जा घटती है और न ही इससे पर्यावरण को किसी भी प्रकार की क्षति पहुंचती है, इसीलिए सूर्य से प्राप्त होने वाली इस ऊर्जा को अक्षय ऊर्जा कहा जाता है। ग्लोबल वार्मिंग तथा जलवायु परिवर्तन से बचाव के दृष्टिगत ही आज अक्षय ऊर्जा को अपनाना समय की सबसे बड़ी मांग है। दरअसल पूरी दुनिया इस समय पृथ्वी के बढ़ते तापमान और ग्लोबल वार्मिंग के कारण बढ़ती प्राकृतिक आपदाओं को लेकर बेहद चिंतित है, इसीलिए कोयला, गैस, पैट्रोलियम पदार्थों जैसे ऊर्जा के परम्परागत स्रोतों के बजाय अक्षय ऊर्जा को बढ़ावा देना बेहद जरूरी है।
आज न केवल भारत बल्कि समूची दुनिया के समक्ष बिजली जैसी ऊर्जा की महत्वपूर्ण जरूरतों को पूरा करने के लिए सीमित प्राकृतिक संसाधन हैं, साथ ही पर्यावरण असंतुलन और विस्थापन जैसी गंभीर चुनौतियां भी हैं। इन गंभीर समस्याओं और चुनौतियों से निपटने के लिए अक्षय ऊर्जा ही एक ऐसा बेहतरीन विकल्प है, जो पर्यावरणीय समस्याओं से निपटने के साथ-साथ ऊर्जा की जरूरतों को पूरा करने में भी कारगर साबित होगी।
(लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं।)
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