रहवासी बोले, पहले 80 दुकानें लगती थीं, आज 250 दुकानें

चौपाटी वालों का कहना, हमसे ज्यादा गैस सिलेंडर आभूषण वालों के पास

हकीकत… पैदल चलना तक दूभर ….रात को कोई बीमार हो जाए तो नहीं ले जा सकते अस्पताल

इंदौर। कल रात जब सराफा (Sarafa Market) में महापौर (Mayor) द्वारा गठित जांच कमेटी निरीक्षण करने पहुंची तो रहवासियों का हुजूम उनके सामने पहुंच गया और अपनी पीड़ा बताते हुए कहा कि सराफा में कभी 80 दुकानें लगती थीं और 250 से ज्यादा दुकानें लगती हैं। पहले यह दुकानें (Shop) छोटा सराफा तक सीमित थीं, लेकिन अब पूरे बड़ा सराफा से होकर पीपली बाजार चौराहे तक जा पहुंचीं। इन दुकानों में अधिकाश चायनीज व्यंजनों की हैं। सैकड़ों सिलेंडर लेकर आते हैं। रहवासियों ने कहा कि अब इस इलाके में पैदल चलना तक दूभर है और रात को कोई बीमार हो जाए तो उसे अस्पताल तक नहीं ले जा सकते।

कल कमेटी के सदस्यों के सामने पीपली बाजार, शक्कर बाजार, मोरसली गली, सांठा बाजार, सराफा, धान गली (Peepli Bazaar, Sugar Bazaar, Morsali Gali, Santha Bazaar, Sarafa, Paddy Gali) से लेकर आसपास के कई क्षेत्रों के रहवासी भी पहुंच गए थे। इनमें अधिकांश महिलाएं थीं। उन्होंने बताया कि परिवार के लोग कभी रात को बीमार हो जाएं तो उन्हें अपने ही घर से अस्पताल जाने के लिए मशक्कत करना पड़ती है। रात 2 से 3 बजे तक यहां चौपाटी की हलचल रहती है। सारे दुकानदार सडक़ों पर कचरा पटक जाते हैं, जिससे उन्हें परेशानियां होती हैं। कमेटी के सदस्यों ने जब दौरा किया तो वहां अधिकांश स्थानों पर चायनीज व्यंजन थे, जिसके लिए सिगड़ी का उपयोग किया जा रहा था। इसके अलावा कई दुकानों पर दो से तीन गैस सिलेंडर रखे हुए थे, जो खतरनाक स्थिति को दर्शाते हैं। रहवासियों ने भी कमेटी को दो टूक कहा कि सराफा चौपाटी को यहां से हटाया जाए। सराफा की चौपाटी को लेकर अब कल व्यापारियों से बातचीत के बाद कई बिंदु तय किए जाएंगे और फिर महापौर व कलेक्टर को पूरा मामला बताया जाएगा।

चौपाटी के पुराने व्यापारी नए दुकानदारों पर भडक़े… हम तो घर से बनाकर लाते थे…चायनीज फूड वालों ने माहौल बिगाड़ा

उधर कांग्रेस कमेटी के सदस्य भी दौरा करने पहुंचे तो चौपाटी वालों ने कहा कि हमसे ज्यादा गैस सिलेंडर तो आभूषण बनाने वाले व्यापारियों के कमरों में भरे पड़े हैं, फिर हमारे ऊपर ही तलवार क्यों लटकाई जा रही है। इसके बाद भी हम प्रशासन के साथ हैं। वह जो सुरक्षा मानक निर्धारित करेंगे हम उस अनुसार व्यापार करेंगे। व्यापारियों का कहना था कि नए-नए चायनीज फूड स्टालों की होने वाली भरमार से चाट चौपाटी का माहौल खराब हुआ है, क्योंकि यह लोग केवल पैसा कमाने आते हैं, जबकि इसके विपरीत पुराने व्यापारी अपनी प्रतिष्ठा और सम्पूर्ण सुरक्षा के साथ यहां व्यापार कर रहे हैं।

किराए के लालच में सराफा दुकानदारों ने ही लगाई चौपाटी
आज सराफा व्यापारी चौपाटी का विरोध कर रहे हैं, लेकिन हकीकत यह है कि ओटलों के किराए के लालच में ही इन्होंने चौपाटी लगाई। कई दुकानदारों से जब बात की गई तो उन्होंने बताया कि वे 20 हजार से लेकर 40 हजार रुपए तक प्रतिमाह किराया दुकानदारों को देते हैं। इनमें कई दुकानें वर्षों पुरानी हैं और पहले वहां परम्परागत व्यंजन मालपुए, रबड़ी, गुलाब जामुन, जलेबी से लेकर कुछ व्यंजन ही मिलते थेे और उन्हें बेचने वाले व्यापारी घर से बनाकर लाते थे और सिर्फ सराफा चौपाटी में उन व्यंजनों को गर्म किया जाता था, लेकिन अब वहां तमाम व्यंजनों के साथ-साथ बड़े पैमाने पर चायनीज आइटम के कारण स्थिति बिगड़ी है।

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