क्‍या अमीर लोगों से वैक्‍सीनेशन के लिए वसूला जाएगा ज्‍यादा टैक्‍स ? सरकार ने दिया ये जवाब

नई दिल्‍ली । देश के अमीर लोगों (Ultra Rich) पर टैक्‍स (tax) लगाने के पीछे सरकार (Government) ने अपनी मंशा साफ कर दी है. वित्त राज्यमंत्री पंकज चौधरी (Minister of State for Finance Pankaj Choudhary) ने राज्यसभा (Rajya Sabha) में एक सवाल के लिखित में जवाब में कहा कि आयकर अधिनियम के तहत परिवार की सामूहिक आय निर्धारित करने की कोई अवधारणा नहीं है. फिलहाल सरकार के पास अमीर लोगों पर अतिरिक्त टैक्स लगाने का कोई प्रस्ताव विचाराधीन नहीं है.

ये मुद्दा चर्चा में इसलिए है कि सरकार से पूछा गया था कि अनुमानों के मुताबिक अगर भारत के 954 सबसे धनी परिवारों पर 1% का कर लगा दिया जाता है तो इससे कोविड टीकाकरण कार्यक्रम का खर्च निकल जाता. जिससे पेट्रोल व अन्य ईंधन उत्पादों से Vat (वैट) राजस्व जमा करने के मौजूदा वित्त व्यवस्था तंत्र को अपनाने की जरूरत नहीं पड़ती.

लगेगा अतिरिक्त टैक्स?
वित्त राज्यमंत्री पंकज चौधरी से यह पूछे जाने पर कि क्या सरकार देश के अत्यधिक अमीर लोगों पर धन कर लगाने पर विचार कर रही है. उन्होंने इसके जवाब में कहा कि ऐसा कोई विचार नहीं है, और आयकर अधिनियम के तहत परिवार की सामूहिक आय निर्धारित करने की कोई विचार नहीं है.

केंद्रीय मंत्री ने सबसे अमीर लोगों पर धन कर न लगाने के कारणों की जानकारी देते हुए कहा कि TAX (कर) प्रक्रियाओं को सरल बनाने और व्यापार को आसान बनाने के लिए वित्त अधिनियम, 2015 द्वारा संपत्ति कर को समाप्त कर दिया गया है. क्योंकि इससे एकत्र करने में अधिक लागत वाला और कम मुनाफा वाला कर साबित हुआ.

उन्होंने बताया कि सरकार को राजस्व का कोई नुकसान नहीं हुआ है, क्योंकि एक करोड़ रुपये से अधिक कुल आय वाले सभी व्यक्तियों (एक विदेशी कंपनी के अलावा) के मामले में संपत्ति कर को मौजूदा अधिभार की दर में 2 फीसदी की वृद्धि के साथ बदल दिया गया था. वित्त अधिनियम (द्वितीय संशोधन) 2019 ने अधिभार की दर को और बढ़ा दिया है.

वित्त राज्यमंत्री पंकज चौधरी की मानें तो वित्त वर्ष 2020-21 के दौरान पेट्रोल, डीजल सहित पेट्रोलियम पदार्थो से उपकर समेत कुल 3,72,970 करोड़ रुपये के उत्पाद शुल्क का संग्रह किया गया. उन्होंने कहा कि 2019-20 में पेट्रोल, डीजल पर उपकर समेत 2,23,057 करोड़ रुपये के उत्पाद शुल्क का संग्रह हुआ था और 2020-21 में कुल 3,72,970 करोड़ रुपये के उत्पाद शुल्क का संग्रह किया गया.

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