एशिया के सबसे बड़े कपड़ा बाजार में देखने को मिला किसान आंदोलन का साइड इफेक्ट, ठप हुआ कारोबार

नई दिल्ली: किसान आंदोलन- 2 (Farmers Movement-2) का असर अब कारोबार पर दिखने लगा है. क्योंकि कई जगहों पर किसान मुख्य मार्ग पर अपनी मांगों को लेकर बैठे (Farmers sat on the main road with their demands) हैं. सड़क बंद होने की वजह से आम आदमी के साथ-साथ व्यापारियों को भी परेशानी हो रही है. अब इस आंदोलन का असर जनता की जेब पर भी पड़ने लग गया है. अंबाला शहर स्थित एशिया की सबसे बड़े कपड़ा बाजार (Asia’s largest textile market) तक व्यापारी नहीं पहुंच पा रहे हैं, जिससे वहां के कारोबारियों को हर दिन तगड़ा नुकसान हो रहा है. व्यापारियों का कहना है कि रोजाना उन्हें लाखों रुपये का नुकसान हो रहा है, ऑनलाइन पेमेंट नहीं चल रही और रास्ते बंद होने की वजह से पंजाब, हिमाचल और हरियाणा के कई जिलों से ग्राहक नहीं आ पा रहे हैं.

दरअसल MSP गारंटी कानून को लेकर किसानों का अंबाला के पास शंभू टोल प्लाजा पर प्रदर्शन जारी है, इससे टोल का रास्ता पूरी तरह से बंद कर दिया गया है, इसका खामियाजा जनता भुगत रही है. हर वर्ग पर अब इस आंदोलन का असर देखने को मिल रहा है. बता दें, अंबाला के कपड़ा बाजार में ज्यादातर ग्राहक पंजाब, हिमाचल और हरियाणा के जिलों से आते हैं और रास्ते बंद होने की वजह से ग्राहक नहीं पहुंच पा रहे हैं.

इस बारे में व्यापारियों ने बताया कि उन्हें इन दिनों भारी नुकसान झेलना पड़ रहा है, रास्ते बंद होने की वजह से नया माल नहीं आ रहा है और ना ही ग्राहक आ रहे हैं. इस बीच व्यापारियों ने सरकार से अपील की है कि किसानों की जायज मांगों को पूरा कर इस आंदोलन को जल्द खत्म करवाया जाए. किसान मोर्चा का कहना है कि स्वामीनाथन आयोग ने 2006 में अपनी रिपोर्ट में केंद्र सरकार को C2+50% के आधार पर एमएसपी देने का सुझाव दिया था.

स्वामीनाथन ने अपनी रिपोर्ट में देश में खाद्य और न्यूट्रिशन सिक्योरिटी के लिए रणनीति बनाने की सिफारिश की थी. वहीं एमएसपी की कानूनी गारंटी पर रविवार को चंडीगढ़ में किसान नेताओं और तीन केंद्रीय मंत्रियों के बीच चौथे दौर की बैठक हुई थी. संयुक्त किसान मोर्चा ने केंद्र सरकार के एमएसपी के प्रस्ताव को खारिज कर दिया है. केंद्र सरकार की तरफ से कथित रूप से एमएसपी पर पांच साल के कॉन्ट्रेक्ट का प्रस्ताव दिया गया है.

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