लोकतंत्र के मंदिर में माननीयों की ‘बोलती बंद’

  • जो शब्द बच्चों को पढ़ाए जाते हैं, उनके बोलने पर भी पाबंदी
  • भ्रष्ट को भ्रष्ट भी नहीं बोल पाएंगे

भोपाल। विधानसभा (Assembly) में अब विधायकों को अपनी बात कहने से पहले शब्दों का अच्छी तरह से चयन करना पड़ेगा। क्योंकि विधानसभा सचिवालय ने असंसदीय शब्दों और वाक्यों की एक किताब निकाली है, जो संसदीय भाषा (Parliamentary Language) की श्रेणी में नहीं आते हैं।
विधायकों को ऐसे शब्दों को भी बोलने से परहेज करने को कहा गया है, जो प्रायमरी के स्कूलों में बच्चों को सिखाए जाते हैं। सरकारी योजनाओं में भ्रष्टाचार और गबन के आए दिन मामले सामने आ रहे हैं, लेकिन विधायक (MLA) सदन में भ्रष्ट को भ्रष्ट नहीं बाले पाएंगे। न ही गबन बोल पाएंगे। यहां तक कि बच्चों को पढ़ाए जाने वाले मुहावरे और लोकोक्तियां भी नहीं बोल पाएंगे। विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम (Assembly Speaker Girish Gautam) ने मप्र विधानसभा के गठन एवं उससे पहले नागपुर राज्य के समय जो शब्द सदन में विलोपित किए जा चुके हैं, उनकी पूरी किताब तैयार कराई है। जिसमें 1161 शब्द एवं वाक्य हैं, जो अभी तक विलोवित किए जा चुके हैं। स्पीकर ने विधायकों से उम्मीद जताई है कि वे ऐसे शब्द एवं वाक्यों के सदन में नहीं बोलेंगे। अन्याय, बेईमान, चोर, भ्रष्ट, पोस्टमेन, भीड़, गलत, पाप, नक्सलवादी, दुराचारी शब्दों केा बोलने पर पाबंदी है।

हंगामें के साथ मानसून सत्र शुरू
विधानसभा का मानसून सत्र आज हंगामे के साथ शुरू हो गया। सत्र शुरू होते ही विपक्ष ने आदिवासी दिवस की मांग को लेकर हंगामा किया और वॉकआउट कर दिया। परिसर में कोरेाना वैक्सीन लगवाने वालों को ही एंट्री दी गई है। स्पीकर गिरीश गौतम ने भी वैक्सीन का सर्टिफिकेट दिखाकर विधानसभा में प्रवेश किया। इससे पहले कांग्रेस के आदिवासी विधायकों ने आज विधानसभा में विश्वा आदिवासी दिवस पर मनाया।

आपस में आरोप नहीं लगाने पर फोकस
असंसदीय शब्द एवं वाक्यांश संग्रह किताब में जिन शब्द एवं वाक्यों को अससंदीय माना है, उन्हें सदन के भीतर सदस्यों को एक-दूसरे के प्रति व्यक्तिगत तौर पर इस्तेमाल नहीं करने पर स्पीकर का फोकस है। क्योंकि पिछले विधानसभा की कार्रवाईयों के दौरान जो शब्द विलोपित किए गए थे, वे सदस्यों ने एक-दूसरे के खिलाफ व्यक्तिगत तौर पर इस्तेमाल किए गए थे।

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