सूर्य का अध्ययनः आदित्य-एल1 आज उड़ान भरेगा, इसरो ने की है खास तैयारी

बेंगलुरु (Bengaluru)। सूर्य के अध्ययन (study of Sun) के लिए भारत (India’s first mission) का पहला मिशन ‘आदित्य-एल1 (Aditya L1 Mission)’ आज रवाना होगा। इसके लिए इसरो (ISRO) ने खास तैयारियां की हैं। ‘आदित्य-एल1’ का प्राइमरी उपकरण ‘विजिबल एमिशन लाइन कोरोनाग्राफ’ (वीईएलसी) (‘Visible Emission Line Coronagraph’ – VELC) इच्छित कक्षा तक पहुंचने पर विश्लेषण के लिए जमीनी केंद्र को प्रतिदिन 1,440 तस्वीरें भेजेगा। वीईएलसी उपकरण आदित्य-एल1 का सबसे बड़ा और तकनीकी रूप से सबसे चुनौतीपूर्ण पेलोड है। इसे बेंगलुरु के पास होसकोटे में भारतीय ताराभौतिकी संस्थान (आईआईए) (Indian Institute of Astrophysics -IIA) के क्रेस्ट (विज्ञान प्रौद्योगिकी अनुसंधान और शिक्षा केंद्र) परिसर (CREST (Centre for Science Technology Research and Education) campus) में इसरो के सहयोग से एकीकृत किया गया था। इसका परीक्षण और क्रम निश्चित करने का काम भी इसी परिसर में किया गया।

24 घंटे में इतनी फोटोज
आदित्य-एल1 को दो सितंबर को पूर्वाह्न 11:50 बजे पीएसएलवी-सी57 रॉकेट के माध्यम से प्रक्षेपित किया जाएगा। यह सूर्य का अध्ययन करने के लिए अपने साथ सात पेलोड ले जाएगा, जिनमें से चार सूर्य के प्रकाश का निरीक्षण करेंगे और शेष तीन उपकरण प्लाज्मा एवं चुंबकीय क्षेत्र के यथास्थान मापदंडों को मापेंगे। इसे ‘लैग्रेंजियन’ बिंदु-1 (एल1) के चारों ओर एक प्रभामंडल कक्षा में स्थापित किया जाएगा, जो सूर्य की दिशा में पृथ्वी से 15 लाख किलोमीटर दूर है। यह सूर्य के चारों ओर उसी सापेक्ष स्थिति में चक्कर लगाएगा और इसलिए लगातार सूर्य को देख सकता है। आदित्य एल1 की परियोजना वैज्ञानिक और वीईएलसी की संचालन प्रबंधक डॉ. मुथु प्रियाल ने कहा कि तस्वीर चैनल से प्रति मिनट एक तस्वीर आएगी यानी 24 घंटे में लगभग 1,440 तस्वीर हमें जमीनी स्टेशन पर प्राप्त होंगी।

125 दिन लगेंगे
सूर्य मिशन ‘आदित्य एल1’ का प्रक्षेपण इसरो के विश्वसनीय रॉकेट पीएसएलवी के माध्यम से किया जाएगा। सूर्य के अध्ययन के लिए ‘आदित्य एल1’ को धरती से 15 लाख किलोमीटर दूर ‘लैग्रेंजियन-1’ बिंदु तक पहुंचने में 125 दिन लगेंगे। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने कहा कि शनिवार को पीएसएलवी सी57 रॉकेट के जरिए किए जाने वाले ‘आदित्य एल1’ के प्रक्षेपण के लिए शुक्रवार को 23.10 घंटे की उलटी गिनती शुरू हो गई। सूर्य मिशन से संबंधित उपग्रह को शनिवार को पूर्वाह्न 11.50 बजे श्रीहरिकोटा स्थित अंतरिक्ष केंद्र के दूसरे लॉन्च पैड से प्रक्षेपित किया जाएगा। इसरो के अध्यक्ष एस सोमनाथ ने कहा कि सूर्य मिशन को सटीक त्रिज्या तक पहुंचने में 125 दिन लगेंगे। ‘आदित्य एल1’ को सूर्य परिमंडल के दूरस्थ अवलोकन और पृथ्वी से लगभग 15 लाख किलोमीटर दूर ‘एल1’ (सूर्य-पृथ्वी लैग्रेंजियन बिंदु) पर सौर हवा का वास्तविक अवलोकन करने के लिए डिजाइन किया गया है।

सूर्य सबसे नजदीकी तारा
इसरो के अनुसार, सूर्य और पृथ्वी के बीच पांच लैग्रेंजियन बिंदु हैं, और प्रभामंडल कक्षा में ‘एल1’ बिंदु से उपग्रह सूर्य को बिना किसी बाधा/बिना किसी ग्रहण के लगातार देखकर अध्ययन संबंधी अधिक लाभ प्रदान करेगा। इसरो ने कहा कि इससे सौर गतिविधियों को लगातार देखने का अधिक लाभ मिलेगा। इस जटिल मिशन के बारे में इसरो ने कहा कि सूर्य सबसे निकटतम तारा है और इसलिए अन्य की तुलना में इसका अधिक विस्तार से अध्ययन किया जा सकता है। इसरो ने कहा कि सूर्य का अध्ययन करके आकाशगंगा के साथ-साथ अन्य आकाशगंगाओं के तारों के बारे में भी बहुत कुछ सीखा जा सकता है।

होती हैं कई विस्फोटक घटनाएं
सूर्य पर कई विस्फोटक घटनाएं होती रहती हैं जिससे यह सौर मंडल में भारी मात्रा में ऊर्जा छोड़ता है। यदि ऐसी विस्फोटक सौर घटनाएं पृथ्वी की ओर निर्देशित होती हैं, तो यह पृथ्वी के निकट अंतरिक्ष वातावरण में विभिन्न प्रकार की गड़बड़ी पैदा कर सकती हैं। इसरो के अनुसार, इस तरह की घटनाओं से अंतरिक्ष यान और संचार प्रणालियों में गड़बड़ी हो सकती है, इसलिए इस तरह की घटनाओं की पूर्व चेतावनी पहले से ही सुधारात्मक उपाय करने के लिए महत्वपूर्ण है। अंतरिक्ष यान में लगे कुल सात उपकरणों में से चार सीधे सूर्य को देखेंगे, जबकि शेष तीन ‘एल1’ बिंदु पर कणों और क्षेत्रों का वास्तविक अध्ययन करेंगे।

ऐसे पूरा होगा सफर
शुरू में, ‘आदित्य-एल1’ अंतरिक्ष यान को पृथ्वी की निचली कक्षा में स्थापित किया जाएगा। इसे अधिक दीर्घवृत्ताकार बनाया जाएगा और बाद में इसमें लगी प्रणोदन प्रणाली का उपयोग करके अंतरिक्ष यान को लैग्रेंज बिंदु ‘एल1’ की ओर प्रक्षेपित किया जाएगा। जैसे ही अंतरिक्ष यान ‘एल1’ की ओर बढ़ेगा, यह पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र से बाहर निकल जाएगा। पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र से बाहर निकलने के बाद, इसका क्रूज़ चरण शुरू हो जाएगा और बाद में, अंतरिक्ष यान को एल1 के चारों ओर एक बड़ी प्रभामंडल कक्षा में स्थापित किया जाएगा। इसे इच्छित एल1 बिंदु तक पहुंचने में लगभग चार महीने लगेंगे। उम्मीद है कि आदित्य-एल1 के उपकरण सूर्य के परिमंडल की गर्मी, सूर्य की सतह पर सौर भूकंप या कोरोनल मास इजेक्शन (सीएमई), सूर्य के धधकने संबंधी गतिविधियों और उनकी विशेषताओं, गतिशीलता और अंतरिक्ष मौसम की समस्याओं को समझने के लिए सबसे महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करेंगे।

Leave a Comment