वाणी और आचरण में सभ्य व्यवहार की अपेक्षा

– हृदयनारायण दीक्षित प्रकृति में अनेक अंश और अंग हैं। मनुष्य भी प्रकृति का भाग हैं। मनुष्य और प्रकृति के बीच स्थाई आत्मीयता है। सृष्टि के आदिकाल से मनुष्य प्रकृति में उपलब्ध पदार्थो और शक्तियों का उपयोग करता रहा है। प्रकृति और मनुष्य के मध्य अन्तर्विरोध भी हैं। मनुष्य प्रकृति को लगातार अपने अनुकूल करता … Read more