‘सूचना’ जैसी निर्दयी मां कब तक रहेंगी समाज में…!

– ऋतुपर्ण दवे कोई मां भला कैसे निर्दयी हो सकती है? क्रूर हो सकती है? कैसे अपने जिगर के टुकड़े को बैग में पैक कर सड़क रास्ते लंबे सफर पर बेखौफ निकल सकती है? इसके जवाब मनोचिकित्सकों के पास अपने-अपने ढंग के और अलग भी हो सकते हैं। लेकिन गोवा में एक आम नहीं बल्कि … Read more