आओ थोड़ा सा तुम फागुन हो जाओ

– प्रभुनाथ शुक्ल खेतों में फसलों की रंगत बदल गई है। सरसों के पीले फूल खत्म हो गए हैं। सरसों फलियों से गदाराई है। मटर और जौ की बालियां सुनहरी पड़ने लगी हैं। जवान ठंड अब बूढ़ी हो गई है। हल्की पछुवा की गलन गुनगुनी धूप थोड़ा तीखी हो गई है। घास पर पड़ी मोतियों … Read more