डॉक्टरों की हड़ताल का दिखा असर, सिर्फ 8 सर्जरी ही हो सकी

विभिन्न अस्पतालों में ब्लैक फंगस के 500 से ज्यादा मरीज

इंदौर।  जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल का असर एमजीएम मेडिकल कॉलेज से जुड़े अस्पतालों में दिखाई देने लगा है। सबसे बुरा असर एमवाय अस्पताल में भर्ती ब्लैक फंगस के मरीजों पर पड़ रहा है। यहां कल सिर्फ 8 लोगों की ही सर्जरी हो सकी, जबकि 300 से ज्यादा मरीज यहां भर्ती हैं और कई मरीज अपनी सर्जरी का इंतजार काफी दिनों से कर रहे हैं।

जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल लंबी खिंचती दिख रही है। आज सातवें दिन भी हड़ताल जारी है। इसका असर सबसे ज्यादा एमवायएच, सुपर स्पेशलिटी, एमटीएच, एमआरटीबी, कैंसर अस्पताल पर पड़ रहा है। यहां पर जूनियर डॉक्टरों की सेवाएं नहीं मिलने से मरीजों के आपरेशन और अन्य इलाज प्रभावित हो रहे हैं। बाहर से भले ही डॉक्टर बुलाए जा रहे हैं, लेकिन काम में उतनी गति नहीं बन रही है। कल सिर्फ 8 मरीजों का ही ऑपरेशन हो सका, वहीं 33 की एंडोस्कोपी की गई। अब तक कुल 260 लोगों के ऑपरेशन किए गए हैं, वहीं 458 की एंडोस्कोपी की गई है। कल 7 नए मरीज भर्ती हुए तो 6 की छुट्टी हुई। एक मरीज की मृत्यु भी हुई है। अब तक ब्लैक फंगस से ग्रसित कुल 35 मरीजों की मृत्यु हो चुकी है। एमवायएच की ही चौथी, पांचवीं और छठी मंजिल पर ब्लैक फंगस के 300 से ज्यादा मरीज भर्ती हैं। वहीं निजी अस्पतालों में 220 मरीज भर्ती हैं। कुछ दिनों से ब्लैक फंगस के मरीजों को इंजेक्शन लगने के बाद साइड इफेक्ट की समस्या देखी जा रही है। जूनियर डॉक्टरों की अनुपस्थिति में इनकी सही जांच नहीं हो पा रही है। मरीजों को उल्टी, दस्त, चक्कर और सिरदर्द की शिकायतें भी हैं।

 

यह कैसी मानवता…लोग मर रहे हैं और यह ब्लड डोनेट कर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं
एक ओर जहां ब्लैक फंगस जैसी महामारी से लोग मर रहे हैं और डॉक्टरों का इंतजार कर रहे हैं…वहीं हड़ताली जूनियर डॉक्टरों ने कल विरोध का अनूठा तरीका अपनाते हुए एमजीएम मेडिकल कॉलेज के ब्लड बैंक में ब्लड डोनेट कर विरोध प्रदर्शन किया, जबकि वर्तमान में खून की कोई कमी नहीं है। इन जूनियर डॉक्टरों के समर्थन में प्रदेश के सीनियर डॉक्टर आगे आए हैं, साथ ही कई प्रदेशों के जूनियर डॉक्टर और कई डॉक्टरों की एसोसिएशन भी इनका समर्थन कर रही है।

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