वित्तमंत्री ने कहा- बजट है तो मुफ्त की योजनाओं पर कोई सवाल नहीं उठाता, पर पारदर्शी होनी जरूरी

नई दिल्ली। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा है सब्सिडी व मुफ्त योजनाओं को प्रासंगिक बनाया जाना चाहिए। उन्होंने इस योजनाओं पर राज्य सरकारों के संबंध में कहा कि यदि आप अपने बजट में इसे रखने और इसके लिए प्रावधान करने में सक्षम हैं, अगर आपके पास राजस्व है और आप पैसा देते हैं, तो किसी को आपत्ति क्यों होगी? शिक्षा, स्वास्थ्य व किसानों को दी जाने वाली कई सब्सिडी पूरी तरह से उचित है।

उन्होंने कहा कि मीडिया रिपोर्ट्स हैं कि एक राज्य सरकार अपने कर्मचारियों के वेतन का समय पर भुगतान करने में असमर्थ है और कर्मचारी विरोध कर रहे हैं। ऐसा शायद इसलिए है क्योंकि पूरे देश में कई अलग-अलग विज्ञापन देने के लिए धन का उपयोग किया जा रहा है।

यह समझना महत्वपूर्ण है कि जब आप अपने तरीकों में पारदर्शी होते हैं, तो इस पर (मुफ्त योजनाओं) पर कोई बहस नहीं होती है। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने राज्यसभा में कहा, हम केवल पारदर्शिता और वैधानिक राजकोषीय नियमों का अनुपालन चाहते हैं।

कोविड महामारी के दौरान सरकार द्वारा लक्षित ढंग से राहत प्रदान करने के कारण भारत की अर्थव्यवस्था के मंदी में नहीं जाने का दावा करते हुए बुधवार को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कंपनी क्षेत्र को करों में राहत देने की नीति का बचाव किया और कहा कि यह राहत इस क्षेत्र को कोई तोहफा नहीं है, बल्कि विनिर्माण क्षेत्र को बढा़वा देने के लिए है।

वित्त मंत्री ने उच्च सदन में अनुदान की अनुपूरक मांगों और अतिरिक्त मांगों पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए कहा कि सरकार के लिए अनुदान की अनुपूरक मांगों को संसद में लाना कोई असामान्य बात नहीं है। उन्होंने कहा कि कई बार सरकार एक बार, कभी दो बार या तीन बार यह मांग लेकर आती है।

वित्त मंत्री ने कहा कि इस बार सरकार मौजूदा वित्त वर्ष में पहली बार अनुपूरक मांगें लेकर आयी है और यह बजट अनुमान के मात्र आठ प्रतिशत के बराबर है। उन्होंने कहा कि पूर्व में यह बीस प्रतिशत तक लाया गया था और उसे देखते हुए तथा वर्तमान में वैश्विक स्तर पर मंदी को देखते हुए यह, मांगों की कोई बहुत बड़ी राशि नहीं है।

सीतारमण ने कहा, ‘‘हम यह मांगें इसलिए लेकर आये हैं क्योंकि सरकार ने जनवरी या फरवरी में बजट बनाने के दौरान कुछ बातों का अनुमान नहीं लगाया था।’’ उन्होंने हालांकि कहा कि 11.1 प्रतिशत की विकास दर का अनुमान जनवरी 2021-22 में लगाया गया था। उन्होंने कहा कि जब सरकार इस साल का बजट बना रही थी तब दुनिया भर में माना जा रहा था कि महामारी के प्रभाव घट रहे हैं और सुधार के जो कदम उठाये जा रहे हैं उनसे अर्थव्यवस्था सुधार के पथ पर आगे बढ़ेगी।

सीतारमण ने कहा कि सिर्फ सरकार ही नहीं, अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने भी 2022 की अपनी एक रिपोर्ट में भारत में नौ प्रतिशत से अधिक की विकास दर रहने का अनुमान व्यक्त किया था। उन्होंने कहा कि इसके बाद फरवरी के अंत में रूस-यूक्रेन युद्ध शुरू हो गया जिससे अड़चने पैदा हो गयीं, विशेषकर अनाज एवं ऊर्जा आपूर्ति के क्षेत्र में।

वित्त मंत्री ने कहा कि इसे देखते हुए सरकार अनुदान की जो अनुपूरक मांगें लेकर आयी है वह खाद्य सुरक्षा, उर्वरकों के लिए है जो किसानों के लिहाज से अति महत्वपूर्ण हैं। उन्होंने कहा कि इन अनुपूरक मांगों का लक्ष्य यही है कि अर्थव्यवस्था में किसानों, गरीबों सहित सभी वर्गों को समुचित सहयोग दिया जा सके। उन्होंने कहा कि यही वजह है कि चर्चा में अधिकतर सदस्यों ने इन मांगों का समर्थन किया है।

उन्होंने पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम द्वारा चर्चा के दौरान धन जुटाने को लेकर किए गए प्रश्नों का उल्लेख करते हुए कहा कि सरकार सितंबर 2021 में ही इस बात की घोषणा कर चुकी थी कि उसके उधारी कार्यक्रम में कोई बदलाव नहीं किया जाएगा। उन्होंने कहा, ‘‘हम अपनी उधार योजना नहीं बदलेंगे।’’

बैंकों का एनपीए छह वर्षों में सबसे कम : सीतारमण
निर्मला सीतारमण ने बुधवार को राज्यसभा में कहा कि सरकार महंगाई पर नजर रखे हुई है। उन्होंने कहा कि सब्सिडी और मुफ्त योजनाओं को प्रासंगिक बनाया जाना चाहिए। ऐसी योजनाओं पर राज्य सरकारों के संबंध में उन्होंने कहा कि यदि आप अपने बजट में इसे रखने और इसके लिए प्रावधान करने में सक्षम हैं, आपके पास राजस्व है और आप पैसा देते हैं तो किसी को आपत्ति क्यों होगी? शिक्षा, स्वास्थ्य व किसानों को दी जाने वाली सब्सिडी पूरी तरह से उचित है।

वित्त मंत्री ने अनुदान की अनुपूरक मांगों और अतिरिक्त मांगों पर चर्चा के दौरान उन्होंने कहा कि पिछले 6 सालों में बैंकों का एनपीए इस बार सबसे कम है। मार्च 2022 में बैंकों का एनपीए 6 साल के निचले स्तर 5.9 प्रतिशत पर आ गया है। उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी के प्रभाव से निपटने के लिए सरकार के टारगेटेड अप्रोच ने देश को मंदी के प्रभाव से सुरक्षित रखते हुए विकास की गति को बनाए रखा।

मंदी में यह अनुपूरक अनुदान उचित
अनुदान की अनुपूरक मांगों पर उन्होंने कहा कि यह बजट अनुमान के मात्र आठ प्रतिशत के बराबर है। पूर्व में यह 20% तक लाया गया था। वैश्विक मंदी को देखते हुए यह बहुत बड़ी राशि नहीं है। इसके बाद राज्यसभा ने अनुपूरक अनुदान मांगों को लोकसभा को वापस कर दिया। इस प्रकार इस वित्त वर्ष में सरकार को अतिरिक्त 3.25 लाख करोड़ रुपये खर्च करने के लिए अधिकृत करने की प्रक्रिया पूरी हो गई।

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