शिव की महिमा निराली… बुझे हुए चिरागों में कर्ज के घी से जान डाली…

ऐलान-ए-जंग… अब जमेगा रंग… चार किस्तों में प्रत्याशियों को मैदान में उतार चुकी भाजपा के मुकाबले कांग्रेस ने कल अपनी पहली सूची घोषित कर अखाड़ा सजाया है… भाजपा ने जहां कई बल्लम मैदान में उतारे, वहीं कांग्रेस ने पुराने अपनों पर भरोसा जताया है… भाजपा के पास जहां विकास का विश्वास है, वहीं कांग्रेस को भ्रष्टाचार से उपजे विनाश के आक्रोश पर विश्वास है… दो माह पहले तक हार की आशंका से घिरी भाजपा ने कार्यकर्ताओं को निराशा से उबारने और बुझा विश्वास लौटाने के लिए खैरात का ऐसा खाता खोला कि प्रदेश का खजाना भी शरमा गया… कर्ज के पहाड़ पर बैठे प्रदेश में दरियादिली का ऐसा समुद्र बहा कि बहनाएं लाड़ली हो गईं… बेरोजगार सीखने तक की कीमत पाने लगे… रसोई गैस मुफ्त के भाव खाना पकाने लगी… बिजली बिलों की होली जल गई और किसान भगवान बन गए… सरकार भूली-बिसरी यादें जगाने लगी… 18 साल के विकास की फेहरिस्त अखबारों में सजाने लगी… दिग्विजय सरकार की टूटी सडक़ें, सूखे नल और अंधेरे की प्रताडऩा का दर्द उभारने लगी… इन दो माहों में शिवराज जो चाहा वो मिलेगा की तर्ज पर आसमान से तारे तोडक़र जमीन पर सजाने और हर कमी का दर्द मिटाने की कोशिश में ऐसे जुटे कि आमदनी आठन्नी और कर्जा सौ रुपय्या का ख्याल नहीं रहा… अब कांग्रेस खुद हैरान है कि घोषणाओं का आसमान खड़ा करने वाले मुख्यमंत्री के मुकाबले अब और कौन सी घोषणा करें, जिसे वो पूरा कर पाए या खुद भी आग लगाकर तमाशा देखने वालों में शामिल हो जाए… वैसे कुछ भी हो शिवराज की कोशिशों ने हार की आशंका से घिरी भाजपा को प्रहार की स्थिति में लाकर तो खड़ा कर दिया… कल क्या होगा यह तो कल देखा जाएगा, लेकिन कार्यकर्ताओं को आज पर नाज करने लायक तो बना दिया… भाजपाइयों का दावा है कि वो फिर जीत के झंडे गाड़ेंगे, वहीं कांग्रेस का दावा है कि बदलाव की लहर कहर ढहाएगी और छीनी हुई सत्ता जनता फिर से कांग्रेस को लौटाएगी… हालांकि भाजपा कांग्रेस को दिशाहीन और भ्रमित बता रही है… समय से पहले प्रत्याशियों की सूची घोषित नहीं कर पाने तक की कमजोरी गिना रही है… प्रत्याशियों को मजबूत नहीं मजबूर बता रही है, लेकिन हकीकत यह है कि कांग्रेस भाजपा से ही सबक सीख-सीखकर कदम उठा रही है… जल्दबाजी में सूची घोषित करने से उपजे असंतोष को काबू में करने की भाजपाई मुसीबत से पीछा छुड़ाने के लिए जहां कांग्रेस ने देर से प्रत्याशी घोषित किए, वहीं प्रत्याशियों को खर्च और कर्ज से बचाने के लिए भी यह कदम उठाया… पहले हर दावेदार को काम पर लगाया… फिर सर्वे के नाम पर चुने हुए दावेदार को उम्मीदवार बनाया… हालांकि भाजपा तो असंतोष झेल चुकी, अब कांग्रेस की बारी है… कल से नाम वापसी तक रुठने और मनाने के दौर चलेंगे… प्रत्याशी प्रतिद्वंद्वी से तो बाद में पहले अपनों से भिड़ेंगे… जो बचेंगे उनसे मतदाता चुनावी रण में निपटेंगे…

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