देवास: मध्यप्रदेश के देवास जिले में पिछले दिनों एक तेंदुए (Leoperd) के साथ ग्रामीणों द्वारा पालतू जानवरों जैसा बर्ताव करने का एक वीडियो वायरल हुआ था. इस वीडियो ने सोशल मीडिया खासी चर्चाएं बटोरी थी. अब इस मामले में एक नया खुलासा हुआ है. तेंदुए में कुत्तों (Dog) में पाए जाना वाले एक वायरस का संक्रमण मिला है, जिसने उसके नर्वस सिस्टम को प्रभावित किया और वह अपना सुध-बुध खो बैठा है. माना जा रहा है कि अपने आप में एक दुर्लभ केस हैं.
दरअसल, देवास जिले के इस वीडियो में एक तेंदुआ बदहवास हालत में नजर आ रहा था. ग्रामीण बिना डरे उसके इर्द-गिर्द खड़े होकर सेल्फी और फोटो भी खिंचवा रहे थे. वीडियो वायरल होते ही वन विभाग के अमले ने तेंदुए को अपने कब्जे में लिया था. यहां से तेंदुए को इंदौर के जू में भेज दिया गया. इसके बाद जबलपुर के नाना जी देशमुख पशु चिकित्सा विज्ञान विश्वविद्यालय की टीम तेंदुए की जांच के लिए इंदौर पहुंची थी. अब तेंदुए की इस हालत की असल वजह सामने आ गई है.
विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ वाइल्डलाइफ हेल्थ एंड रिसर्च सेंटर के विशेषज्ञो के मुताबिक तेंदुआ श्वानो में पाए जाने वाले एक वायरस का शिकार हो गया था. केनाइन डिस्टेंपर (Canine Distemper) नाम के इस वायरस से तेंदुए के नर्वस सिस्टम में खासा घात पहुंचा है, जिससे वह इस हालत में आ गया. रिसर्च सेंटर की डायरेक्टर डॉक्टर ने बताया कि अमूमन इस वायरस का ज्यादा असर अब तक श्वानों में देखने को मिलता था.ऐसी उम्मीद है कि तेंदुआ भी रिहायशी इलाकों में श्वानो के संपर्क में पहुंचा होगा, जहां से वह इस वायरस की चपेट में आ गया.
यहां बताते चले कि फिलहाल तेंदुए को इंदौर के जू में रखा गया है, जहां वेटरनरी विशेषज्ञो की टीम की कड़ी देखरेख उसका इलाज चल रहा है. विशेषज्ञों का कहना है कि जिस तरीके से वायरस ने तेंदुए के नर्वस सिस्टम को असर पहुंचाया है, उससे उसकी मानसिक हालत फिलहाल बेहद खराब है. समय पर इलाज शुरू हो जाने से यह उम्मीद की जा रही है कि वह जल्द ही स्वस्थ हो जाएगा.
कैनाइन डिस्टेंपर एक वायरल संक्रमण है, जो किसी भी उम्र के कुत्तों को गंभीर रूप से बीमार बना सकता है. हालांकि बड़ी उम्र के कुत्तों में कैनाइन डिस्टेंपर वायरस इन्फेक्शन के मामले अभी तक दुर्लभ हैं. यह पैरामाइक्सोवायरस के कारण होता है, जिसे सीडीवी (कैनाइन डिस्टेंपर वायरस) भी कहा जाता है. कैनाइन डिस्टेंपर अत्यधिक संक्रामक और जानलेवा संक्रमण है. यह वायरस एक ही समय में कई शारीरिक प्रणालियों को प्रभावित करता है, जिसकी वजह से गंभीर संक्रमण होता है. इसका इलाज करना मुश्किल है क्योंकि यह कुत्ते के श्वसन, जठरांत्र और तंत्रिका तंत्र को प्रभावित करता है.
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