ठाठ बाट से निकली शाही सवारी, लाखों लोगों ने किए राजा महाकाल के दर्शन

उज्जैन। महाकाल की सवारी कल नगर में निकली और भारी भीड़ के बीच भी समय पर रात्रि में मंदिर पहुँच गई।नगर भ्रमण पर निकलने के पूर्व महाकालेश्वर मंदिर परिसर में कोटितीर्थ कुण्ड के पास स्थित सभामंडप में भगवान श्री चन्द्रमौलेश्वर का षोडशोपचार से पूजन-अर्चन कर भगवान की आरती की गई। पूजन-अर्चन मुख्य पुजारी पं. घनश्याम शर्मा द्वारा संपन्न कराया गया। सवारी के निकलने के पूर्व सभा मंडप में संभागायुक्त डॉ.संजय गोयल, आइजी संतोष कुमार सिंह, कलेक्टर कुमार पुरुषोत्तम, पुलिस अधीक्षक सचिन शर्मा, महंत विनीत गिरी महाराज, महापौर मुकेश टटवाल, निगम आयुक्त रोशन कुमार सिंह, अपर कलेक्टर संदीप सोनी, मंदिर प्रबंध समिति सदस्य प्रदीप गुरु, राजेंद्र शमा, श्री राम पुजारी आदि ने भगवान श्री महाकालेश्वर का पूजन-अर्चन और आरती की। आरती उपरांत भगवान श्री चन्द्रमौलेश्वर रजत पालकी विराजमान होकर मंदिर प्रांगण से नगर भ्रमण हेतु प्रस्थान किया। रजत पालकी में विराजित भगवान श्री चन्द्रमोलेश्वर जैसे ही मुख्य द्वार पर पहुंचे, असंख्य श्रद्धालुओं ने भगवान श्री महाकालेश्वर का स्वागत कर वंदन किया।


भगवान महाकालेश्वर की शाही सवारी का मुख्य द्वार पर सशस्त्र पुलिस बल के जवानों द्वारा पालकी में विराजित भगवान को सलामी दी गई। भाद्रपद माह की दूसरी और दसवी सवारी शाही सवारी में रजत पालकी में श्री चन्द्रमौलेश्वर, हाथी पर श्री मनमहेश, गरूड़ रथ पर शिवतांडव, नन्दी रथ पर उमा-महेश और डोल रथ पर होल्कर स्टेट के मुखारविंद, रथ पर श्री घटाटोप मुखोटा, रथ पर श्री जटाशंकर, रथ पर श्री रुद्रेश्वर स्वरूप, रथ पर श्री चन्द्रशेखर स्वरुप व दसवी सवारी में आज ही श्री महाकालेश्वर भगवान को गुप्त दानदाता द्वारा भेट नवीन रथ पर श्री सप्तधान का मुखारविंद नगर भ्रमण पर अपनी प्रजा का हाल जानने निकले। सवारी के साथ पर्याप्त संख्या में घुड़सवार, नगर सैनिक, विशेष सशस्त्र बल की टुकडियां एवं भजन मंडलियां, बैंड, चल रहे थे। दक्षिण भारत से विशेष रूप में सवारी में सम्मिलित होने आया दल शाही सवारी का आकर्षण केंद्र रहा । इसके बाद सवारी परंपरात मार्ग महाकाल चौराहा, गुदरी चौराहा, बक्षी और कहारवाड़ी से होती हुई रामघाट के लिए प्रस्थान किया। सवारी मार्ग में जगह-जगह जहां तक दृष्टि जाए वहां से भगवान श्री महाकालेश्वर की जय-जयकार व फूलों की वर्षा कर श्रद्धालु भगवान की एक झलक पाकर स्वयं को धन्य मान रहे थे।

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