कोलाहाल में भी गूंजती थी राकेश झुनझुनवाला की आवाज

– आर.के. सिन्हा

कोलाहाल में भी राकेश झुनझुनवाला की आवाज को साफतौर पर सुना जा सकता था। उनकी आवाज में विश्वास और अनुभव को महसूस किया जा सकता था। वे जब किसी से मिलते तो ये ही कहते थे- ‘क्या हाल है आपका ? ‘क्या कर सकता हूं मैं आपके लिए? ‘मार्केट किस तरफ जाएगी…।’ जाहिर है, वे जब मार्केट का जिक्र करते थे तब वे शेयर बाजार की चाल के बारे में अपने करीबियों से भी उनकी राय पूछते थे। हां, पर वे किसी भी कंपनी के स्टॉक में निवेश करते हुये अपने शेयर मार्केट के अनुभव का ही सहारा लेते थे। उनके आकस्मिक निधन से देश के उन लाखों निवेशकों का एक तरह से विश्वस्त मार्गदर्शक विदा हो गया है, जिसे देखकर वे हजारों निवेशक भी शेयर मार्केट में निवेश करके अच्छा पैसा कमाने लगाने थे। वे बेशक आज के दिन के देश की शेयर मार्केट के सबसे बड़े ब्रांड एंबेसेडर थे। भारत के शेयर बाजार का जिक्र उनकी चर्चा किये बगैर अधूरा ही रहता था।

राकेश झुनझुनवाला का संबंध मुंबई में बस गए एक मारवाड़ी परिवार से था। उनके पिता राजस्थान के मारवाड़ क्षेत्र से मुंबई में आकर बस गए थे। वे इनकम टैक्स विशेषज्ञ थे। वे मेहनत करके घर चलाने वाले इंसान थे। राकेश झुनझुनवाला ने अपने पिता को कड़ी मेहनत करते हुए देखा था। वे स्कूल के दिनों से ही मेधावी छात्र थे। वे चार्टर्ड अकाउंटेंट बने और उसके बाद वे देखते-देखते स्टॉक मार्केट के सबसे खास निवेशक और विशेषज्ञ बन गए। उन्हें देश के लाखों निवेशक रोज बिजनेस चैनलों पर सुनकर शेयर बाजार में निवेश करने के संबंध में अपनी राय बनाते थे। हालांकि, वे बार-बार अपने सुनने वालों को कहते थे कि किसी भी कंपनी के शेयर में निवेश करने से पहले कंपनी का पूरा विश्लेषण कर लो। आपको अच्छे से विश्लेषण किए बगैर निवेश करने से बचना होगा। इसके अलावा कंपनी की भविष्य की योजनाओं और उसके टॉप मैनेजमेंट पर भी नजर रखनी होगी। अगर आप ये सब कर सकते हैं तब ही आपको स्टॉक मार्केट में निवेश करने के बारे में सोचना चाहिए। अन्यथा नहीं। उनसे टिप्स लेकर लाखों निवेशकों ने शेयर मार्केट से अच्छा पैसा कमाया ।

कहते हैं कि जो इंसान बिजनेस में रिस्क लेने से घबराता हो उसे बिजनेस की दुनिया से दूर ही रहना चाहिए। बिजनेस और निवेश में कभी-कभी तगड़े झटके भी लगते हैं। राकेश झुनझुनवाला ने भी बिजनेस में कई बार भारी नुकसान उठाया था। पर वे हमेशा ही रिस्क लेने के लिय तैयार रहते थे। इस लिहाज से राकेश झुनझुनवाला 100 फीसद व्यापारी मन के इंसान थे। वे बिजनेस में घाटा उठाने से घबराते नहीं थे। उनकी योजनाएं भी दीर्घकालिक होती थीं। वे मानते थे कि उस धंधे में निवेश करना चाहिए जिसमें आगे चलकर ठोस संभावनाएं बनती हों। इसी सोच को ध्यान में रखते हुये उन्होंने ‘अकासा एयर’ नाम की एयरलाइन एक अल्ट्रा-लो कॉस्ट विमान सेवा में मोटा निवेश भी किया था।

राकेश झुनझुनवाला इस एयरलाइन में 3.5 करोड़ डॉलर या करीब 264 करोड़ रुपये का निवेश कर चुके थे। वो इसके लिए 70 विमान खरीदने की तैयारी कर रहे थे। राकेश झुनझुनवाला एविएशन सेक्टर में तगड़ा निवेश करने लगे तो कहते हैं कि उन्हें उनके एक उद्योगपति मित्र ने कहा कि यह ( एविएशन) इस तरह का बिजनेस है जहां पर अरबपति आते हैं और वे लखपति बनकर रह जाते हैं। उन्होंने अपने मित्र को फौरन जवाब दिया कि भारत का एविएशन सेक्टर लंबी छलांग लगाने के लिए तैयार है। अब देश का चप्पल पहनने वाला शख्स भी विमान से सफर करने लगा है। देश के अनेक हवाई अड्डों पर रेलवे स्टेशनों से अधिक मुसाफिरों की भीड़ रहती है। इसलिये एविएशन सेक्टर की ग्रोथ को अब कोई नहीं रोक सकता। उनकी बात सही थी। देश में मिडिल क्लास की बढ़ती संख्या और एविएशन सेक्टर का विकास एक साथ हो रहा है। अब मिडिल क्लास सिर्फ हवाई यात्रा करके ही अपने गंतव्य स्थान की तरफ जाना पसंद करता है, इसलिए देश में नए-नए हवाई अड्डों का निर्माण हो रहा है। यह क्रम जारी ही रहने वाला है। देश के एविएशन सेक्टर में रोजगार के अवसर भी भरपूर पैदा हो रहे हैं।

जाहिर है, राकेश झुनझुनवाला जैसा समझदार निवेशक पैसा फूंकने के लिए तो कहीं निवेश करेगा नहीं। इसलिए ही उन्होंने अकासा एयर में निवेश किया। सरकार ने जब आकासा एयर को अपनी सेवा को शुरू करने की मंजूरी दी थी तो उसके कुछ समय के बाद वे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से भी मिले थे। इस मुलाकात की एक तस्वीर में वे कुर्सी पर बैठे दिख रहे हैं, जबकि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और राकेश की पत्नी रेखा झुनझुनवाला खड़े होकर उनसे बात करते नजर आ रहे थे। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भी भारत के वॉरेन बफेट, बिग बुल और दिग्गज निवेशक राकेश झुनझुनवाला का सदा सम्मान करते थे। राकेश झुनझुनवाला के निधन पर प्रधानमंत्री मोदी ने उन्हें याद करते हुए कहा कि वे अदम्य थे। वह काफी मजाकिया और व्यावहारिक थे। भारत को वित्तीय दुनिया में उन्होंने अमिट योगदान दिया। वह भारत की प्रगति के प्रति अति भावुक भी थे। उनका आकस्मिक जाना दुखद है। उनके परिवार और प्रशंसकों के प्रति मेरी संवेदनाएं।

राकेश झुनझुनवाला मलंग किस्म के शख्स थे। वे कभी-कभी अपने दफ्तर में बिना प्रेस की हुई शर्ट पहनकर भी चले जाते थे। एक बार राकेश झुनझुनवाला से किसी पत्रकार ने पूछा कि आपकी शर्ट में सिलवटें क्यों रहती हैं। राकेश झुनझुनवाला ने कहा था- ‘मैंने 600 रुपये देकर अपनी शर्ट प्रेस कराई थी, इसके बाद भी उसमें सिलवटें पड़ गईं तो मैं क्या कर सकता हूं? दरअसल वह शर्ट ही ऐसी थी। मुझ पर इससे क्या फर्क पड़ता है? मुझे कौन सा वहां क्लाइंट बनाना या कस्टमर बनाना है? मैं तो शॉर्ट्स पहनकर भी ऑफिस चला जाता हूं।’ राकेश झुनझुनवाला कई कंपनियों के बोर्ड में डायरेक्टर भी थे। वे जब बोर्ड की बैठकों में भाग लेते थे तो कंपनी के सीईओ और दूसरे आला अफसर पूरी तैयारी के साथ उसमें भाग लेते थे, क्योंकि, वे खामियां दिखने पर तो सवालों की झड़ी लगा देते थे। वे सिर्फ सवाल ही नहीं पूछते थे। राकेश झुनझुनवाला उचित सुझाव भी देते थे, ताकि कंपनी को लाभ होने लगे और उसके निवेशक भी कमाने लगें। उनके निधन से देश ने वन एंड ऑनली राकेश झुनझुनवाला को खो दिया है। वे जीवंत, अंर्तदृष्टिपूर्ण और भारत को लेकर बहुत आशावादी इंसान थे।

(लेखक, वरिष्ठ संपादक, स्तंभकार और पूर्व सांसद हैं।)

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