बेटी मर गई समझकर परिवार ढूंढ रहा था लाश, वह हमास के कब्जे से जिंदा लौटी; ऐसे मिली खुशखबरी

नई दिल्‍ली (New Dehli)। युद्धविराम (armistice)के दूसरे दिन हमास (Hamas)ने शनिवार देर रात इजरायली बंधकों (hostages)के दूसरे बैच को रिहा (released)कर दिया। शनिवार रात को 13 बंधक जैसे ही इजरायल पहुंचे तो नौ वर्ष की एमिली हैंड दौड़कर अपने पिता से लिपट गईं। देर तक पिता और बेटी दोनों रोते रहे। परिवार ने दोनों को संभाला। अपहरण के बाद पापा उसकी लाश तलाश रहे थे।

कुछ देर बाद चेकअप के लिए उसे अस्पताल भेजा गया। 50 दिन बाद हमास की कैद से छूटकर एमिली परिवार से मिली हैं। पहले 23 दिन परिवार ने एमिली को मरा हुआ समझकर बिताए तो बाकी के 27 दिन इस डर में कि वो जिंदा वापस आएगी या नहीं। 7 अक्टूबर को हमास के हमले में सबसे ज्यादा प्रभावित किबुत्ज बेरी की नौ साल की एमिली इस घटना के बाद गायब हो गई थीं।

एमिली के बारे में परिवार ने पता लगाया तो उनको बताया गया कि उसको मार दिया गया है। हमले में मारे जाने की बात सुनने के बाद परिवार ने एमिली की लाश ढूंढने की कोशिश की। 23 दिन बाद 31 अक्टूबर को परिवार को ये पता चला कि एमिली जिंदा है और गाजा में बंधक बनाए गए लोगों में से एक है। परिजन ने बताया कि इसके बाद कुछ जान आई।

बच्ची की रिहाई के बाद आयरिश पीएम की टिप्पणी से विवाद

एमिली हैंड उन 17 बंधकों में शामिल थी, जिन्हें हमास ने बंधक समझौते के तहत शनिवार को रिहा किया। उनकी रिहाई पर आयरिश प्रधानमंत्री लियो वराडकर ने रविवार को आभार व्यक्त करते हुए कहा कि उनकी प्रार्थनाओं का उत्तर दिया गया है। उन्होंने कहा कि यह एमिली हैंड और उसके परिवार के लिए बेहद खुशी और राहत का दिन है। एक मासूम बच्चा जो खो गया था, अब मिल गया है और वापस आ गया है।

हालांकि, उनकी टिप्पणियों विशेष रूप से ‘खोया’ और ‘पाया’ शब्दों के उपयोग से सोशल मीडिया पर हंगामा मच गया। इजरायली सरकार के प्रवक्ता इलोन लेवी ने टिप्पणी के लिए वराडकर की आलोचना की। साथ ही कहा कि एमिली का बेरहमी से अपहरण कर लिया गया था और उसे किसी प्रार्थना से नहीं बल्कि इजरायली सेना के दबाव से रिहा किया गया है।

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