बाहर से आने वाले कह रहे हैं..अब नहीं आएँगे महाकाल..दर्शन करना मुसीबत भरा

  • चारों तरफ हो रही खुदाई और निर्माण के कारण बारिश का पानी जमा हुआ-कीचड़ फैला-फिसल रहे हैं लोग-सुनने वाला कोई नहीं

उज्जैन। महाकाल दर्शन करना इस बारिश में मुसीबत भरा हो गया है और सावन में भी यही बदइंतजाम जारी रहेंगे, क्योंकि निर्माण कार्य अधूरे हैं और अधिकारी अपनी गलतियों को छुपाने के लिए आश्वासन की तारीखें दे रहे हैं..वर्तमान स्थिति भयावह है तथा दर्शन करने वाले श्रद्धालु फिसल रहे हैं। मंदिर के चारों ओर कीचड़ जमा हो गया है और पानी भरा हुआ है। महाकाल मंदिर के आसपास फेज टू के कार्य चल रहे हैं और सावन का महीना भी शुरू होने वाला है लेकिन अधिकारियों ने यह समझदारी नहीं दिखाई कि श्रावण के दौरान ऐसी व्यवस्था कर दें कि बारिश की अव्यवस्था ना फैले और लोग सीधे दर्शन कर सकें लेकिन अब बाहर से आने वाले दर्शनार्थी कह रहे हैं कि हम उज्जैन नहीं आएँगे क्योंकि बुरी तरह परेशान हो गए हैं। महाकाल पहुँचने के बाद जगह-जगह कीचड़ हो रहा है और भीड़ बढऩे के बाद तो अव्यवस्था को बयान करना मुश्किल है।


4-5 घंटे परेशान होने के बाद लोगों की यह स्थिति हो जाती है कि वे समझ नहीं पाते कि उन्हें उज्जैन आकर भगवान के दर्शन करने से शांति मिली या परेशानी..कई यात्रियों की चप्पल कीचड़ में सन गई और कुछ फिसल कर चोटिल भी हुए। मंदिर समिति का हाल यह है कि वहाँ न कोई शिकायत सुनने वाला है और न ही समाधान करने वाला, जब कोई घटना हो जाती है तब जरूर मजमा लग जाता है। ऐसे में नागपंचमी और श्रावण के पर्व कैसे सम्पन्न होंगे यह समझ से परे हैं। जिला प्रशासन भीड़ पर भी नियंत्रण नहीं कर रहा है और श्रावण में प्रतिदिन डेढ़-दो लाख लोग पहुँचेंगे जबकि व्यवस्थाएं बिलकुल नहीं है और न पानी की निकासी हो रही है और न ही कीचड़ साफ किया जा रहा है। लाइन में खड़े लोगों के बारिश से बचाव की भी कोई व्यवस्था नहीं है।

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