7 योजनाओं पर हजार करोड़ खर्च करेंगे, 550 करोड़ से पुलों और सडक़ों का निर्माण

  • नगर निगम से प्रतिस्पर्धा के चलते प्राधिकरण ने 5 हजार करोड़ अधिक राशि का बजट किया मंजूर, गत वर्ष के हालांकि 50 फीसदी भी काम नहीं हुए पूरे

इंदौर। प्राधिकरण भले ही अपने बजट में गत वर्ष की तुलना में 50 फीसदी भी लक्ष्य की पूर्ति ना कर पाया हो मगर नगर निगम से प्रतिस्पर्धा के चलते 5 हजार करोड़ रुपए से अधिक का बजट तैयार कर मंजूर किया है। इस वित्त वर्ष का प्राधिकरण ने 6 हजार 5 करोड़ का बजट तैयार किया है। जबकि गत वर्ष यह राशि मात्र 1101 करोड़ ही थी।

प्राधिकरण ने लगभग एक हजार 34 करोड़ रुपए की राशि अपनी 7 टीपीएस योजनाओं में होने वाले विकास कार्यों के लिए प्रावधानित की है। ये सभी योजनाएं लगभग 3 हजार एकड़ पर लागू की गई है। प्राधिकरण शहरभर में ओवरब्रिजों के साथ-साथ मास्टर प्लान और प्रमुख सडक़ों का जाल भी बिछाना चाहता है, ताकि घने, व्यस्त और बेतरतीब यातायात से जनता को निजात दिलवाई जा सके। नतीजतन मास्टर प्लान की सडक़ों के लिए 100 करोड़, वहीं निर्माणाधीन ओवरब्रिजों के लिए साढ़े 400 करोड़ की राशि रखी गई है।

प्राधिकरण अध्यक्ष जयपालसिंह चावड़ा ने कल प्राधिकरण का सालाना बजट बोर्ड बैठक में रख मंजूर किया। इस अवसर पर उपाध्यक्ष राकेश गोलू शुक्ला और सरकारी बोर्ड सदस्य कलेक्टर डॉ. इलैयाराजा टी, आयुक्त श्रीमती हर्षिका सिंह, प्राधिकरण सीईओ रामप्रकाश अहिरवार सहित अन्य विभागों के अधिकारी मौजूद रहे। अभी पिछले दिनों ही इंदौर निगम ने अपना 7 हजार करोड़ का बजट प्रस्तुत किया था, उसे टक्कर देते हुए प्राधिकरण ने अपने इतिहास का सबसे अधिक राशि का एक तरह से छलांग मारते हुए बजट प्रस्तुत किया है।

गत वर्ष 1100 करोड़ का बजट था, तो इस बार वह बढक़र 6 हजार करोड़ तक पहुंच गया। हालांकि गत वर्ष के बजट से ही लगभग 500 करोड़ की वास्तविक प्राप्तियां हुईं। यानी 50 फीसदी भी बजट अमल में नहीं आ सका। श्री चावड़ा के मुताबिक 200 करोड़ के बजट का प्रावधान स्टार्टअप पार्क के लिए भी रखा गया है। सुपर कॉरिडोर पर 8 हेक्टेयर जमीन इस पार्क के लिए प्रस्तावित की गई है। दूसरी तरफ 10 हजार की बैठक क्षमता वाले कन्वेंशन सेंटर के निर्माण पर भी 20 करोड़ रुपए खर्च होंगे। वहीं 7 टीपीएस योजनाओं के विकास पर इस साल एक हजार करोड़ रुपए की राशि खर्च की जाना है।

टीपीएस-1, 3, 4, 5, 8, 9, 10 पर विकास कार्य भी शुरू करवा दिए हैं। इन योजनाओं में लगभग 3 हजार एकड़ जमीनें शामिल है। कल बोर्ड बैठक के बाद बजट पर चर्चा भी की गई और चल रहे प्रोजेक्टों का ऑनलाइन प्रजेंटेशन भी किया गया। जल संसाधन मंत्री तुलसीराम सिलावट, सांसद शंकर लालवानी, महापौर पुष्यमित्र भार्गव, शहर अध्यक्ष गौरव रणदिवे, पूर्व अध्यक्ष प्राधिकरण मधु वर्मा, विधायक रमेश मेंदोला, वरिष्ठ भाजपा नेता सत्तन गुरु सहित अन्य जनप्रतिनिधि और मीडियाकर्मी मौजूद रहे। महापौर परिषद् के सदस्यों को भी आमंत्रित किया गया। बजट देखने के बाद जनप्रतिनिधियों ने प्राधिकरण को कुछ महत्वपूर्ण सुझाव भी दिए।

प्राधिकरण द्वारा 11 फ्लायओवरों का निर्माण प्रस्तावित किया गया है, जिनमें से 4 फ्लायओवरों का निर्माण का काम तो शुरू भी हो गया। इन फ्लायओवरों पर प्राधिकरण इस वित्त वर्ष में लगभग साढ़े 500 करोड़ रुपए खर्च करेगा। खजराना, भंवरकुआ, फूटी कोठी, लव कुश चौराहा, महु नाका, गांधी नगर, शकरखेड़ी, कैलोदहाला, कनाडिय़ा और भिचौली हब्सी पर ये फ्लायओवर प्रस्तावित हैं। वहीं लवकुश चौराहा पर डबल ड़ेकर फ्लायओवर प्राधिकरण बनवा रहा है, जिसके लिए अभी फिर से टेंडर की प्रक्रिया शुरू की गई है। इतना ही नहीं, मास्टर प्लान के तहत नवीन मार्गों के निर्माण पर भी प्राधिकरण 100 करोड़ खर्च करेगा, तो सीएम राइज स्कूलों की जिम्मेदारी भी शासन ने प्राधिकरण को सौंपी है। अभी 4 स्कूलों का निर्माण डिपॉजिट वर्क के लिए तहत किया जाना है, जिसके लिए 80 करोड़ रुपए की राशि बजट में रखी गई है।

वहीं 4 महिला उद्यमिता विकास केन्द्र बनाने, 108 किलोमीटर का ग्रीन रिंग रोड का निर्माण, विजय नगर स्थित मंगल मैरीलैंड की जमीन पर चिल्ड्रन पार्क के साथ ही नए ट्रैफिक पार्क और सुप्रीम कोर्ट आदेश से प्राधिकरण को जो योजना 97 पार्ट-4 में लगभग 200 एकड़़ जमीन मिली है उसमें से 43 एकड़ जमीन सिटी फॉरेस्ट की है, जिसे अब प्राधिकरण विकसित करेगा, ताकि पर्यावरण प्रदूषण की स्थिति भी बेहतर हो सके। प्राधिकरण ने अपने बजट में 5 हजार 350 करोड़ रुपए की सम्पत्तियों को बेचने का अनुमान लगाया है। हालांकि यह संभव भी नहीं है, क्योंकि गत वर्ष ही प्राधिकरण साढ़े 400 करोड़ तक की ही सम्पत्तियां बेच पाया। वहीं 108 करोड़ रुपए लीज रेंट, फ्री होल्ड और किराये के रूप में कमाने की बात कही है, तो ब्याज-बट्टे से भी 42.41 करोड़ रुपए की राशि प्राधिकरण को प्राप्त होगी।

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